आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

08 अप्रैल 2012

इनकी हिम्मत और जज्बात, मुर्दे में फूंक देंगे जान!




अहमदाबाद. जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए रोज नए प्रयोग किए जा रहे हैं। आईआईएम अहमदाबाद में आयोजित प्रतियोगिता में 35 कॉलेजों के 5 हजार छात्रों ने अपने इनोवेशन प्रदर्शित किए। जानिए इनमें से सबसे खास इनोवेशन्स के बारे में।

कहीं नहीं अटकती यह व्हील चेयर

विकलांग लोगों के लिए महज 3 हजार रुपए की लागत से बनाई गई यह व्हील चेयर बैटरी से चलती है। इसे सिर्फ एक जॉयस्टिक की मदद से ऑपरेट किया जा सकता है। यह सीढिय़ां भी चढ़ सकती हैं। बुजुर्गों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसका बैटरी से चलने वाला मॉडल भी तैयार किया जा रहा है। किसने बनाया: आईआईटी कानपुर की शानु शर्मा।

एलपीजी से चलेगा फ्रिज

बिजली न होने पर भी यह फ्रीज आपके घर में पानी ठंडा रखेगा। एलपीजी गैस से चलने वाले इस फ्रिज में गर्मी नियंत्रित करने वाला यंत्र लगा है। जिसमें कई पाइप हैं। इन पाइप में अंदर गैस है और बाहर की ओर कई छोटे-छोटे पंख। ये पंख पाइप की गर्माहट को कम करते हुए फ्रिज में रखा सामान ज्यादा समय तक ताजा और ठंडा रखते हैं। किसने बनाया: एलसीआईटी, मेहसाणा के छात्र मयंक पटेल, विरेन पटेल और चिंतन पटेल।

आसानी से बनाएं अगरबत्ती
अगरबत्ती बनाने वालों के हाथ छिल जाते हैं और कमर में दर्द हो जाता है। इनसे राहत देगी यह मशीन। इसे हाथ से चलाया जाएगा। इससे कम समय में ज्यादा अगरबत्तियां बनाई जा सकेगी। एक दिन में लगभग 6 हजार। इस मशीन में अगरबत्ती का पेस्ट रख दिया जाता है। कटिंग रोलर से गुजरने के बाद वुडन रोलर से अगरबत्ती स्टिक बनकर बाहर निकलती है।
किसने बनाया: आईआईटी-गांधीनगर के छात्र केशव ने 6 हजार की लागत से ।

फिल्टर हैंड पम्प- जीवनधारा
इस मशीन को सीधा हैंड पम्प के अंदर ही फिट किया जाता है, जिससे कि पानी फिल्टर हो कर ही बाहर निकलता है। हैंड पम्प के तीन मॉडलों के हिसाब से तीन प्रकार के फिल्टर बनाए गए हैं। इनकी कीमत 12 हजार से 20 हजार रूपए तक है। अभी इस पर और शोधकार्य हो रहा है जिससे कि उसकी कीमत कम हो सके।
किसने बनाया: आईआईटी, खडगपुर के छात्र कीर्ति रंजन, संखिया मोहती और सुसान्त संची।

इशारों को बदलें आवाज में
जो लोग सुन नहीं सकते, उनके लिए यह मशीन बहुत उपयोगी है। यह आवाजों को लिखित संदेश में बदल देती है। साथ ही जो लोग बोल नहीं सकते वे भी इसके जरिए अपनी बात लोगों को समझा सकते हैं क्योंकि यह उनके हाथों के इशारों को आवाज में बदल देती है। हालांकि इसे बनाने की लागत अभी कुछ ज्यादा है - ढाई लाख रुपए।
किसने बनाया: भुट्टा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्र सौरभ साकेत, राहुल रंजन।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...