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22 जनवरी 2012

मौनी अमावस्या 23 को, स्नान, दान व श्राद्ध करें

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माघ मास की अमावस्या को माघी तथा मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस पवित्र तिथि पर मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरणपूर्वक स्नान-दान करने तथा व्रत रखने का विशेष महत्व है। इस बार यह व्रत 23 जनवरी, सोमवार को है।

इस दिन मौनी अमावस्या का व्रत सोमवार को होने के कारण इसका महत्व और भी अधिक हो गया है। मौनी अमावस्या को यदि रविवार, व्यतीपात योग व श्रवण नक्षत्र का योग हो तो अर्धोदय योग होता है। इस योग में सभी स्थानों का जल गंगा के समान हो जाता है और सभी ब्राह्मण ब्रह्मसंनिभ शुद्धात्मा हो जाते हैं।

मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी अथवा गंगातट पर स्नान-दान करने की अपार महिमा है। मौनी अमावस्या के दिन नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नान करके तिल, तिल के लड्डू, आंवला तथा कंबल आदि का दान करना चाहिए। साथ ही साधु, महात्मा तथा ब्राह्मणों के सेवन के लिए अग्नि प्रज्वलित करना चाहिए-

तैलमामलकाश्चैव तीर्थे देयास्तु नित्यश:।

तत: प्रज्वालयेद्वह्निं सेवनार्थे द्विजन्मनाम्।।

कंबलाजिनरत्नानि वासांसि विविधानि च।

चोलकानि च देयानि प्रच्छादपटास्तथा।।

इस दिन गुड़ में काला तिल मिलाकर लड्डू बनाना चाहिए तथा उसे लाल वस्त्र में बांधकर ब्राह्मणों को देना चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा देनी चाहिए। स्नान-दान के अलावा इस दिन पितृ-श्राद्धादि करने का भी विधान है।

2 टिप्‍पणियां:

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