दोपहर बाद करीब 3.15 बजे विपक्ष की ओर से भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ और सत्तापक्ष की ओर से प्रतापसिंह खाचरियावास ने बहस की शुरुआत की। छह वक्ताओं के बोलने के बाद 4.30 बजे कार्यवाही स्थगित कर दी गई। हालांकि सदन में सोमवार को भी बहस जारी रहेगी। यह इस सत्र का आखिरी दिन है। बहस से पहले राजस्थान लोक सेवाओं की गारंटी विधेयक 2011 भी पारित कराया जाना है।
..ताकि विषय की गंभीरता बनी रहे
सदन में बहस शुरू कराने से पहले आसन से अध्यक्ष दीपेन्द्रसिंह ने दोनों पक्षों से अपील की कि सदस्य दलगत राजनीति और पक्ष-विपक्ष की धारा में न बहें। आरोप-प्रत्यारोप न लगाएं। विषय की गंभीरता को समझें और भ्रष्टाचार की रोकथाम के उपायों पर सुझाव दें। इसी के अनुरूप पक्ष और विपक्ष की ओर से बहस में इसका ध्यान रखने की कोशिश की गई।
ऐसे बनी आरोप-प्रत्यारोप की आशंका
भाजपा की ओर से आखिर में ओम बिडला ने अपना वक्तव्य समाप्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्व में दिए गए बयानों को आधार बनाकर कुछ सवाल खड़े किए। सीएम कहते हैं डॉक्टर पैसे के लिए शव को वेंटीलेटर पर रखे रहते हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर नहीं मिलते हैं, फिर इन पर कार्रवाई कौन करेगा। राज में तो आप हो?
जब राजा खुद भ्रष्ट होगा तो नीचे का तंत्र भी भ्रष्ट हो जाएगा, जब राजा ईमानदार होगा तो नीचे का तंत्र भी ईमानदार हो जाएगा। राज्य में लोकायुक्त, एसीबी, सीवीसी जैसी संस्थाएं लगभग प्रभावहीन हो गई हैं। इसके तुरंत बाद जब सत्तापक्ष की ओर से अलाउद्दीन आजाद ने बिड़ला पर निशाना साधा तो मौके की नजाकत को भांपते हुए अध्यक्ष ने कार्यवाही स्थगित कर दी।
अलाउद्दीन ने यूं किया प्रहार
आप वो लोग हो, जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। जिन्होंने भ्रष्टाचार के कीर्तिमान स्थापित किए वो आज यहां सदन में ऊंचे हाथ करके बात कर रहे हैं। आप जो इतने ऊंचे होकर बोल रहे हैं, आपकी औकात जनता जनार्दन और आपके क्षेत्र के लोग जानते हैं।
एक-एक आदमी यहां बोलकर जो आदर्शवादी बात कर रहा है और महाराज हरिश्चंद्र बन रहे हैं, उनकी औकात भगवान भी जानता है। इस पर भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ ने आपत्ति भी की।
भ्रष्टाचार रोकने के सुझाव :
नरपतसिंह राजवी : - नागरिक अधिकार कानून बने। प्रक्रिया का सरलीकरण हो। स्वतंत्र मशीनरी हो। अफसरों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय हो।
प्रतापसिंह खाचरियावास :- सांसद और विधायक कोष के उपयोग के लिए भी 51 स्थानीय लोगों की समिति बने। यह पैसा उसी के माध्यम से खर्च हो, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। सभी सरकारी कामों यही व्यवस्था लागू हो।
रतन देवासी : सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में सख्त नियम बनें, ताकि भ्रष्टाचार न हों। हम सीमित संसाधनों में जीना सीखें।
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