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10 मार्च 2012

देश में धर्म के नाम पर पनप रहे अधर्म के व्यापार को रोकने के लियें प्रथक से धर्म मंत्रालय का गठन कर इस मामले में सख्ती की जरूरत है .

देश में धर्म के नाम पर पनप रहे अधर्म के व्यापार को रोकने के लियें प्रथक से धर्म मंत्रालय का गठन कर इस मामले में सख्ती की जरूरत है .....सभी जानते है के देश की संस्क्रती धर्म आधारित है और धर्म का जब हमारे देश में सम्मान था तो देश विश्व स्तर पर सोने की चिड़िया कहलाता था लेकिन धर्म के चरित्र में गिरावट निरंतर होने से देश के हालात बिगड़ने लगे है देश में धर्म के नाम पर दल गुट फिरके पैदा हो गए है पहले तो एक ही धर्म के लोग फिरकों में बंट कर लड रहे है दुसरे अपने अपने धर्म की गलत परिभाषाएं पढाये जाने से देश में नफरत की आग भडक रही है और धर्म का जो मूल भाव मूल शिक्षा भाई चारे और सद्भावना राष्ट्रिय एकता की है वोह इन झगड़े फसाद में विलीन हो गयी है धर्म के नाम पर चंदा वसूली एशो इशरत एक व्यापार बन गया है और प्रत्येक धर्म का अर्थ का अनर्थ निकालकर लोगों को पढ़ाया जा रहा है जिससे नफरत का भाव निरंतर बढ़ता जा रहा है और समाज ही समाज का दुश्मन होता जा रहा है यही वजह है के समाजों में बुराइयां चरम सीमा पर हैं .............दोस्तों जरा आप अपने जमीर पर हाथ रख कर देखे और अपने अपने धर्म की मूल पुस्तक मूल संदेश पढ़ कर आज के महात्मा और मोलवियों द्वारा दी जा रही शिक्षा से इसकी तुलना करे खुद बा खुद आपको इन धर्मगुरुओं से नफरत होने लगेगी जो धर्मगुरु अपने मज़हब की शिक्षा इमानदारी से दे रहे हैं समाज में इन तन्ख्य्ये मोलवी और पंडितों ने उनका विरोध शुरू कर दिया है इन परिस्थितियों में देश में चरित्र निर्माण और अधर्म पर धर्म की जीत के लिएँ अब धर्म प्रचार को सुव्यवस्थित और नियंत्रित करना आवश्यक हो गया है ..दोस्तों अगर देश में एक प्रथक से धर्म नियंत्रक मंत्रालय स्थापित किया जाए जिसमे सभी धर्मों के विशेषग्य धर्म गुरुओं को साथ रखा जाये और उनकी मूल धर्म संदेश पुस्तक के हिसाब से धर्म की शिक्षा दी जा रही है या नहीं इसे नियंत्रित किया जाए ..धर्म के जो भी शेक्षणिक कोर्स हों वोह सरकार द्वारा नियंत्रित हो ..साधू हो ..सन्यासी हो ..महंत हो ..शन्कराचार्य हो ..पंडित हो ..मोलवी हो ..मुल्ला हो .मोलाना हो ..काजी हो ..मुफ्ती हो ...क्रिश्चियन और सिक्ख के धर्म गुरु हो सभी लोगों का सरकार अपना रिकोर्ड रखे इनका पहचान पत्र जारी हो ..थानों से इन लोगों की तस्दीक हो यह लोग कहां और किस जिले किस गनाव किस थाना क्षेत्र के हैं इसकी सभी को जानकारी हो इनकी धार्मिक शिक्षा की डिग्रियां जो मान्यता प्राप्त इदारों से हो वोह सार्वजनिक प्रदर्शन के स्थान पर लगाने का प्रावधान हो उसकी जांच हो और इनके द्वारा दी जाने वाली शिक्षा या धर्म प्रचार मामले में यह पाबंदी हो के धर्म शास्त्रों जेसे गीता ..कुरान वगेरा में जो लिखा है जो धर्म कानून बनाये गये हैं उनके विपरीत कोई धर्मप्रचार किसी भी समाज को गुमराह कर नहीं किया जाए अगर कोई भी ऐसा धर्म प्रचारक या मोलवी..मुल्ला ...काजी .मुफ्ती ..साधू..संत...महंत...शन्कराचार्य ..गुरुग्रंथी ..फादर ..धर्म ग्रंथों की भावनाओं के विपरीत लोगों को धर्म के नाम पर गुमराह करते हुए पाया जाए तो उसे दंडित करने का प्रावधान हो और अगर ऐसा कोई भी धर्म प्रचारक अपने धर्म प्रचार को धार्मिक रीती रिवाजों ..धर्म ग्रंथों और पूर्व इतिहास से साबित करने में असमर्थ रहे तो उसे खतरनाक दंड दिए जाने का प्रावधान हो इसके लियें धार्मिक गुरुओं का एक पेनल तय्यार हो जो इन लोगों की शिकायतें सुने ...दोस्तों यह बात चाहे आपको हास्यास्पद सी लगे लेकिन आप सभी जानते हैं के आज कल सभी लोगों ने कुछ एक अपवादों को छोड़ कर धर्म को रोज़गार का जरिया पेट पालने का जरिया बना लिया है ..चंदे करना ..समाजों को अलग अलग बांटना ..और महल जेसे धार्मिक स्थलों का निर्माण कर उनमे एश करना कुछ लोगों ने फेशन बना लिया है और धर्म स्थलों के नाम पर लोग अपनी जागीरें और सत्ता बनाने लगे है ..सभी जानते है के कई कथित धर्म शिक्षाएं धर्मग्रंथों के नियमों के विपरीत दी जाती है और कई स्थानों पर तो स्न्वम्भु धर्मगुरु हैं जो ना तो नमाज़ पढ़ते हैं और ना ही पूजा पाठ करते है ..कई धार्मिक कार्यों में लगे लोग खुद अधर्म के कार्यों से जुड़े हैं ....यही वजह है के देश में गुटबाजी फेलने लगी है चारित्रिक शिक्षा खत्म हो गयी है और अस्तित्व को लेकर विवाद होने लगे है फर्जी लोगों द्वारा रूपये लेकर फतवेबाजी के किस्से तो पिछले दिनों इलेक्ट्रोनिक मिडिया ने खुलेआम टी वी पर दिखा कर लोगों के होश उड़ा दिए थे इसी तरह से पंडितों और धर्मगुरुओं के विवादित कथन कई बार सुख शान्ति के लियें सर दर्द बन चुके है ..आज समाज में यह पता करना मुश्किल है के जो धर्मगुरु है वोह काबिल मान्यता प्राप्त संस्था से कोर्स करके आये हैं या नहीं और अगर कोर्स मान्यता प्राप्त है तो उनकी डिग्री कहाँ है फिर अगर एक स्थान से दुसरे स्थान पर कोई धर्म के नाम पर रोज़ी कमाने जाता है तो उसकी सकुनत पता कहाँ का है उसकी तस्दीक भी नहीं हो पाती है और बाद में दिक्क़तों का सामना करना पढ़ता है .ऐसे में सरकार अगर सभी धर्मों के मूल स्वरूप को जीवित रखते हुए धर्म के नाम पर अधर्म फेलाने वालों को सुनवाई का अवसर देकर दंडित करने का प्रावधान रखे तो शायद देश के बहुत कुछ हालात सुधार जाएँ और देश में चरित्र शिक्षा को बढ़ावा मिले और मूल धर्म शिक्षा का प्रचार प्रसार हो जिससे देश में मानवता और मानव सेवा ..सुख शांति का माहोल बने .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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