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12 मई 2012

एक 'श्रवण कुमार' ऐसा जिसे देख हर मां-बाप हैरान


जबलपुर इतिहास अपने आप को दोहराता है, ऐसा आपने कई बार सुना होगा। मातृ भक्ति का ऐसा ही एक उदाहरण मघ्यप्रदेश के जबलपुर में देखने को मिला। मदर्स डे पर इससे अच्छा उदाहरण भला क्या होगा ।


कलयुग के इस श्रवण कुमार की मातृ भक्ति के कायल पूरे जबलपुर के लोग है। यह युवक अपनी मां को पिछले 14 वर्षों से कंधे पर बांस के सहारे दो टोकरियों में बैठाकर तीर्थदर्शन करवा रहा है। इन्हें देखकर हर कोई हैरान है और इनके किए हुए संकल्प को लोग प्रणाम कर रहे है। कैलाश नाम का यह युवक मध्यप्रदेश के जबलपुर का है और वर्तमान में बद्रीनाथ व केदारनाथ के दर्शन कराके अपनी मां को लेकर दूसरे तीर्थ पर जाने का विचार कर रहा है।



कौन थे श्रवण कुमार
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दशरथ के अयोध्या शासन काल में वैष्णव ब्राह्मण पिता शांतनव और वैष्णव शूद्र मां ज्ञानवती के घर एक बालक पैदा हुआ जिसका नाम आगे चलकर श्रवण कुमार के नाम से जाना गया। कथा के अनुसार ऐसा हिंदू विश्वास है कि बुढ़ापे में विभिन्न धार्मिक स्थलों और पवित्र स्थानों की तीर्थयात्रा आत्मा को शुद्ध करती है। अपने नेत्रहीन माता-पिता की इस अन्तिम इच्छा को पूर्ण करने के लिए उन्होंने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। अपने माता-पिता को कंधे पर बांस के सहारे दो टोकरियों में बैठाकर वे तीर्थदर्शन पर निकल गए थे बीच यात्रा में दशरथ के बाण से उनके प्राण चले गए थे हालांकि बाण भूलवश चलाया गया था।

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