राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित यह मंदिर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथजी को समर्पित है| इस तीन मंजिला मंदिर को भंडेश्वर जैन मंदिर के नाम से जाना जाता है| इसका निर्माण कार्य उस समय के सम्पन्न व्यापारी बंधुओं भंडेश्वर और संधेश्वर ओसवाल शुरू करवाया था| 1468 में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू तो हो गया लेकिन यह मंदिर 1514 ई. में बनकर तैयार हुआ|
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की नीव में गारे की जगह 40,000 किग्रा. घी का इस्तेमाल किया गया है| मंदिर का आंतरिक भाग सोने की पत्तियों की खूबसूरत चित्रकारी से सजाया गया है| संगमरमर से बने खम्भे जैनियों के 24 तीर्थंकरों की कहानियों का वर्णन करते नज़र आते हैं| साथ -साथ ही यह मंदिर सफ़ेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर की खूबसूरत नक्कासी के लिए भी प्रसिद्ध है| इतना ही नहीं इस मंदिर में कांच की कारीगरी भी अपने आप में एक मिसाल है|
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
07 जून 2012
भारत का अनोखा मंदिर जिसके निर्माण में हुआ घी का इस्तेमाल!
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