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13 मई 2012

बेटी बचाओ के नारे और सघन तलाशी के साथ हुआ मदरसा बोर्ड कार्यालय का शिलान्यास

जी हाँ दोस्तों जयपुर में कल राजस्थान मदरसा बोर्ड के कार्यालय का शिलान्यास मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार ने बढ़े ही अजीबोगरीब अंदाज़ में क्या एक तरफ तो वोह राजस्थान के दूर दराज़ इलाकों से कार्यक्रम में शामिल आई भीड़ को देख कर गद गद थे दूसरी तरफ वोह किसी भी विरोध की आशंका से घबराए हुए से लग रहे थे ........मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुरान की आयतों के साथ मोलानाओं की उपस्थिति में मदरसा बोर्ड के कार्यालय का शिलान्यास किया पहले यह तीन मजिल का बनना था लेकिन मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक ने जब उनसे पचास लाख और अतिरिक्त देकर इस भवन की निव पांच मंजिला तक बनाने की मजबूत करने की मांग की तो उन्होंने इसे स्वीकार करते हुए पचास लाख अतिरिक्त देने की घोषणा करदी ..मुख्यमंत्री ने अपने चिर परिचित लुभावने और प्रभावशाली अंदाज़ में पहले ऐतिहासिक भीड़ को देखा और फिर उसे अपनी कामयाबी मानते हुए निहारा और कहा के आजके कार्यक्रम की शुरुआत बेटी बचाओं के संकल्प के साथ शुरू है ..पहले मेरा नारा था पानी बचाओ ..बिजली बचाओ ...व्रक्ष लगाओ ..अब बेटी बचाओ का नारा और सभी को पढाओ के नारे के बाद यह पंचशील सिद्धांत हो गया है ..उन्होंने कहा के मदरसों में कहते थे के आतंकवाद पलता है लेकिन किसी भी मदरसे में ऐसी गतिविधिया नहीं है ..उन्होंने कहा के पहली बार मदरसों में लडकियों को कम्प्यूटर पर उंगलिया चलाते देख में गदगद हो गया इससे देश सुधरेगा समाज सुधरेगा ..मजेदार बात तो यह थी के एक तरफ तो मुख्यमंत्री मदरसों पर लगे आतंकवाद के लगे आरोपों को झुटला कर मदरसों को आतंकवादी नहीं होने का क्लीन चिट दे रहे थे और दूसरी तरह उन्हीं की पुलिस उन्ही के सुरक्षा कर्मी मदरसे के इस कार्यक्रम में आने वाले लोगों को आतंकवादियों की तरह से लाइन में लगा कर कठोर तलाशी लेकर अपमानित कर रहे थे लोगों का कहना था के कितनी विरोधाभासी बात है के कार्यक्रम में तो आगंतुकों की अपमानकारी तलाशी और मंच से मदरसों को क्लीन चिट यह मुसलमान को बेवकूफ बनाने के लियें काफी है ..एक विरोधाभास और रहा एक तरफ तो बेटी बचाओं बेटी पढाओं का नारा था और दूसरी तरफ मंच पर बेठी दो बेटियां जयपुर की महापोर ज्योति खंडेलवाल और राज्यमंत्री नसीम अख्तर को मंच से बोलने तक का मोका नहीं दिया इस तरह से करनी और कथनी में अंतर साफ़ नज़र आता रहा ......कार्यक्रम के आने के पहले विरोधियों का एक संदेश के मदरसा पेरा टीचर्स की क्या पहचान सर पर सफेद टोपी जेब में काला रुमाल चर्चा का विषय रहा लोगों का कहना था के मदरसों के साथ पक्षपात क्यूँ एक तरफ राजिव गाँधी पाठ शाळा और सर्वशिक्षा कार्यक्रम के तहत लागे पेरा टीचर्स को विभिन्न विशिष्ठ सुविधाओं के साथ सात हजार रूपये प्रति माह का वेतन मान मिलता है लेकिन मदरसा पेरा टीचर्स को केवल साढ़े तीन हज़ार रूपये प्रति माह तो यह भेद भाव खत्म होकर समान व्यवहार होना चाहिए लेकिन मंच से माहिर आज़ाद ने यह बात उठाई भी तो मुख्यमंत्री महोदय ने इस पर तवज्जो नहीं दी और कुछ लोग इसी बात का विरोध करना चाहते थे शायद इसी लियें कड़ी सुरक्षा और तलाशी अबियाँ के तहत प्रत्येक मुसलमान और जाने वाले के साथ आतंकवादियों जेसा बर्ताव कर उन्हें शर्मिंदा किया जा रहा था .........जेब में काला रुमाल और सर पर सफेद टोपी पर सारी नज़र थी ...मिडिया वहां था लेकिन मुख्यमंत्री के सुरक्षा घेरे के कारण अपमानित सा था मिडिया को सही तरह से मंच के पास पहुंच कर रिपोर्टिंग करने और फोटोग्राफी करने की अनुमति भी नहीं थी ..मिडिया ने इस अपमान के बाद भी कार्यक्रम का बहिष्कार तो नहीं किया लेकिन यह जो सारी बातें सारा सच मेने बताया है उसे देख कर भी नजर अंदाज़ किया और न जाने किन कारणों से आज यह विरोधाभासी कार्यक्रम की रिपोर्टिंग अखबारों और टी वी चेनलों से गायब थी मेने मिडिया के कई कर्मियों को यही सब चर्चा करते सुना था लेकिन आज जब अख़बार में यह सच नहीं देखा तो सोचा मिडिया जेसा है उसकी जाओ मजबूरी है आप सभी लोग जानते है लेकिन सच तो आप तक पहुंचाना था इसलियें में कार्यक्रम की सफलता का पक्षधर होने के बावजूद भी यह सच आप लोगों से शेयर कर रहा हूँ .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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