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23 सितंबर 2011

आज 12.30 बजे तक भारत के पास गिर सकता है नासा का बेकाबू हुआ सेटेलाइट

फ्लोरिडा (अमेरिका). एक बस का आकार का बेकाबू सेटेलाइट धरती पर कभी भी गिर सकता है। हालांकि ने नासा ने ताजा रिपोर्ट जारी कर कहा है कि इस उपग्रह के गिरने की गति हल्कीहो गई है जिस कारण वो अब शनिवार तक धरती पर गिरेगा। 2005 से बेकार पड़ा (निष्क्रिय) नासा का यूएआरएस सेटेलाइट अंतरिक्ष में घूम रहा है। लेकिन चिंता की बात यह है शनिवार सुबह के बाद नासा का यह सेटेलाइट कभी भी धरती से टकरा सकता है। नासा की तरफ से जारी ताज़ा बयान में यह भी कहा गया है कि इस उपग्रह के अमेरिका से टकराने की संभावना बेहद कम है। नासा ने यह भी साफ नहीं किया है कि आखिरकार यह सैटेलाइट धरती के किस हिस्‍से से टकराएगा। नासा का यह भी दावा है कि सैटेलाइट की टक्‍कर से धरती पर नुकसान जरूर होगा।

रूसी वैज्ञानिकों ने कुछ आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया है कि इस सैटलाइट के हिंद महासागर में गिरने की उम्मीद है। यह जगह हिंद महासागर में क्रोजेट द्वीप के उत्तर में कहीं हो सकती है।


क्या कहता है नासा का ताजा अपडेट
अमेरिकी समयानुसार शाम सात बजे यूएआरएस की आर्बिट १४५ से १५० किलोमीटर था। यह अमेरिकी समयानुसार शुक्रवार रात ११ बजे से सुबह तीन बजे के बीच (भारतीय समयनुसार शनिवार सुबह ८.३० बजे से १२.३० बजे) धरती पर गिर सकता है। इस समय यह उपग्रह कनाडा, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर के ऊपर से गुजर रहा होगा। इस स्थिति में इससे जान माल की हानि होने की संभावना बेहद कम है। राहत की बात यह है कि अंतरिक्ष अभियानों के अभी तक के इतिहास में किसी भी उपग्रह के धरती पर गिरने से जान माल की कोई हानि नहीं हुई है।
सेटेलाइट का वजन 5,900 किलोग्राम है। यह धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते ही 20 टुकड़ों में बंट जाएगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके कई टुकड़े तो धरती की कक्षा में प्रवेश करते ही जल जाएंगे लेकिन कुछ टुकड़ों के धरती पर करीब 800 किलोमीटर की दूरी में बिखरने की आशंका है। इन टुकड़ों की कुल वजन करीब 500 किलो होगा। चूंकि, सेटेलाइट लगातार अपनी दिशा बदल रहा है, ऐसे में नासा के जानकार भी इस बात का पूरी तरह से अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि सेटेलाइट के टुकड़े धरती पर कब और कहां गिरेंगे।
यह सेटेलाइट 35 फुट लंबे और 15 फुट चौड़ाई वाले इस सेटेलाइट को ओज़ोन और पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद रसायनों के अध्ययन के लिए 1991 में अंतरिक्ष में भेजा गया था। लेकिन 2005 में इसने काम करना बंद कर दिया था।

3,200 में से 1 के बराबर है इंसान से टकराने की संभावना
नासा का कहना है कि चूंकि धरती का 75 फीसदी हिस्सा पानी, रेगिस्तान और ऐसी जगहों से मिलकर बना है, जहां इंसानी आबादी नहीं है। नासा के अनुमान के मुताबिक यूएआरएस के मलबे के हिस्सों के किसी इंसान पर गिरने की आशंका 3,200 में 1 के बराबर है। नासा का यह भी कहना है कि सेटेलाइट उत्तरी अमेरिका के ऊपर से इस दौरान नहीं गुजरेगा।

पहले भी अंतरिक्ष से गिर चुके हैं टुकड़े
जुलाई, 1979 में धरती पर स्काईलैब स्पेस स्टेशन के टुकड़े आकर गिरे थे। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में गिरे स्काईलैब के टुकड़ों से किसी को चोट नहीं लगी थी। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने गंदगी फैलाने के लिए नासा पर 400 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया था। स्काईलैब का आकार यूएआरएस से ज़्यादा बड़ा था। स्काईलैब का आकार एक बड़े घर जैसा था।

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