आपका-अख्तर खान

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07 जून 2012

दोस्तों मुझे मेरी सालगिरह का दिन मुबारक हो

दोस्तों आज मेरी सालगिरह का दिन है ..जी हाँ अंग्रेजी की तारीख से तो आज ही यानी सात जून मेरी सालगिरह होती है ..आज ही के दिन सुबह सवेरे लगभग पांच बजे तेज़ आंधी और तूफ़ान के बीच झालावाड इमामबाड़ा के एक मकान में मेरा जन्म हुआ था ....मेरी अम्मी बताती है के टोंक स्टेट से जुडा होने से पिडावा तहसील के गाँव कड़ोदिया के जागीरदार होने से उसके नजदीक झालावाड क्षेत्र में ही मेरे अंकल और पापा रहते थे..वेसे तो हम लोग रामपुर से जुड़े थे जो आज़ादी की लड़ाई में नवाब हाफ़िज़ रहमत की म़ोत के बाद टोंक आजाने से यहीं के हो गये . उस वक़्त मेरे पापा कोटा में इंजीनियरिंग की पढाई पूरी कर एक फेक्ट्री में इंजिनियर थे ..अम्मी बताती है के मेरी पहले एक बहन परी ही थी और लडके की चाहत होने पर भी गर्भ में ही लडकों की म़ोत हो रही थी सो उन्होंने ने झालावाड ईदगाह के पास स्थित एक बुज़ुर्ग सद्दिकिसन बाबा से भी खुदा से दुआ करने को कहा.. तेज़ आंधी चली .......लेकिन माचिस भी जली और वहां अगरबत्ती भी जल गयी.......... बस उसके बाद से ही बारिश और आंधी में अगरबत्ती जलने को प्रतीकात्मक चम्ताक्र के साथ मेरा जन्म हुआ और ..मेरा नाम अख्तर अली खान रखा गया फिर हमारा परिवार कोटा आकर बस गया ..दोस्तों मेरा बालपन सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल में गुजरा फिर महात्मा गान्धी हायर सेकेंडरी के बाद कोटा राजकीय म्हाविद्ध्यालय से उर्दू साहित्य में एम ऐ ...कानून की पढाई पढ़ी ...;लेबर ला किया ....जयपुर युनिवेर्सिती से पत्रकारिता में पी जी कोर्स किया ..हरियाणा से होटल मेनेजमेंट के बाद और भी ना जाने क्या क्या पढ़ता रहा लेकिन शुरू से ही लिखने पढने के शोक ने पहले लोटपोट ..चम्पक...नन्दन...रविवारीय अख़बार का लेखक बनाया फिर देनिक धरती करे पुकार से मेरी पत्रकारिता का स्वतंत्र अस्तितिव शुरू हुआ में जननायक देनिक का सम्पादक बना मेने पत्रकारिता के सच को नजदीक से देखा ..उस वक्त पत्रकारिता टेलीप्रिंटर और टेलीग्राम पर निर्भर थी दूर दराज़ की खबरें टेलीग्राम से मिला करती थी फोन भी मुश्किल से मिलते थे ..अख़बार आने जाने में भी वक्त लगता था ..लेकिन आपात स्थिति में तो हालात बहुत बुरे थे क्या लिखना है क्या छापना है यह सब अख़बार या अख़बार का मालिक नहीं सरकार और सरकार का अधिकारी तय करता था ...बस कलेक्ट्रेट में साइकल पर कम्पोज़ की हुई अख़बार में छपने वाली पट्टियां रोज़ लाकर जच्वाते और फिर जो भी स्वीकरत होता वोह अख़बार में छापते थे कभी अख़बार छप गया तो बंट नहीं पाया ..कभी कम्पोजीटर छुट्टी पर है तो देरी से अख़बार छपा तो कभी ब्लोक बनाने में देरी हो जाने से किसी का फोटू नहीं छाप सका ..कभी टेलीप्रिंटर खराब हुआ तो रेडियो की खबरों से अख़बार निकाला ...कुल मिलकर इस दोर में अख़बार और अख़बार वालों की काफी हेसियत हुआ करती थी वोह लोग मर्यादाओं में रहते थे और सही मायनों में चोथे स्तम्भ का रुआब उसिव्क्त देखने को मिलता था जो हालत पत्रकारिता के आज है उस वक्त हमने या हमारे किसी भी साथी ने कल्पना भी नहीं की थी के मालिक लोग पत्रकारिता को एक उद्ध्योग और भांड गिरी का ज़र्य बना देंगे ...येन मानिये एक तो रोयल फेमिली का होने का असर और दुसरे पत्रकारिता का वज़न जिसके लियें जो सही समझा वोह छापा न किसी का डर न खोफ न चापलूसी और बस कुछ स्वभाव जन्म से था तो कुछ किताबों के पढने .तो कुछ धार्मिक पुस्तकें पढ़ते रहने ने जो स्वभाव बनाया वोह ऐसा बन गया के उसे में बदल ही नहीं सकता और यकीन मानिए में इस स्वभाव को बदलना भी नहीं चाहता में मेरे इस स्वभाव से बहुत संतुष्ट हूँ रोज़ सुबह सुनहरे सपनों के साथ उठता हूँ और रात को सुकून की नीन्द सोता हूँ ...में जानता हूँ मेरे इस रुख ने मुझे आज सबसे अलग थलग कर दिया है , मुझे पता नहीं में सच हूँ या गलत लेकिन मेरा स्वभाव है के सभी को अपने धर्म के प्रति कट्टर होना चाहिए लेकिन इसकी आड़ में किसी दुसरे के धर्म का अपमान अगर कोई करता है तो उसकी निंदा भी होना चाहिए में भी कट्टर वादी मुसलमान हूँ में भी अपने धर्म से प्यार करता हूँ लेकिन कोई अगर अपने दुसरे धर्म से प्यार करता है तो इस में मुझे एतराज़ क्यूँ कुरान का हुक्म है तेरा दीन तुझे मुबारक मेरा दीन मुझे मुबारक ..दोस्तों मेरी सोच है के अगर कोई मेरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाए तो मुझे हक है के में उसका कत्ल कर दूँ या फिर पकड़ कर दंडित करवा दूँ लेकिन मेरी यह भी सोच है के अगर कोई किसी के मन्दिर को नुकसान पहुंचाए तो उसे भी ऐसे शख्स का कत्ल करने और उसे दंडित करवाने की आज़ादी होना चाहिए .....मुझे पता नहीं धर्मों की नफरत क्या होती है में गाँव की जिंदगी में भी रहा वहां भी सर झुका कर कचेरी के सामने से निकलने ..अंगूठा छूने की रिवायत को मेने खत्म करवाया अब्दाना ...छुआछूत करना तो हम ने कभी देक्खा ही नहीं जब गाँव में देखा तो इसे रो धोकर बचपन में ही खत्म करवा दिया .....तो दोस्तों पत्रकारिता और ऍन सी सी का केडेट होने के कारण हालातों ने मुझे वक्त का पाबन्द बना दिया वक्त की कीमत मेने जानी है और बस इसीलियें वक्त पर उठाना ..वक्त पर अपने कामकाज के लियें निकल जाना ..वक्त जो तय है उस के पूर्व ही सारा काम निपटाना पहले अख़बार में वक्त पर जाना और अब अदालत में वक्त पर पहुंचन मेरा स्वभाव है मेरा अपना दफ्तर भी वक्त पर खोलना मेरी आदत बन गयी है ...पत्रकारिता के वक्त कई ऐसे हालत हुए जब बढ़े नेताओं ने वक्त देकर प्रेस्कोंफ्रेस में देरी से पहुँचने की गुस्ताखी की तो मेने लोगों को कहकर ऐसे लेटलतीफ नेता की प्रेस्कोंफ्रेंस के बहिष्कार का एलान करवाया ..भाजपा हो चाहे कोंग्रेस सभी के शीर्ष नेताओं की प्रेस्कोंफ्रेंस में जाने का मुझे मोका मिला है राजिव गाँधी ...सोनिया गाँधी ..अटल बिहारी ..नर्सिम्मा राव ..इंद्र कुमार गुजराल ..वी पी सिंह ..चोधरी चरण सिंह ..अडवानी ..देवगोडा .लालू वगेरा जो भी हों करीब करीब सभी की रिपोर्टिंग करने का और प्रेस्कोंफ्रेंस में जाने का मुझे मोका मिला है बाद में जब एक अख़बार एक सवाल का भाजपा ने नियम बनाया तो शीर्ष नेतओं की पत्रकारवार्ता में जाना मेने बंद किया .....खेर पत्रकारिता का रुख बदला हालात बदले स्वभाव से पत्रकार होने के बाद भी जब बदले हालातों में मेरा दम घुटने लगा दुसरे बढ़े अखबारात के मुझे ऑफर मिले लेकिन वहां काम करने वालों की जो मजबूरियां और हालत जी हुजूरी वाली मेने देखी मेने देखा के अख़बार वाला जो दूसरों की निगाह में शेर है लेकिन मालिक ने उसे सर्कस और चिडया घर का शेर बना दिया है मनमानी चाबुक लेकर किसी की भी चापलूसी करवाना किसी भी सही आदमी के खिलाफ छपवाना यह सब दस्तूर बन गया ...अख़बार में खबर काम विज्ञापन ज्यादा लगने लगे और वोह भी सेक्स और सेक्स की दवाओं के विज्ञापनों से जब अख़बार भरने लगे .....पेड़ न्यूजों का चलन चल गया तो फिर इस लाइन से मेने खुद किनारा कर लिया ..वेसे दिल तो अभी भी पत्रकारिता का है लेकिन मेरे ख्याल का अख़बार नहीं इसलियें में भी सन्यासी पत्रकार बन गया और स्वतंत्र पत्रकारिता के साथ वकालत शुरू की ..कोलेज में और किताबों में जो वकालत पढ़ी जब अदालत में देखा तो एक रीडर ..एक बाबु ..तामील कुनिंदा ..खासकर पारिवारिक न्यायालय और फिर कार्यपालिका अदालतों ने नया पाठ पढ़ा दिया इनसे खूब लादे अब तक लड रहे है मानवाधिकार संरक्षण के लियें लड़ाई शुरू की और कई ल्दैयाँ जीती भी कुछ शिकायतों से जीती तो कुछ अदालतों से जीती लड़ाई का यह सिलसिला लगातार जारी है ..इस बीच सियासत के भी कई रंग दिखे चापलूस चमचों को ओहदे मिले और महनत कश लोगों को बुराइयां मिली ..सियासत हो चाहे प्रशासन हो पत्रकारिता की वजह से सभी जगह पकड़ रही लेकिन चमचागिरी और चापलूसी से दूर रहने के कारण में इन लोगों का बहुत खास नहीं रह सका ...सच बोलने की बीमारी ...वक्त पर मिशन की तरह से कम करने का जूनून ..यारी दोस्ती के लियें किसी भी हद तक कुछ भी कर गुजरने का जज्बा और एक अनुशासित सेद्धान्तिक जिंदगी ने कई लोगों को हमसे दूर कर दिया ..वकालत में जब जिसकी मर्जी पढ़े सड़क हो शादी हो कोई भी जगह हो लोग रोकेंगे और सलाह लेने लग जायेंव वकील दुसरा कर रखा है लेकिन मुफ्त में सलाह लेने के लीये माथा पच्ची करेंगे ऐसे लोगों को मेने रानाराज़ किया उनसे हाथ जोड़े उनसे कहा के वकालत की जो भी बात हो दफ्तर में आओ वक्त पर आओ और फ़ैल द्स्तावेजत लेकर आओ एक डिसिप्लिन बना लेकिन कुछ लोग नाराज़ भी हुए...........वक्त की पाबंदी ने मुझे कई जगह प्रेषण किया मुसलमानों की फातिहा हो ..कुरान ख्वानी हो ......किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत हो निमंत्रण में जो वक्त दिया उस पर हम तो पहुंचे लेकिन घंटों जब कार्य्रकम शुरू नहीं हुआ तो इस्लाम में वक्त की पाबंदी का सिद्धांत उन्हें बताने से नहीं चुके खुद का कोई कार्यक्रम हुआ तो जब वक्त दिया तभी शुरू कर दिया ..हिन्दू समाज में भी चाहे मुहूर्त हो चाहे पूजन हो जब मंत्रियों और नेताओं के चक्कर में तय शुदा वक्त से कार्यक्रम आगे खिसकने लागे तो अजीब सा लगा के केसा पूजन केसा मुहरत जो नेताओं के आने के वक्त से बदला जा रहा है तो अजीब सा लगा यारी दोस्ती में दोस्ती के खातिर कई बार बुरे आदमी की मदद का इलज़ाम लगा क्योंकि मेरा सिद्धांत चाहे गलत हो चाहे सही हो अगर कोई किसी के लियें चुगली करता ही तो उसे तस्दीक करे बगेर उसपर विश्वास नहीं करता ..दोस्त की शिकायत हो कुछ मामले में फंस जाये तो उसकी मदद आँख मीच कर करने का स्वभाव है उसे घर में नेतिकता की शिक्षा देकर पाबन्द करे लेकिन सार्वजनिक रूप से दुश्मनों से मदद करने का स्वभाव हमेशा मुझे बदनाम करता रहा ....घर में बीवी सही है तो माँ से लड़ाई माँ सही है तो बीवी से लड़ाई बहन सही है तो बहन के लियें लड़ाई भाई सही है तो भाई के लियें लड़ाई और जो गलत है उसके लड़ाई नतीजा यह हुआ के सभी लोग निजी कारणों से नाराज़ है ...वकालत के व्यवसाय में किताबें पढना खूब लिखना अदालतों के सामने अपना पक्ष वक्त की पाबंदी के साथ रखना सरकार किसी की भी हो ठीक काम है तो तारीफ करना बुरा काम है तो बुराई करना बस कोई कोंग्रेस का कहता है कोई भाजपा का अतो कोई कोमरेड कहता है इंसान कोई भी कहना नहीं चाहता सभी लोग दिलों में गांठ बांध कर बेठे है दोस्तों दास्तान तो लम्बी है लेकिन में आपको इससे ज्यादा बोर करने की स्थिति में नहीं हूँ ..में जानता हूँ मेरी वक्त की पाबंदी .दोस्तों की मदद ..धर्म की कट्टरपंथी पन..निर्भीकता ..नीडरता ..बेबाकीपन ..रिश्वत लेना न देने का स्वभाव ..वक्त पर काम करने की आदत ..साफगोई ..घर में भी सभी की मदद और सच के साथ लगने का स्वभाव ..पार्टी कोई भी हो जो देश के लियें काम कर रही है उसकी प्रशंसा ..और ना जाने कितनी बुराइयाँ है जिनके लियें में रोज़ दो चार चिट्ठियां अम्बन्धित ऑथोरिटी को जरुर लिखता हूँ इसीलियें मुझ से सामने तो कोई दर के मरे कुछ नहीं कहता लेकिन पीठ पीछे छुरा लेकर घूमते है ..जो लोग मेरी बुरे करते है मुझे नुकसान पहुंचाते है तब मेरे अपने कई लोग मुझे ऐसा करने से रोकते हैं लेकिन में यही कहता हूँ के यह उनका स्वभाव है जब यह पानी शरण में आ गया है तो इसकी मदद जरूरी है ............तो दोस्तों में गलतियों का पुतला हूँ अप लोगों को भी कई सालों से न जाने क्या क्या बिना पसंद का लिख लिख कर परेशां और बोर कर रहा हूँ इसलियें मुझ से कई लोग नहीं बहुत सारे लोग नाराज़ है ..लेकिन में सोचा के लोग नाराज़ हो तो हों मेरे साथ मेरे सिद्धांत है मेरे साथ मेरे दो या तीन दोस्त है मेरे साथ मेरे गिनती के साथी प्रशंसक है और यह इतनी बढ़ी ताक़त है के मेरे अगर लाखो करोड़ों लोग या फिर सारी दुनिया भी दुश्मन बन जाये तो मेरा रब मेरा खुदा मेरा अल्लाह इन लोगों की दुआओं से मुझे हर मुसीबत से महफूज़ रखेगा ............इंशा अल्लाह जो मुझे समझेगा पहचानेगा शायद वोह मेरे खिलाफ बनी उसकी राय बदल ले क्योंकि में अगर गलती करती हूँ तो उसे स्वीकार कर माफ़ी मांगने में भी देरी नहीं करता इसीलिए किया लोग मुझे कमज़ोर कहते है ..कई लोग मुझे जब में मेरे सम्बन्धों का फायदा नहीं उठाता तो मुझे बेवकूफ कहते है ..तो दोस्तों आज के दिन में अपने स्वभाव के लियें जिससे मुझसे कई लोगों की भावनाए आहात हुई है उनसे माफ़ी मांगता हूँ और गुजारिश करता हूँ के मुझे माफ़ करे मुझे समझे मुझे इस्लाम के सिद्धांतों और भगवत गीता के उपदेशों की रौशनी में देखें किसी निजी स्वार्थ के हिसाब से नहीं हो सकता है में आपको अच्छा लगने लगूं..हो सकता है आप भी मुझे अपना भही बना कर गले लगा ले मेरे सिद्धांतो की होसला अफजाई करें क्योंकि में तो माफ़ी चाहते हुए आपको अपना बनाने की कोशिशों में अजब तक आप मेरे अपने नहीं हो जाओगे जुटा रहूँगा और खुदा से मेरी यही दुआ है के मेरे सभी दोस्त हो भाई हो कोई एक भी दुश्मन मेरा न रहे कोई एक भी मुझ से नाराज़ न रहे .......में अख्तर अली खान से अख्तर खान अकेला केसे बना यह एक बड़ा हादसा है जो में आप लोगों के साथ शेयर करने में असमर्थ हूँ और इस मामले में माफ़ी का तलबगार हूँ ......आपका गुनाहगार और माफ़ी का तलबगार अख्तर खान अकेला

--
akhtar khan akela

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपके सद्गुण.. आपका अथक कार्य आपके साथ है, अन्यान्य कारणों से रूठे लोग भी साथ हो जायेंगे...
    जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
    Belated birthday wishes!
    Regards,

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय श्री अख्तर खान जी जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..

    जवाब देंहटाएं
  3. जन्मदिवस की बहुत बहुत शुभकामनाये !

    आपका सवाई सिंह

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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