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07 जनवरी 2012

चार राज्य, 4000 करोड़ के घोटाले, वसूली शून्य

नई दिल्ली/रांची/जयपुर लखनऊ/भोपाल. झारखंड, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में हुए आठ बड़े घोटालों में भ्रष्टाचारियों की 4000 करोड़ रुपए से अधिक बेनामी संपत्ति का पता चला। इन सब मामलों में आरोपी नेता, अफसर और बाबू को मामूली जेल या पूछताछ का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी काली कमाई सरकार वसूल नहीं पाई है। आखिर, ऐसा क्यों... भास्कर ने की पड़ताल।

झारखंड में मधु कोड़ा सहित उनकी सरकार के आधा दर्जन मंत्री जेल में हैं। पूर्व सीएम कोड़ा पर 3300 करोड़ की अघोषित संपत्ति अर्जित करने की बात आयकर के असेसमेंट में उजागर हुई है। 31 अक्टूबर 2009 को आयकर की छापेमारी के वक्त जितने बैंक एकाउंट और संपत्ति जब्त किए गए थे, उतना ही जब्त है, बाकी का पता ही नहीं चला। उन्हें 1300 करोड़ का टैक्स जमा कराने के लिए कहा गया है। यदि उन्होंने आयकर आयुक्त (अपील) के पास एक माह के भीतर अपील दायर नहीं की और टैक्स का भुगतान भी नहीं किया, तो विभाग उनकी जब्त संपत्ति को नीलाम कर सकता है। इससे प्राप्त राशि भारत सरकार के खाते में जमा करा दी जाएगी। लेकिन ऐसा होने की उम्मीद कम ही है। बताया रहा है कि कोड़ा अपील कर अपनी संपत्ति का आकलन गलत ढंग से करने और ज्यादा टैक्स लगाने की दलीलें दे सकते हैं।

राजस्थान में अगस्त 2010 को मारे गए छापे में अजमेर डेयरी के असिस्टेंट मैनेजर एसके शर्मा के पास 4.98 करोड़ रुपए नकद, 11 किलो सोना और करोड़ों रुपए की अचल संपत्ति मिली। मामला अभी कोर्ट में है। इस प्रकरण में उनकी पत्नी और बेटा-बेटी भी अभियुक्त हैं। पत्नी ओर बेटा-बेटी को अभियुक्त इसलिए बनाया गया है, क्योंकि उन्होंने रिश्वत की कमाई को सफेद करने में मदद की थी। पति के रिश्वत के पैसे को पत्नी की कमाई बताकर रिटर्न भरी गई। कुछ पैसा बेटी के खाते में भी गया। बेटा उस पैसे से जमीनें खरीद रहा था। अब तक सिर्फ रिश्वतखोर का ही चालान होता था, लेकिन यह संभवत: पहला मामला है जिसमें परिवार के बाकी लोगों का भी चालान किया गया है। शर्मा खुद शुरू से ही जेल में हैं। पत्नी अरुणा शर्मा और बेटे गौरव शर्मा ने दो दिन पहले ही समर्पण किया है। बेटी गरिमा शर्मा की गिरतारी 21 नवंबर 2011 को हुई। ये सभी जेल में हंै। इन्होंने हाईकोर्ट से भी पहले अग्रिम और अब जमानत की कोशिश की है, लेकिन ये कोशिशें विफल रहीं।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव 1967 बैच के आईएएस एपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जुटाने का मामला मार्च 2005 में दर्ज किया गया था। सीबीआई जांच में अखंड प्रताप सिंह के पास 84 अचल संपत्तिायों का खुलासा हुआ था जिनकी कीमत 200 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई थी। यह मामला आज भी कोर्ट में विचाराधीन है। उप्र के आईएएस अधिकारियों के एक्शन ग्रुप ने ही सिंह को महाभ्रष्ट अफसर करार दिया था। सिंह के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं कि सिंह के विदेशों के खातों की जांच ही नही की गई। वरना संपत्ति का आंकड़ा कहीं ज्यादा होता।

भोपाल में फरवरी 2010 में आयकर छापे में तीन करोड़ से अधिक नकद राशि मिलने के बाद मप्र के आईएएस दंपती अरविंद-टीनू जोशी की संपत्ति को एक तरफ आयकर विभाग ने और दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अटैच कर रखा है। बाद में हुई जांच में उनकी संपत्ति का आंकड़ा 450 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। आयकर विभाग ने हाल ही में नोटिस देकर उन्हें 135 करोड़ रुपए आयकर जमा करने का नोटिस दिया है। जोशी के पास अभी अपील करने से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जान के रास्ते खुले हैं। लोकायुक्त और ईडी में उनके मामले लंबित हैं।

छापे के बाद से ही अरविंद-टीनू जोशी निलंबित हैं। राज्य सरकार ने दोनों दागी अफसरों की जांच के लिए पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच की एकल सदस्यीय समिति का गठन किया। लेकिन इसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आ पाई है। लेकिन छापे के बाद से वे सामाजिक बहिष्कार झेल रहे हैं। राजधानी के प्रतिष्ठित भोजपुर क्लब से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई है।

ऐसा ही मामला पूर्व स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा का है। चार साल पहले उनके पास मिली बेनामी संपत्ति के एवज में उनसे 12.5 करोड़ रुपए का आयकर जमा करने को कहा गया। लेकिन मामला कोर्ट में चला गया। निलंबन के बाद शर्मा वल्र्ड बैंक और अन्य संस्थाओं के लिए कंसल्टेंट का काम कर रहे हैं। इन मामलों के अलावा हाल ही में इंदौर के आरटीओ ऑफिस में पदस्थ क्लर्क से 40 करोड़ रुपए और उज्जैन नगर निगम में चपरासी के पास से 10 करोड़ रुपए की संपत्ति के प्रमाण मिले। इन केस की जांच शुरू हो गई है। नतीजा कब आएगा, जांच करने वाले भी नहीं जानते।

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