आपका-अख्तर खान

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16 दिसंबर 2011

सेहरा की तलाश में

मुझे देख लो
थोड़े से
एहसान के साथ
मेरी जिंदगी में
बहार जो चली आई
सूखे हुए पेड़ों में
गुलों ने खिलकर
माहोल थोड़ा सा इतराकर
खुशगवार बनाया ॥
हवाओं ने थोड़ा तेज़ी से
अपना रुख दिखाया
में मजबूर आदत से
उठा और चल दिया
इन सब को छोड़ कर
फिर से
सेहरा की तलाश में .......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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