मुझे देख लो
थोड़े से
एहसान के साथ
मेरी जिंदगी में
बहार जो चली आई
सूखे हुए पेड़ों में
गुलों ने खिलकर
माहोल थोड़ा सा इतराकर
खुशगवार बनाया ॥
हवाओं ने थोड़ा तेज़ी से
अपना रुख दिखाया
में मजबूर आदत से
उठा और चल दिया
इन सब को छोड़ कर
फिर से
सेहरा की तलाश में .......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)