पटेल ने राज्य सरकार के संसदीय सचिव (राज्य मंत्री का दर्जा) महेश गागड़ा को फोन कर कहा कि मीडिया को तो मैंने मैनेज कर लिया है, आप अपना रेट बता दें। गागड़ा ने मामले की शिकायत पंचायत मंत्री रामविचार नेताम से की। जांच हुई। आरोप सही पाए गए। पटेल को कार्यमुक्त करने का आदेश भी जारी हो गया। पर दो माह तक वह वहीं टिका रहा। सेवा मुक्त करने की जगह हाल में उसे तिल्दा (मूल नियुक्ति स्थान) के लिए रिलीव कर दिया गया। मामला बीजापुर जिले के भैरमगढ़ का है। बीजापुर विधायक और संसदीय सचिव महेश गागड़ा ने बताया कि भागवत प्रसाद पटेल के खिलाफ उनके क्षेत्र के लोगों ने कई शिकायतें दर्ज कराई थीं।
लोगों का आरोप है कि पटेल भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। यहां तक कि मजदूरी भुगतान भी नहीं कर रहे। कुछ मामलों में फर्जी काम की भी शिकायत मिली थी। विधायक ने पूरे मामले को लेकर पटेल से बात की। पटेल ने गागड़ा से ही रिश्वत की पेशकश कर दी।
नाराज महेश गागड़ा ने नोटशीट के जरिए पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री रामविचार नेताम से शिकायत की। मंत्री ने आयुक्त महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना को मामले की जांच करने और कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जांच के बाद आयुक्त देवाशीष दास ने 22 जुलाई को कलेक्टर और एनआरईजीए के जिला कार्यक्रम समन्वयक को पत्र लिखकर संबंधित अफसर को सेवा से अलग कर कार्यालय को सूचित करने को कहा। मगर दो महीने के बाद भी संबंधित अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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