पुलिस के पास निरोधात्मक कार्रवाई के लिए अब तक सीआरपीसी की दो विशेष धाराएं 109 व 151 थीं, राज्य सरकार ने धारा 109 में पुलिस की शक्तियां वापस लीं, पुलिस किसी को संदिग्ध अवस्था में नहीं कर सकती गिरफ्तार
कोटा.अब पुलिस किसी को भी संदिग्ध अवस्था में मिलने पर सीधे गिरफ्तार नहीं कर सकेगी। सीआरपीसी की धारा 109 के तहत गिरफ्तार करने के अधिकार राज्य सरकार ने पुलिस से छीन लिए हैं। अब पुलिस को ऐसे मामलों में गिरफ्तारी की बजाय उस व्यक्ति के खिलाफ अदालत में इस्तगासा पेश करना होगा। अब तक पुलिस के पास अपराधियों को अधिक से अधिक समय तक जेल में रखने के लिए दो महत्वपूर्ण धारा 109 व 151 थीं, जिसमें से अब केवल 151 ही रह गई है। पिछले 3 सालों में पुलिस ने इस धारा के तहत कोटा रेंज में 9592 अपराधियों को गिरफ्तार कर अदालत से पाबंद करवाया है। बताया जाता है कि निरोधात्मक कार्रवाई के आंकड़े बढ़ाने के लिए पुलिस द्वारा इस धारा का दुरुपयोग करने की शिकायत लगातार मिल रही थी, इसलिए यह कदम उठाया गया है।
अपराधियों पर नकेल कसने के लिए सीआरपीसी की धारा 109 को लागू किया गया था। जिसका सीधा-सीधा मकसद था कि जब तक किसी व्यक्ति के आचरण के संबंध में कानूनन पुष्टि नहीं हो जाती तब तक उसे संदिग्ध मानते हुए इस धारा के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है। पुलिस ने इसकी बजाय इसे निरोधात्मक (प्रिवेंटिव एक्शन) कार्रवाई के आंकड़े बढ़ाने का जरिया बना लिया था। रात के समय राह चलते किसी भी व्यक्ति को पुलिस संदिग्ध मानकर इस धारा के तहत गिरफ्तार कर लेती थी।
पुराने अपराधी जो पिछले कई सालों से आपराधिक जिंदगी छोड़कर रोजगार से जुड़ गए, उन्हें भी पुलिस गिरफ्तार कर लेती थी। हर माह इसके लिए अभियान चलाया जाने लगा और अधिकारियों द्वारा हर थाने को 109 के तहत कार्रवाई का टास्क दिया जाने लगा। इसकी शिकायतें जब पुलिस मुख्यालय व राज्य सरकार के पास पहुंचने लगी तो पिछले दिनों हाईपावर कमेटी गठित कर इसका पुनर्मूल्यांकन किया गया। इसके बाद इसके तहत पुलिस से गिरफ्तारी व सीधी कार्रवाई करने की शक्तियां छीन ली गई।
हर साल कोटा में सैकड़ों को इस धारा में गिरफ्तार किया जाता है
कई आतंकवादी बंद हैं इस धारा के तहत
पुलिस के अनुसार यह धारा इतनी कारगर थी कि राजस्थान सहित देश के कई सीमा क्षेत्रों की जेलों में इसके तहत कई आतंकवादी बंद हैं। आतंकी इरादे से आने वाले आतंकवादियों को यदि मुकदमे में गिरफ्तार करते हैं तो अपराध सिद्ध करने तक उसे जेल में नहीं रख सकते। ऐसे में 109 के तहत उन्हें संदिग्ध मानते हुए गिरफ्तार कर जेल में रखते हैं और फिर उनकी तस्दीक की जाती है।
109 के तहत 3 साल में हुई कार्रवाई
वर्ष रेंज कोटा शहर
2009 2729 968
2010 3414 1089
2011 3449 990
'धारा 109 के तहत गिरफ्तारी बंद करने के पीछे कई कारण थे। कुछ जगह इसका मिसयूज भी होता था। इससे पुलिस कमजोर तो नहीं हुई है। उसके पास कई तरह की और भी धाराएं हैं। धारा 109 के तहत गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं, लेकिन उसे बुलाकर पूछताछ तो की ही जा सकती है।’
- अमृत कलश आईजी कोटा रेंज
कोटा.अब पुलिस किसी को भी संदिग्ध अवस्था में मिलने पर सीधे गिरफ्तार नहीं कर सकेगी। सीआरपीसी की धारा 109 के तहत गिरफ्तार करने के अधिकार राज्य सरकार ने पुलिस से छीन लिए हैं। अब पुलिस को ऐसे मामलों में गिरफ्तारी की बजाय उस व्यक्ति के खिलाफ अदालत में इस्तगासा पेश करना होगा। अब तक पुलिस के पास अपराधियों को अधिक से अधिक समय तक जेल में रखने के लिए दो महत्वपूर्ण धारा 109 व 151 थीं, जिसमें से अब केवल 151 ही रह गई है। पिछले 3 सालों में पुलिस ने इस धारा के तहत कोटा रेंज में 9592 अपराधियों को गिरफ्तार कर अदालत से पाबंद करवाया है। बताया जाता है कि निरोधात्मक कार्रवाई के आंकड़े बढ़ाने के लिए पुलिस द्वारा इस धारा का दुरुपयोग करने की शिकायत लगातार मिल रही थी, इसलिए यह कदम उठाया गया है।
अपराधियों पर नकेल कसने के लिए सीआरपीसी की धारा 109 को लागू किया गया था। जिसका सीधा-सीधा मकसद था कि जब तक किसी व्यक्ति के आचरण के संबंध में कानूनन पुष्टि नहीं हो जाती तब तक उसे संदिग्ध मानते हुए इस धारा के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है। पुलिस ने इसकी बजाय इसे निरोधात्मक (प्रिवेंटिव एक्शन) कार्रवाई के आंकड़े बढ़ाने का जरिया बना लिया था। रात के समय राह चलते किसी भी व्यक्ति को पुलिस संदिग्ध मानकर इस धारा के तहत गिरफ्तार कर लेती थी।
पुराने अपराधी जो पिछले कई सालों से आपराधिक जिंदगी छोड़कर रोजगार से जुड़ गए, उन्हें भी पुलिस गिरफ्तार कर लेती थी। हर माह इसके लिए अभियान चलाया जाने लगा और अधिकारियों द्वारा हर थाने को 109 के तहत कार्रवाई का टास्क दिया जाने लगा। इसकी शिकायतें जब पुलिस मुख्यालय व राज्य सरकार के पास पहुंचने लगी तो पिछले दिनों हाईपावर कमेटी गठित कर इसका पुनर्मूल्यांकन किया गया। इसके बाद इसके तहत पुलिस से गिरफ्तारी व सीधी कार्रवाई करने की शक्तियां छीन ली गई।
हर साल कोटा में सैकड़ों को इस धारा में गिरफ्तार किया जाता है
कई आतंकवादी बंद हैं इस धारा के तहत
पुलिस के अनुसार यह धारा इतनी कारगर थी कि राजस्थान सहित देश के कई सीमा क्षेत्रों की जेलों में इसके तहत कई आतंकवादी बंद हैं। आतंकी इरादे से आने वाले आतंकवादियों को यदि मुकदमे में गिरफ्तार करते हैं तो अपराध सिद्ध करने तक उसे जेल में नहीं रख सकते। ऐसे में 109 के तहत उन्हें संदिग्ध मानते हुए गिरफ्तार कर जेल में रखते हैं और फिर उनकी तस्दीक की जाती है।
109 के तहत 3 साल में हुई कार्रवाई
वर्ष रेंज कोटा शहर
2009 2729 968
2010 3414 1089
2011 3449 990
'धारा 109 के तहत गिरफ्तारी बंद करने के पीछे कई कारण थे। कुछ जगह इसका मिसयूज भी होता था। इससे पुलिस कमजोर तो नहीं हुई है। उसके पास कई तरह की और भी धाराएं हैं। धारा 109 के तहत गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं, लेकिन उसे बुलाकर पूछताछ तो की ही जा सकती है।’
- अमृत कलश आईजी कोटा रेंज
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