आपका-अख्तर खान

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23 जुलाई 2010

दिल कभी नहीं टूटता

लोग कहते हें
मेरा दिल टूट गया
कोई मुझे बतलाये
क्या दिल
मिटटी का बर्तन हे
या फिर दिल कांच का हे
लोग फिर केसे कहते हें
के मेरा दिल टूट गया हे
मांस का एक लोथड़ा
जो सीने में
धडकता हे
सब जानते हें
यह फट सकता हे
पिचक सकता हे
कट सकता हे
लेकिन
दिल टूटेगा केसे
कोई आये और बतलाये मुझे
अगर दिल टूटने
का ग़लत हे फलसफा
तो आओ दोस्तों
जो पहले के लोगों ने
बार बार दिल
टूटना लिखा हे
उसे दुरुस्त कर लें
और मिलकर तय कर लें
दिल अपना हे
यह ना टूटे , ना पिचके , ना कटे , ना फटे
बस दिल से दिल को मिला डालो यारों
कुछ ऐसा करो
दुश्मनों को अपना बना डालो यारों ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. bahut maafee ke saath kehana chahata hoon ki aap ne is post ke zarie behad satahee andaaz men dil aur us ke dard ko jatane kee koshish kee hai. maalik na kare lekin yadi aap aise halaat se guzare to shayad samajh sakenge ki kis tarah dil ke tootane ka ahesaas hota hai. maafee ke saath yeh bhee kehana chahunga ki yadi dil toot naheen sakata to phir di dil milane kee baat bhee kaise sambhav hai, jiska aawhan aap ne apanee post men kiya hai
    regards
    ratnakar

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