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19 मार्च 2012

वैज्ञानिकों को नहीं हुआ यकीन, जब मंदिर के अंदर देखा वो चमत्कार!

राजस्थान के मेहंदीपुर वाले बालाजी देश ही नहीं दुनियाभर में लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां नास्तिक से नास्तिक व्यक्ति भी आस्तिक बन जाता है, आज के वैज्ञानिक युग के वैज्ञानिक भी यहां नतमस्तक हुए बगैर नहीं रहते है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है।

हर दिन बालाजी महाराज के दर्शन करने के लिए भक्तों की लम्बी कतार देखी जा सकती है , यह मंदिर अरावली पहाड़ियों के बीच बना हुआ है, इसे घाटा मेहंदीपुर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का इतिहास लगभग हज़ार साल पुराना है।श्री बालाजी महाराज(हनुमान जी), प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल (भैरव) जी महाराज तीनों ही देवों की इस स्थान पर प्रधानता है जो लगभग हज़ार साल पहले यहां प्रकट हुए थे।

कुछ ऐसा है बालाजी का इतिहास:

एक बार यहां महंतजी के पूर्वजों को स्वप्न में एक अद्भुत शक्ति दिखाई दी। वे स्वप्नावस्था में उस ओर चल दिए और उन्होंने देखा उनके सामने लाखों दीप सहसा जल उठे। वे इस दृश्य देख अचंभित हो उठे, फिर स्वप्न में उन्हें उसी स्थान पर तीन मूर्तियां के साथ विशाल वैभव दिखाई दिया, साथ ही एक फ़ौज भी दिखाई दी, फ़ौज के सरदार ने मूर्तियों को प्रणाम किया। उसके साथ ही उन्हें एक आवाज़ सुनाई दी, बालाजी महाराज ने स्वयं प्रकट होकर कहा 'उठो भक्त मेरी सेवाओं का भार ग्रहण करो मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूंगा' ।

सुबह महंतजी ने यह घटना क्षेत्र के लोगों को सुनाई और उन्ही के साथ मिलकर उन्होंने बालाजी महाराज की एक छोटी सी तिवाड़ी उस स्थान पर बना दी। काफी समय बाद एक शासक ने श्री बालाजी की मूर्ति निकालने के लिए खुदाई करवाई लेकिन वह सफल ना हो सका, उसके हाथ सिर्फ मूर्ति का ऊपरी भाग ही आया मूर्ति के पैर कहां तक गए हैं, यह काफी खुदाई के बाद भी वह ना जान सका। कहा जाता है कि तब से किसी को भी श्री बालाजी के चरणों के दर्शन आज तक नहीं हुए

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