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14 दिसंबर 2011

मल मास 16 से, भगवान पुरुषोत्तम को प्रिय है यह मास


भगवान सूर्य संपूर्ण ज्योतिष शास्त्र के अधिपति हैं। सूर्य का मेष आदि 12 राशियों पर जब संक्रमण(संचार) होता है, तब संवत्सर बनता है जो एक वर्ष कहलाता है। जिस मास में सूर्य किसी राशि पर संक्रमण नहीं करता वह मल मास कहलाता है। इस बात की पुष्टि इस श्लोक से होती है-

यस्मिन् मासे न संक्रान्ति: संक्रान्तिद्वयमेव वा।

मलमास: स विज्ञेयो मासे त्रिंशत्तमे भवेत्।।

(ब्रह्मसिद्धांत)

इसे पुरुषोत्तम मास व खरमास भी कहते हैं। इस बार मल मास का प्रारंभ 16 दिसंबर से हो रहा है, जो 15 जनवरी, रविवार को समाप्त होगा। इस मास की मलमास की दृष्टि से जितनी निंदा है, पुरुषोत्तम मास की दृष्टि से उससे कहीं श्रेष्ठ महिमा भी है।

भगवान पुरुषोत्तम ने इस मास को अपना नाम देकर कहा है कि अब मैं इस मास का स्वामी हो गया हूं और इसके नाम से सारा जगत पवित्र होगा तथा मेरी सादृश्यता को प्राप्त करके यह मास अन्य सब मासों का अधिपति होगा। यह जगतपूज्य और जगत का वंदनीय होगा और यह पूजा करने वाले सब लोगों के दारिद्रय का नाश करने वाला होगा।

अहमेवास्य संजात: स्वामी च मधुसूदन:। एतन्नान्मा जगत्सर्वं पवित्रं च भविष्यति।।

मत्सादृश्यमुपागम्य मासानामधिपो भवेत्। जगत्पूज्यो जगद्वन्द्यो मासोयं तु भविष्यति।।

पूजकानां सर्वेषां दु:खदारिद्रयखण्डन:।।

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