पूर्वी अहमदाबाद के ओढ़व सोनी की चाल के पास कुतुबुद्दीन का तीन मंजिला मकान है। वहां वे तीन बेटियों, पत्नी और वृद्ध मां के साथ रहते हैं। दस साल पहले कपड़े काटने का काम करने वाले ‘कटर मास्टर’ की खुद की रेडीमेड फैक्टरी है।
वे कहते हैं कि मेरी यह प्रगति सरकारी मदद के चलते नहीं हुई। हिंदू-मुस्लिम मित्रों ने सहयोग दिया। वह कहते हैं कि दंगों के बाद पश्चिम बंगाल ने मुझे आश्रय देने की पेशकश की थी। मैं गुजरात को भूल नहीं पाया। लौट आया। मकान की ऊपरी मंजिल पर कारखाना शुरू किया। पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज फैक्टरी में छह कारीगर है।
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