मूल जोधपुर के निवासी डॉ. पाराशर पिछले 25 वर्षो से ओष्टियोपैथी चिकित्सा पद्धति से लोगों का उपचार कर रहे हैं। डॉ. पाराशर का मानना है कि हड्डियों में दर्द का सीधा संबंध उठने-बैठने और सोने से है। मानव शरीर की पेचीदी रचना ही कई तकलीफों का कारण है और हड्डियों में दर्द की समस्या को निश्चित दबाव से ठीक किया जा सकता है। ओष्टियोपैथी चिकित्सा पद्धति से हड्डियों, मांसपेशियों और नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे उस स्थान पर एकत्र पित्त निकल जाता है, और ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ जाती है। इस तरह बिना दवा के ही दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
ओष्टियोपैथी की विश्व भर में बहुत मांग है :
डॉ. पाराशर के बताए अनुसार इस चिकित्सा पद्धति की पूरे विश्व में मांग है। बात बहुत सीधी सी है कि दवाएं शरीर के लिए जितनी फायदेमंद होती हैं, उतनी ही नुकसानदायक भी। इसलिए हरेक व्यक्ति दवाओं के प्रयोग से बचने की कोशिश करता है। डॉ. पाराशर से युएसए, यूके, युएई और भारत के प्रेसिडेंट से लेकर कई जानी-मानी हस्तियां भी इस चिकित्सा पद्धति से उपचार करवा चुकी हैं।
गुजरात से अमेरिका पहुंची थी यह चिकित्सा पद्धति
डॉ. पाराशर के अनुसार सन् 1812 में डॉ. एंड्रयु टेलर नामक एक चिकित्सक जूनागढ़ आया था। यहां एंड्रयु तीन महीने रुके थे और इस ओष्टियोपैथी की यहां के नीम-हकीमों से तालीम ली थी। इसके बाद उन्होंने अमेरिका में इस चिकित्सा पद्धति की तालीम हेतु एक कॉलेज शुरू किया था। यह बात खुद एंड्रयु टेलर ने अपनी एक पुस्तक में लिखी है।
व्हाइट हाउस में अब तक चार कैंप :
डॉ. पाराशर ने बताया कि दुनिया भर में वे अब तक 1700 से अधिक निशुल्क कैंप लगा चुके हैं। इसमें से उनके चार कैंप तो अमेरिका के व्हाइट हाउस में भी लग चुके हैं।
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