उसे सांस लेने में तकलीफ थी और शरीर नीला पड़ गया था। ऑपरेशन में इस्तेमाल की गई तकनीक को ट्रैकियल री-कंस्ट्रक्शन तथा बीमारी को ट्रैकियल स्टीनोसिस (टीएस) कहते हैं।
अनिल के परिजन ने बताया- एक माह पहले बुखार होने पर अनिल को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। सांस लेने में दिक्कत बढ़ी तो एसएमएस अस्पताल लाए।
कार्डियो थोरेसिक (सीटी) सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरएम माथुर ने अपनी टीम के साथ ऑपरेशन कर दिल की झिल्ली से कृत्रिम श्वास नली बनाई। अब अनिल राहत में है।
बंद श्वास नली बंद पाई गई। मरीज को सांस लेने में तकलीफ व शरीर नीला पड़ने के कारण तुरंत ऑपरेशन करने का निर्णय लिया, जिसमें डॉ.सीके व्यास, डॉ. संजीव देवगढ़ा, डॉ. विमल यादव एवं डॉ.सुनील का सहयोग रहा।
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