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13 फ़रवरी 2012

ख़त्म होकर भी भारत-पाक की फिजाओं में गूंजती है यह प्रेम कहानी!

यह प्रेम कहानी है राजकुमारी मूमल और राणा महेंद्र सिंह की, जो जैसलमेर के इतिहास में आज भी अमर है, आज भी जब यहां हर साल मरू उत्सव मनाया जाता है और राजकुमारी मूमल की याद में मिस मूमल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है इतना ही नहीं यहां एक होटल का नाम भी राजकुमारी मूमल की याद में ही रखा गया है।

पाकिस्तान के घोटकी जिले के मीरपुर कस्बे मूमल जे मारी के खंडहरों पर राजकुमारी मूमल और राणा महेंद्र सिंह की याद में एक सांस्कृतिक परिसर का निर्माण भी किया गया है| जिसके निर्माण कार्य के लिए सिंध सांस्कृतिक विभाग ने सौ करोड़ रूपये आबंटित किये|
कहानी कुछ इस प्रकार है, काक नदी के किनारे जो कि इंडस नदी के समान ही बड़ी थी, एक राज्य हुआ करता था जहां आज मीरपुर मथालो है| उस राज्य के शासक राजा नन्द की नौ बेटियां थीं|

इन नौ बेटियों में राजकुमारी मूमल जहां सुन्दरता की मिसाल थीं वहीँ उनकी बहन सूमल की बुद्धि का कोई सानी नहीं था| एक बार जब राजा नन्द शिकार के लिए गए हुए थे तो उन्हें जंगल में एक जादुई हाथी दांत मिला जो नदी में प्रवेश कर खजाने को छुपा सकता था लेकिन तभी एक जादूगर महल में आया और राजकुमारी मूमल ने वह हाथी दांत उस जादूगर को दे दिया,और उसके बाद पिता के डर से राजकुमारी मूमल और सूमल ने महल छोड़ दिया और एक जादुई स्थान बनवाया जहां उनकी मुलाकात महेंद्र सिंह से हुई जो कि अमरकोट के राजकुमार थे|
राजकुमारी मूमल की सुन्दरता को देखकर हर कोई उनकी ओर आकर्षित हो रहा था लेकिन राजकुमारी ने किसी को भाव तक नहीं दिया| जब उनकी मुलाकात राणा महेंद्र सिंह से हुई तो वे उनकी ओर आकर्षित हो गईं वहीं राणा भी राजकुमारी पर मोहित हो गए और उनके महल में प्रवेश के लिए उन्होंने राजकुमारी की दासी को रिश्वत दी, और राजकुमारी का दिल जीतने में लग गए और सफल भी हो गए|

दोनों की प्रेम कहानी परवान चढ़ ही रही थी कि एक छोटी सी गलत फहमी के चलते दोनों ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली| यह दर्दनाक प्रेम कहानी बाद में पारंपरिक कथा के रूप में प्रसिद्द हुई|

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