आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

12 मार्च 2012

लीक से हटकर:...इस अनोखी खोज के पूरे होते ही हम जानवरों से बात कर पाएंगे



संगीत एक ऐसा माध्यम है, जिससे इस दुनिया का हर जीव जुड़ा है। संगीत सीमाओं के पार ही हमें नहीं जोड़ता ,बल्कि इंसान और पशु पक्षियों के मध्य भी एक संवाद कायम करता है।अगर यह कहा जाय, कि चिडिय़ा की चहचहाट और कोयल की कूक में भी हमारे हकलाने और बोलने में अटकने का राज छुपा है ,तो आप इसे कुछ लीक से हटकर की गयी बात समझेंगे ....जी नहीं ये बात बिल्कुल सत्य है ,यू.सी.एल.ए. के जीव-वैज्ञानिकों का ऐसा ही मानना है।

वैज्ञानिकों ने एक पक्षी के दिमाग में एक ऐसे हिस्से को ढूढने में कामयाबी पायी है,जिसमें लगभग 2000 जीन स्थित हैं और इसे एरिया एक्स नाम दिया गया है, ऐसा पहली बार हुआ की किसी चिडिय़ा के दिमाग के किसी हिस्से में संगीत की धुनों से जुड़े 1500 जींस देखे गए हों। यू.सी एल.ए. के वैज्ञानिकों ने इससे से पहले भी एरिया एक्स के 400 जींस को चिडिय़ाओं के चहचहाट के साथ उनके स्तरों में होने वाले बदलाव को नोट किया था..यू.सी.एल.ए.के एसोसीएट प्रोफेसर स्टीफन व्हाईट का मानना है, कि इन 2000 में से कुछ जींस मानव मस्तिष्क में भी पाए जाते हैं, जिनका सम्बन्ध हमारे बोलने,गाने और गुनगुनाने से है। यह अध्ययन न्यूरोसाइंस के ऑनलाइन जर्नल न्यूरोन में प्रकाशित हुआ है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि ये जींस एक नेटवर्क से लयबद्ध होते हैं और एक दूसरे से सुरताल में मिलकर जुड़े रहते हैं इन्ही के कारण हर जीव अपनी भाषा एवं बोली से संवाद कायम करने में कामयाब होते हैं। इन्ही जींस में नयी आवाज पैदा करने से लेकर गीत-संगीत की धुनों को निकालने तक का राज छुपा है..यानि यह शोध सभी जीवों में गीत संगीत एवं धुनों की समानता को व्यक्त करता है ....शायद वह दिन दूर नहीं जब इन जींस में छुपे राज से हम पशु पक्षियों के बीच भी संवाद कायम कर सकें ..।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...