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27 सितंबर 2011

यह सीन देख तड़प जाएंगे आप, लेकिन इन्हें नहीं आई शर्म

इंदौर।दृश्य एक:दोपहर 12.25 बजे मालवा एक्सप्रेस ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 5 से रवाना होने वाली थ

दृश्य दो:दोपहर 12.30 बजे ट्रेन प्लेटफार्म से छूटने लगी। तभी ट्रेन की दूसरी ओर पानी के पाइप पर बैठे लगभग 40 साल के एक व्यक्ति ने मौत की छलांग लगा दी। उसका सिर धड़ से अलग हो गया। धड़ पटरी पर था तो सिर पटरी किनारे नाली में पड़ा था

दृश्य तीन:लाश को देख वहां खड़े लोगों की रुह कांप उठी। एक घंटे बाद तक लाश वहीं पड़ी रही।

दृश्य चार :सूचना के करीब डेढ़ बजे जीआरपी थाने के हेडकांस्टेबल अशोक यादव प्लेटफार्म पर पहुंचे। उन्होंने स्वीपर को तलाश किया लेकिन कोई नहीं मिला। प्लेटफार्म पर 12 साल के एक बच्चे फिरोज पिता शेख रईस पर उनकी नजर पड़ी। उसे बुलाकर उन्होंने कहा कि 100 रुपए दूंगा उसकी जेब टटोल दे।

दृश्य पांच:फिरोज गुमसुम सा कुछ सोचता रहा. फिर रुपए की बात पर मान गया। बेमन से लहूलुहान लाश के कपड़ों की जेब टटोलने लगा। उसकी जेब से रुमाल और पर्स मिला जिसे बच्चे ने हेड साब यादव को दे दिया। लेकिन उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी। बात आई लाश उठाने की।

दृश्य छह:हेडसाब यादव तीन लड़कों को लेकर आए। लेकिन उनमें से किसी की हिम्मत कटा सिर उठाने की नहीं हुई। हेड साहब ने फिर रईस की तरफ देखा और कहा - जा, तू सिर उठाकर बॉडी के पास रख दे। वह घबरा गया.. कुछ कहना चाह रहा था लेकिन हेड साहब की घुड़की और शायद 100 रुपए की जरूरत ने उसे पटरी पर कूदने को मजबूर कर दिया।

दृश्य सात:फिरोज ने कांपते हाथों से कागज उठाया और सिर के पास हाथ ले जाते ही अचानक वह रुक गया। फिर आंखें भींचते हुए उसने कटा सिर हाथ में उठा लिया। ये देख प्लेटफार्म और आसपास खड़े लोग सन्न रह गए।

दृश्य आठ :वह धीरे-धीरे लाश की ओर कदम बढ़ाता गया। कटे सिर का खून उसके पैरों पर टपक रहा था। आखिर उसने सिर धड़ से मिला दिया और भागकर प्लेटफार्म पर चढ़ गया।

दृश्य नौ :हेड साहब यादव लाश को पीएम के लिए ले जाने लगे तो अचानक पीछे से छोटे-छोटे हाथ यादव की कमर पर लगे। वह यादव को रोकने के लिए इशारा कर रहे थे। फिरोज ने उनसे रुपए मांगे। लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। फिर फिरोज ने कहा साहब 100 रुपए दे दो..तुमने ही ने तो कहा था कि सिर उठाकर रख दे। मैंने रख दिया। अब मुझे पैसे तो दे दो।

दृश्य दस:हेड साब के पीछे-पीछे फिरोज थाने पहुंच गया। थाने में कहा कि मुझे 100 रुपए देने का कहा था ,नहीं मिले। मुझे रुपए कौन देगा। वहां तैनात सिपाहियों ने उसे भगा दिया।

सुनकर दु:ख हुआ

घटना सुनकर मुझे दु:ख हुआ है। मुझे इस बारे में जानकारी नहीं थी। यादव दोषी है तो उसको सजा देने का अधिकार मेरे पास नहीं है। बड़े अधिकारी इस मामले में विचार करेंगे। वैसे बाडी उठाना और उसे पीएम के लिए अस्पताल पहुंचाना आरपीएफ का काम है लेकिन रेलवे पुलिस मानवता के नाते यह काम भी करती है।

- टीआई बलविंदरसिंह संधू,जीआरपी थाना

सस्पेंड करने के निर्देश

हेड कांस्टेबल यादव के इस घिनौने कृत्य के लिए उसे सस्पेंड करने के निर्देश निकाल दिए गए हैं।

- आर.के. गुप्ता, आईजी रेलवे पुलिस


1 टिप्पणी:

  1. بہت ہی سرمناک ہے بھی، پر کیا کہا جائے یہ تو ہمارے دیش کی شان ہے بھارت کی پولش

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