शनिवार, 4 फरवरी 2012
"जन्मदिन है आज मेरा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
आज 4 फरवरी है!
जन्मदिन का जश्न है केवल छलावा,
लोग कहते हैं अँधेरे को सवेरा।।
घट गया इक साल मेरी उम्र का,
लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।।
आस का दामन पकड़कर चल रहा हूँ,
ज़िन्दगी की जेल में मैं पल रहा हूँ,
अब धरा की एक ढलती शाम हूँ मैं
क्या पता कब उजड़ जाए ये बसेरा।
लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।।
टिमटिमाता हुआ सा खद्योत हूँ मैं,
सिन्धु में ठहरा हुआ जलपोत हूँ मैं,
सबल लहरों से भला कब तक लड़ूँगा,
तिमिर ने चारों तरफ से आज घेरा।
लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।।
कब तलक लंगर सम्भाले मैं रहूँगा,
कब तलक मैं रोग की पीड़ा सहूँगा,
है सफर की आखिरी मंजिल अज़ल,
चाँदनी के बाद आता है अँधेरा।
लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।।
http://uchcharan.blogspot.in/2012/02/blog-post_04.html
"जन्मदिन है आज मेरा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
आज 4 फरवरी है!
जन्मदिन का जश्न है केवल छलावा,
लोग कहते हैं अँधेरे को सवेरा।।
घट गया इक साल मेरी उम्र का,
लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।।
आस का दामन पकड़कर चल रहा हूँ,
ज़िन्दगी की जेल में मैं पल रहा हूँ,
अब धरा की एक ढलती शाम हूँ मैं
क्या पता कब उजड़ जाए ये बसेरा।
लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।।
टिमटिमाता हुआ सा खद्योत हूँ मैं,
सिन्धु में ठहरा हुआ जलपोत हूँ मैं,
सबल लहरों से भला कब तक लड़ूँगा,
तिमिर ने चारों तरफ से आज घेरा।
लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।।
कब तलक लंगर सम्भाले मैं रहूँगा,
कब तलक मैं रोग की पीड़ा सहूँगा,
है सफर की आखिरी मंजिल अज़ल,
चाँदनी के बाद आता है अँधेरा।
लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।।
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