जब भी किसी ने खुद
एक हिन्दुस्तानी
एक आम इंसान
एक भारतीय
एक राष्ट्रभक्त
की रूह
अपने जिस्म में डाल कर देखा है
उसके अपने देश के रक्षक
अपने देश के सियासी नेता
अपने देश के धर्मगुरु
साधू हो या संत पंडित हो या मोलवी
पुलिस हो या जज
सभी को हां सभी को
गद्दार सिर्फ गद्दार पाया है ..
इस सच को
जो नंगा सच है
जो देश के सभी लोग समझते हैं
जब जब भी
मुझ जेसे किसी ने लिखा है
तो ऐसे लोगों को
कोंग्रेसी ने गद्दार ..भाजपाई ने देशद्रोही माना है
मेने खुद से सवाल किया ऐसा क्यूँ
दूर एक कुए से मुझे आवाज़ आई
छोड़ इनकी बातें
यह जो सोचते हैं सोचने दे
इनमे कोई हिन्दू है .कोई मुसलमान
कोई कोंग्रेसी है कोई भाजपाई
कोई मोक़परस्त है
कोई मोलवी है कोई पंडित है
कोई साधू है कोई संत है कोई वली है
सभी वोह लोग है
जो तुम्हे मुझे और देश को
ठग ठग कर अपने घर भर रहे है
में यह बात किसी को कहता
लेकिन ]
फिर मेरे दिल से आवाज़ आई
चुप ..पागल मत बन
जेसा चलता है चलने दे
वरना कोई तुझे गद्दार कहेगा
कोई कहेगा मुसलमान कोई कहेगा राष्ट्रविरोधी
क्योंकि मिडिया भी इनका चमचे भी इनके
भीड़ भी इनकी कागज़ भी इनका कलम भी इनकी
मुंसिफ भी इनका पुलिस भी इनकी
तू तो अकेला है तेरा क्या
तेरे जेसे कितने होंगे एक दो तीन दस बीस
लेकिन यह तो लाखों नहीं करोड़ों नहीं एक अरब से ज्यादा हो गए हैं
इसीलिए चुप समझ ले
यह झुन्ठों और मक्कारों की महफ़िल है
सच बोले तो तुम भी निकले जाओगे ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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