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23 जुलाई 2010

में शरीफ हूँ राष्ट्र को बचाना हो तो मुझे मार डालो यारों

में शरीफ हूँ
राष्ट्र को बचाना हे अगर
तो मुझे मार डालो यारों
जब कोई किसी को लुटता हे
में तो शरीफ हूँ
बस इसीलियें दरवाज़ा बंद कर बेठता हूँ
लोग चीखते हें चिल्लाते हें
में डरा सहमा अपने घर में रहता हूँ
क्योंकि में तो शरीफ हूँ यारों
लुट के बाद पुलिस आये तो भी
में गवाही नहीं देता हूँ
क्यूंकि में शरीफ हूँ यारों
मेरे सामने कत्ल हो बलात्कार हो
में देखता हूँ लेकिन
चुप रहता हूँ , मुजरिमों को सजा दिलवाने के लियें
उनके खिलाफ देख कर भी गवाही नहीं देता हूँ
क्योंकि में शरीफ हूँ यारों
मेरे और मेरे जेसे सेकड़ों शरीफों के सामने
केवल एक गुंडा
जब हंगामा मचाता हे
तो भी हम सब खामोश देखते रहते हें
क्यूंकि हम शरीफ हें यारों
हमें तो हमारी पढ़ी हे
जान बची रहे हमारी बस यही ख्वाहिश हे हमारी
राष्ट्र,राष्ट्र का अमन चेन जाय भाड़ में
हमें क्या पढ़ी हम तो शरीफ हे यारों
इसलियें कहता हूँ
राष्ट्र को बचाना हे अगर
तो मार डालो मुझे
क्योंकि में शरीफ हूँ यारों ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. राजस्थान की वीर भूमि का कवि
    वीर रस की जगह,उदासीन रस गाता है?

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  2. वैसे तो है आज की कडुवी हकीकत लेकिन इस तरह हिम्मत हारने से काम नहीं चलेगा ,मरना ही है तो कुछ देश के गद्दारों को मारकर मरों ...शरीफ और सच्ची शराफत की आग में बरी ताकत है ...

    जवाब देंहटाएं
  3. इतना अधिक उदास होने की आवश्यकता नहीं है. आज भी यदि कोर्ट से अपराधी को सजा मिलती है तो कोई न कोई तो उसमे आगे आता ही है. समस्या वहाँ है जब सजा के बावजूद अपराधी मौज करता है और गवाह ट्रस्ट रहता है. उस समस्या को चिन्हित करने और समाधान की आवश्यकताहै.

    जवाब देंहटाएं

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