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11 जून 2012

मुस्लिम आरक्षण मामले में कोग्न्रेस की सियासत तार तार हुई

दोस्तों मुस्लिम आरक्षण मामले में केंद्र सरकार और खासतोर पर कोंग्रेस तार तार हो गयी है ..मुस्लिमों की तुष्टिकरण और उनके लियें थोथी घोषणाओं की राजनीति की पोल खुल गयी है ..सारा देश जानता है के मुस्लिमों के आर्थिक उत्थान और बहतरी के लियें ..सर्वप्रथम काका केलकर..फिर वेंकत्चालाय्या............फिर इन्द्रा साहनी मामले में सुप्रीमकोर्ट...फिर सच्चर फिर रंगनाथ मिश्र सभी ने तो अपने अपने तरीके से मुसलमानों में पिछड़े लोगों को आरक्षण और विशेष पैकेज की बात कही थी .....काका केलकर की रिपोर्ट पर कोंग्रेस ने जारी आरक्षण सर्कुलर में केवल हिन्दुओं के लियें शब्द जोड़ कर मुसलमानों को इस आरक्षण से अलग कर दिया ..फिर काका केलकर चिल्लाए के भाई एक ही व्यवसाय और धर्म के नाम पर आरक्षण में भेदभाव गलत है उन्होंने कहा था के मांस का व्यवसाय करने वाले सभी पिछड़े है फिर खटीक हो चाहे कसाई सभी को आरक्षण मिलना चाहिए ..धोबी हों ...कपड़ा बुनने वाले जुलाहे हों या फिर कोली समाज के लोग सभी आरक्षण के हकदार है लेकिन कोंग्रेस ने इस सर्कुलर को नहीं बदला और इस आरक्षण का इस धर्मनिरपेक्ष देश और संविधान में धार्मिक रूप कर दिया नतीजा काका केलकर ने इस मामले से नाराज़ होकर इस्तीफा दे दिया .....फिर वेंकत्चालाय्या ने इस मामले को उठाया ..फिर सच्चर ने कहा जिसे रंगनाथ मिश्र ने मोहर लगाई ...कोंग्रेस सरकार थी इसलियें चुप बेठी रही ..गोपालन कमेटी बनीगोपालन कमेटी ने वर्ष २००७ में मुस्लिमों को पन्द्रह प्रतिशत आरक्षण की बात कही फ़ाइल ठंडे बसते बंद ..अचानक उत्तरप्रदेश के चुनाव आये रातोरात कोंग्रेस को मुसलमानों की याद आई और अचानक केंद्र ने विधिविरुद्ध तरीके से मुस्लिम पिछड़ों को साढे चार प्रतिशत आरक्षण का झांसा दे दिया .....दोस्तों मेने उसी वक्त अक पोस्ट लिख कर कोंग्रेस को ललकारा था और कहा था के यह आरक्षण सिर्फ छलावा ..सियासी चाल है क्योंकि इसमें विधिक प्रक्रिया जानबूझ कर नहीं अपनाई गयी है और कोंग्रेस चाहती है के यह सियासत अदालत पहुंचे और वहां से जो कमियाँ छोड़ी गयी है उस वजह से आरक्षण ख़ारिज हो जाए ..मेने जो कहा था वही हुआ कोंग्रेस की आरक्षण की सियासी चाल आज सुप्रीम कोर्ट में तार तार हुई है वेसे तो इस मामले में कोंग्रेस अगर खुद को अलग थलग रखना चाहती है तो इसके दोषी अल्पसंख्यक मामलात और विधि मंत्री सलमान खुर्शीद को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए ..क्योंकि मुसलमानों के जज्बात खेलने की चीज़ नहीं है और पहले आंध्र प्रदेश में केंद्र सरकार के वकीलों ने जान बुझ कर लापरवाही बरती जिसका खुलासा खुद हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में किया है और फिर उस आदेश की अपील में जो कमियाँ जो बेवकूफियां की है उसे तो सुप्रीमकोर्ट ने आज एक ललकार के साथ उजागर की है ..बात साफ़ है कोंग्रेस की नियत मुसलमानों को आरक्षण देना नहीं सिर्फ सियासत करने की थी वरना हर मामले में होम वर्क करके ही काम होता है ..मुझ जेसा जिला स्तर की वकालत करने वाला वकील जब पूर्व में ही आरक्षण आदेश या अधिसूचना को विधिविरुद्ध घोषित कर चूका था तो हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में तो दिग्गज बेठे है फिर सरकारी वकीलों की दलीलें तो कस्बे के वकीलों से भी गयी बीती निकली जिनको सरकार स्टेट मिनिस्टर का दर्जा देकर लाखों रूपये देती है वोह लोग अगर ऐसी पेरवी सिर्फ एक मामले में करते है तो समझ लो के सरकार का ही उन्हें ऐसा करने का इशारा था ..खेर कोंग्रेस को यह धोखा यह बेईमानी यह सियासत बहुत भारी पढ़ेगी अभी भी अगर कोंग्रेस खुद को इस सियासत से अलग साबित करना चाहे तो उसे सलमान खुर्शीद को लापरवाह मानकर बर्खास्त करने के अलावा कोई चारा नहीं दिखता है ...देक्खते है इस मामले में अब सियासी दांव पेंच केसे केसे चलते है ....................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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