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11 मई 2012

सरकार का दो बच्चों का कानून भी बच्चियों को गर्भ में ही हत्या कर देने का कारण बन रहा है

राजस्थान में सत्यमेव जयते के नाम पर फिल्म अभिनेता आमिर खान ने बेटी बचाओ के नाम पर धूम मचा डी है राजस्थान के संवेदन शील मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे गंभीरता से लिया और आज हालात यह हैं के राजथान सरकार का फॉक्स बेटी बचाओ मुद्दे पर ही हो गया है ..हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस फास्ट ट्रेक कोर्ट खोलने को तय्यार है और सरकार इस मामले में मुखबिरी योजना चला रही है ,,....समाज सेवी संगठन इसे गम्भीरता से लेकर इस मुद्दे पर बैठकें कर रहे है राजस्थान में यह मुद्दा नया नहीं है यहाँ रोज़ बाल विवाह और बेटी बचाने पर चर्चा होती है लेकिन कुछ बात है आमिर में जो इस मुद्दे को आमिर ने फोकस कर दिया है ...मजेदार बात तो यह है के कहावत अपनी तो चलती है तेरी क्यूँ जलती है की तर्ज़ पर कुछ लोगों ने आमिर पर उसकी निजी जिंदगी को लेकर हमले किये वोह भी उन लोगों ने जिनके नेताओं के निजी राज़ निजी जिंदगियां अगर फेसबुक पर शेयर की जाने लगी तो बवाल मच जायेगा खेर बहस इस मुद्दे पर नहीं है बहस तो बेतिया बचाने ..गर्भ में उनकी हत्या को रोकने पर हो रही है ..... दोस्तों इस्लाम में सबसे बढ़ा अपराध गर्भ में बच्चे को मरना और बेटियों को पैदा होने के बाद उसकी हत्या करदेने का माना गया है यहाँ तक कहा गया है के जिस घर में चार बेटियाँ हुईं वहां उसने जन्नत में अपना मुकाम पक्का कर लिया लेकिन कुछ धर्मों में पुत्र नहीं हो तो मुक्ति नहीं मिलने का नियम है सभी अपने अपने धर्म के प्रति कट्टर होते है लेकिन अब उदारता आई है ...इस्लाम में गर्भ में बच्चे मारना और बच्चे पैदा होने से रोकने के लियें प्रयास करना गुनाह है कहा गया है के बच्चों को पैदा होने से इस डर से ना रोको के उसका इन्तिज़ाम कोन करेगा इसके लियें अल्लाह बहतर जानता है लेकिन जो लोग खुदा पर विश्वास नहीं रखते सभी ने परिवार नियोजन अपना लिया है और जो लोग खुदा पर विश्वास रखने का ढोंग करते है वोह भी अस्पतालों में गर्भपात करवाने वालों की लाइनों में है खेर यह तो खुदा और उनके बीच की बात है वही जाने लेकिन दुसरे धर्म में जहाँ लडकी और फिर लडकी तलाक का कारण बन जाती है वहन भी अब पुत्र नहीं होने पर लडकियाँ पिता के शव को अग्नि देने लगी है और लडकों से ज्यादा लडकियाँ अव्वल है .......इधर हमारे देश में तीस प्रतिशत लडकियाँ सरकार के कानून की वजह से मरती है यहाँ दो संतानों से अधिक संताने है तो चुनाव नहीं लड़ सकते ..नोकरी नहीं कर सकते नोकरी में बच्चे हो गए तो फिर प्रमोशन नहीं ले सकते या फिर नोकरी से हटाने का खतरा है यह कानून देश की भावनाओं के खिलाफ है देश के विधान के खिलाफ है लेकिन सभी ने इसे ल्ब्बेक कह दिया है एक विधायक .एक सांसद एक मंत्री एक राष्ट्रपति तो दो बच्चों से ज्यादा वाला बन सकता है लेकिन एक चपड़ासी एक पंच एक सरपंच एक वार्ड पार्षद दो बच्चों से ज्यादा वाला नही बन सकता यह प्रतिबन्ध भी एक तरह से गर्भ में ही लडकियों की हत्या का कारण बना हुआ है .आप और सभी जानते है के जिसके पहली लडकी हुई अगर दूसरी भी लडकी है लिंग परीक्षण हुआ तो फिर वोह देशी भाषा में सफाई कराना या फिर डी ऍन सी कराने की बात कहेगा सभी चिकित्सक अपने सीने पर हाथ रख कर सोचें वोह कितने लिंग परीक्षण करके ऐसी गर्भ में पलने वाली बेटियों की हत्या कर देते है ....यह कानून अगर बदल जाए तो काम से काम तीस प्रतिशत लडकियों की तो गर्भ में हत्या होना बंद हो जाए लेकिन सरकार तो सरकर है सरकार की बला से बच्चियां पेट में मरती है तो मरने दो ....जेसे तम्बाकू ..सिगरेट .शराब स्वास्थ्य के लियें हानिकारक है सरकार जानती है खाने पीने वाले को चेताती है लेकिन रूपये कमाने के लियें यह जहर जनता के बीच में खुद ही बिकवाती है ऐसे ही यह दोहरी चाल सरकार एक तरफ गर्भ में बच्चियों की हत्या रोकने का कानून बनाती है तो दुरी तरफ ऐसे कानून बना कर इस काम के लिए जनता को उकसाती है ...एक और बात सरकार चाहे तो भारत में आने वाली सभी विदेशी सोनोग्राफी मशीनों और देश में बन्ने वाली सोनोग्राफी मशीनों में एक सोफ्टवेयर ऐसा डलवा सकती है जिससे इस मशीन से लिंग परीक्षण किसी भी सूरत में नहीं हो सके और अगर कोई करे तो वोह मशीन में अंकित हो जाए जिससे ऐसे कारोबारियों को पकड़ने में आसानी हो सकेगी लेकिन भाइयों चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात यहाँ रोज़ ज़िंदा लोग मरते है तो गर्भ में मरने वाली बेटियों से सरकार को क्या हमदर्दी हो सकेगी इसके लिए चिकित्सा कोंसिल भी गम्भीर नहीं है वरना चिकत्सक खुद इसे व्यवसाय से अलग करदें और सख्ती से ऐसे परीशां कराने वालों को जेल भिजवाये तो यह हालात खुद सुधार जाए लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा शायद हाँ शायद नहीं ..................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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