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12 जून 2012

आरक्षण पर प्लीज़ अपनी राय जरुर दीजिएगा वरना फिर मत कहना के देर हो गयी

दोस्तों देश में आरक्षण केवल एक धर्म के लोगों को विशेष निर्देशों के साथ दिया गया था इस कारण दुसरे वर्ग धर्म के लोग पिछड़ते चले गए ..आप जानते है आरक्षण का आधार धर्म नहीं पिछडापन होना चाहिए लेकिन कोई धर्म के आधार पर दिए गए आरक्षण पर अब तक क्यों नहीं बोला ....भाई सभी लोग जानते है के आरक्षण पिछड़ों को उनका हक और बराबरी का दर्जा देने के लियें केवल दस साल के लियें दिया था ..फिर दस साल बढा दिया गया फिर कई बार बढाया ..अप खुद ही बताइए जो लोग आरक्षण का लाभ ले रहे हैं क्या उन्हें अब आरक्षण की जरूरत रह गयी है ..क्या धर्म या जाती वर्ग के आधार पर आरक्षण होना चाहिए ...जब आरक्षण केवल दस वर्ष के लियें दिया था तो फिर उसे बार बार क्यूँ बढा कर हम आम हिन्दुस्तानियों की गरीबी और पिछड़ेपन का मजाक उड़ाया जा रहा है अगर आप संविधान में दस वर्ष के लियें दिए गए आरक्षण को बार बार बडाने के खिलाफ है तो प्लीज़ आवाज़ बुलंद करें ..पिछड़ों का सर्वे हो उनके लियें आर्थिक पैकेज हो उन्हें पढाने ..उनके रोज़गार के लियें विशेष आरक्षित प्रावधान हो लेकिन नोकरी में आरक्षण न बाबा ना ..आप समझ गए ना .........आरक्षण के नाम पर दो नम्बर लाने वाला इंजिनियर ..आरक्षण के नाम पर एक नम्बर लाने वाला डोक्टर देश और देश की जनता का क्या भला कर सकता है प्लीज़ जरा समझिये केवल पिछड़ों को पदाई और रोज़गार के लियें विशेष पैकेज देकर मदद दीजिये उनकी फ़ीस उनकी किताबें दीजिये लेकिन नोकरी में तो जो प्रतिभावान हो उन्हें ही आने दीजिये वरना मेरा यह देश तो बर्बाद हो जाएगा आपकी क्या राय है प्लीज़ खुलेमन से मर्यादित शब्दों में रचनात्मक अंदाज़ में दीजिये ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. आरक्षण का आरंभ एक दवा के रूप में हुआ था अब उसे भोजन बना दिया गया है। लोग उसे अधिकार समझने लगे हैं।
    सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़़ी जातियों के सम्पन्न लोगों ने ही इस का लाभ उठाया है, वही उठा भी रहे हैं। लाभ उठाने वाले अपनी जाति के लोगों के उत्थान में लगने के स्थान पर सामान्य लोगों के साथ अपना तालमेल बैठाते हैं। इस से जिन्हें इस का लाभ मिलना चाहिए था नहीं मिल रहा है, न किसी भांति मिल सकता है। आरक्षण अब भारत के लिए नासूर हो चुका है। नासूर का आपरेशन कर उसे शरीर से तुरन्त निकाल देना चाहिए।
    सभी तरह का आरक्षण समाप्त कर दिया जाना चाहिए। सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों के विकास के लिए अन्य मार्ग तलाशे जाने चाहिए।

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  2. मुद्दा तो आपने बहुत ही सटीक उठाया है अकेला जी! सच कड़वा होता है. अब आरक्षण किसी पिछड़े समुदाय के उत्थान का माध्यम नहीं बल्कि वोट बैंक तैयार करने का नुस्खा बन गया है. पिछड़ों के उत्थान के लिए बुनियादी शिक्षा की सुविधा के विस्तार की ज़रुरत थी. इसपर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. सुदूर इलाकों में बुनियादी और माध्यमिक विद्यालयों का घोर अभाव है. दरअसल यह आरक्षण व्यवस्था ऐसी ही है जैसे किसी माकन की सातवीं मंजिल पर रसगुल्ले का प्लेट रख दिया जाये और सीढ़ी या लिफ्ट बेकार कर दिया जाये. आप यह जान कर खुश हो लें की आपके लिए छत पर रसगुल्ला है. भले ही आप उसे खा न सकें. लेकिन है आपके ही लिए. दरअसल पिछड़े समुदायों का क्रीमी लेयर ही इस आरक्षण का लाभ उठा सकता है. किसी समुदाय का उत्थान तो तभी होगा जब उसके बच्चों को खुली प्रतियोगिता में आगे आने लायक बना दिया जाये. कम प्रतिभाशाली लोगों को ऊंची jaghon पर बिठा देने से उनमें योग्यता नहीं आ सकती. योग्य लोग कुंठाग्रस्त जरूर हो सकते हैं.यह देश के लिए स्वास्थ्यवर्धक नहीं है.

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