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29 फ़रवरी 2012

इन्हें हल्के में मत लीजिएगा, नाम है - कड़कनाथ, कमाल की है विशेषता

इंदौर। अपने लज्जतदार स्वाद के साथ सेहत के लिए बेहतर माने जाने वाले मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के प्रसिद्घ कड़कनाथ मुर्गे को जल्द ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होने वाली है। कड़कनाथ का ज्योग्राफिकल पंजीयन कराने पर कार्य किया जा रहा है।

इस पंजीयन के बाद कड़कनाथ को पालने और इसके विपणन से जुड़े लोगों के लिए व्यापार के नए आयाम खुल जांएगे। दूसरी ओर भारत सरकार भी इस विलुप्त होती प्रजाती को बचाने के लिए प्रयास कर रही है। आपूर्ति के मुकाबले इसकी मांग काफी कम होने से खुले बाजार में कड़कनाथ 550 रुपये से 600 रुपये प्रति किलो के दर से बिक रहा है।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विकास मंत्रालय और सीआईआई के सहयोग से इंदौर में स्थापित बौद्धिक संपदा सुगमता केन्द्र (आईपीएफसी) के अधिकारियों का कहना है कि हमारा काम बौद्धिक संपदा के बारे में एमएसएमई एवं लोगों की जागरुकता बढ़ाना है ताकि प्रदेश के लघु और मध्यम उद्योग विश्व बाजार में अपनी पैठ जमा सकें।

इसी के तहत आईपीएफसी झाबुआ जिले में पाई जाने वाली मुर्गे की अनोखी प्रजाती कड़कनाथ चिकन का ज्योग्राफिकल पंजीयन कराने जा रहा है। स्थानिय भाषा में कड़कनाथ चिकन को कालामासी कहा जाता है। आईपीएफसी का कहना है कि इसका ज्योग्राफिकल इंडीकेशन पंजीयन हो जाने से मध्यप्रदेश को अंतराष्ट्रीय ख्याती मिलेगी वहीं इसके व्यवसाय में भी जोरदार विकास होगा।

स्वाद के साथ बेहतर सेहत भी

केंद्रीय खाद्य परीक्षण एवं अनुसंधान संस्थान मैसूर ने एक कड़कनाथ पर एक शोध किया था। जिसके अनुसार कड़कनाथ पक्षी का मांस स्वादिष्ट होने के साथ आसानी से पचने वाला होता है।

इसे हृदय रोगियों के लिए भी श्रेष्ठ आहार माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा 25.47 व चर्बी महज 3.4 प्रतिशत होती है। वहीं आर्दता 70.33 प्रतिशत पाई गई। इसके चलते कड़कनाथ मुर्गे की मांग काफी अधिक रहती है। मांग के मुकाबले इसकी आपूर्ति कम रहने से इस प्रजाती के विलुप्त होने का खतरा रहता है। इस जाती को बचाने के लिए सरकार भी प्रयास कर रही है।

मध्यप्रदेश में झाबुआ सहित 16 स्थानों पर कड़कनाथ कुक्कुट प्रक्षेत्र बनाया गया है जहां पर इस प्रजाती का संरक्षण कर विकास किया जा रहा है। शासकीय कड़कनाथ कुक्कुट प्रक्षेत्र झाबुआ के प्रबंधक डॉ एनएस अखाड़े का कहना है कि विशेष तौर से झाबुआ जिले में पाई जोन वाली इस प्रजाती का विकास अब मध्यप्रदेश के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी किया जा रहा है।

वर्तमान में कड़कनाथ कुक्कुट प्रक्षेत्र झाबुआ में कड़कनाथ मुर्गे-मुर्गियों की संख्या-992 है। जबकि प्रतिदिन 220 अंडों का उत्पादन हो रहा है। यहां पर दो माह पहले सेटर व हेचर मशीन लगाई गई है जिसकी सहायता से अंडे से चूजों का उत्पादन किया जा रहा है। मशीन में तापमान व आद्रता मैंटेन करनी पड़ती है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मार्च अंत तक झाबुआ में प्रतिदिन 400-450 अंडों का उत्पादन किया जा सकेगा।

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