सूत्रों के अनुसार प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी के समय ही राजनीतिक नियुक्तियों, विशेषकर यूआईटी और बोर्डो पर नामों को अंतिम रूप दे दिया गया था, लेकिन कुछ प्रमुख और ज्यादा महत्व वाले बोर्डो पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ था। अब इन्हीं पर विचार हो रहा है। इसके अलावा पिछले दिनों में प्रदेश के राजनीतिक हालात में भी कुछ बदलाव हुआ है। इसमें प्रमुख तौर पर मदेरणा की बर्खास्तगी और गोपालगढ़ कांड हैं। इन्हें लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
अभी इन पदों पर चल रही है कशमकश
आर्थिक नीति एवं सुधार परिषद के उपाध्यक्ष, हाउसिंग बोर्ड चेयरमैन, आरटीडीसी चेयरमैन, 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन उपाध्यक्ष, जन अभाव अभियोग निराकरण समिति अध्यक्ष, अल्पसंख्यक बोर्ड अध्यक्ष, हज कमेटी अध्यक्ष, मेवात विकास बोर्ड अध्यक्ष, मदरसा बोर्ड अध्यक्ष, राज्य बीज निगम अध्यक्ष, राजस्थान राज्य भंडार व्यवस्था निगम अध्यक्ष, पशु पालक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष, सफाई कर्मचारी आयोग अध्यक्ष, समाज कल्याण एडवाइजरी बोर्ड अध्यक्ष, अजा-अजजा आयोग अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग अध्यक्ष।
आगे क्या होगा?
राजस्थान के प्रभारी महासचिव के नाते पहले मुकुल वासनिक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन नामों को अंतिम रूप देंगे। डॉ. चंद्रभान से पहले ही अनुमति मिल चुकी है। कुछ नाम हैं, जिन पर विवाद, असहमतियां और अलग-अलग राय हैं।
ये सूची पहले श्रीमती गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के यहां जाएगी। इसके बाद इसे पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते सोनिया गांधी अंतिम स्वीकृति देंगी। दिल्ली सूत्रों के अनुसार वासनिक के कार्यालय से अंतिम तौर पर जाने वाली सूची को 10 जनपथ से किसी भी समय हरी झंडी मिल सकती है।
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