ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है, इसे ही उत्तरायण व दक्षिणायन कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तब इस समय को उत्तरायण कहते हैं। इसके बाद जब सूर्य कर्क राशि से आरंभ कर क्रमश: सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, और धनु राशि में भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं। इसे 'याम्य अयन' भी कहते हैं।
उत्तरायण व दक्षिणायन की अवधि छ:-छ: माह होती है। इस बार दक्षिणायन का प्रारंभ 20 जून से हो रहा है। दक्षिणायन के दौरान वर्षा, शरद और हेमंत, ये तीन ऋतुएं होती हैं। दक्षिणायन में सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। धार्मिक दृष्टि से दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि है। दक्षिणायन काल में मुंडन, यज्ञोपवित आदि विशेष शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं परन्तु तामसिक प्रयोगों के लिए यह समय उपयुक्त माना जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से सूर्य का दक्षिणायन वासना में डूबी स्थिति जैसी होती है यानी जब व्यक्ति इच्छाओं, कामनाओं और भोग में डूबा होता तो वह काल जीवन का दक्षिणायन माना जाता है। प्राचीन मान्यताओं में दक्षिणायन की पहचान यही होती है कि इस काल में आसमान बादलों से घिरा होता है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
19 जून 2012
20 से सूर्य होगा दक्षिणायन, शुरु होगी देवताओं की रात
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