जोसेफ जब 11 वर्ष का था, उसकी मां मर गयी। उसके पिता ने दूसरी शादी की और उसके घरवालों ने उसे त्याग दिया। उसे अपना पेट पालने के लिए रोजगार पाने में काफी परेशानी हुई। एक वर्कहाउस में चार साल काम करने के बाद 1884 में जोसेफ ने एक शोमेन सैम टोर्र से बात किया। सैम ने एक ग्रुप बनाया और जोसेफ का तमाशा लंदन में दिखाया जाने लगा।
एक सर्जन फ्रेडरिक ट्रेव्स की नजर जोसेफ पर पड़ी। उसने जोसेफ को मेडिकल जांच के लिए बुलाया और उसकी तस्वीरे खींची। जोसेफ का शो लंदन में जहां होता था उस दुकान को पुलिस के द्वारा बंद कर दिया गया, तब उसका मैनेजर शो विदेशों में करने लगा।
बेल्जियम में उसके मैनेजर ने उसके साथ धोखा किया। वह उसके पैसे लेकर भाग गया और उसे ब्रुसेल्स में छोड़ दिया। जोसेफ किसी तरह लंदन लौटने में कामयाब रहा लेकिन वह किसी से बात नहीं कर पाता था। पुलिस के हाथ वह लगा और जोसेफ को सर्जन फ्रेडरिक ट्रेव्स को सौंप दिया। फ्रेडरिक उसे लंदन हॉस्पीटल ले गया और बाकी जिंदगी जोसेफ फिर वहीं रहा।
फ्रेडरिक रोज उससे मिलने जाता था और दोनों गहरे दोस्त बन गए। 1890 में जोसेफ की मौत हो गई। जोसेफ मेरिक पर 1980 में एक सिनेमा बना जिसका नाम था, एलीफैंट मेन।
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