घर के बाहर
तीन दोस्त बेठे
बतिया रहे थे
इसी बीच
एक पहलवान आया
उसने एक का गला पकड़ा
उसे उठाया और गाल पर जोर दार तमाचा लगाया
यह जनाब हक्का बक्का देख रहे थे
लेकिन पहलवान को देख कर गुर्राए
पहेलवान जी
मुझे तो मार लिया
अब अगर मेरे इस दोस्त पर हाथ उठाया तो ठीक नहीं होगा
पहेलवान जी फिर पलटे
उन्होंने दुसरे को गरेबान पकडकर उठाया
उनके भी एक तमाचा लगाया
लेकिन फिर जनाब चिल्लाये
बोले पहेलवान जी बहुत हो गया
अब यह तीसरे दोस्त मेरे ख़ास हे
अगर इन पर हाथ उठाया
तो बस फिर खेर नहीं हे
पहलवान जी फिर
भन्नाए
उन्होंने तीसरे दोस्त को उठाया
गाल पर फिर खेंच के तमाचा लगाया
बस इतना होते ही
इन जनाब ने
पहलवान से माफ़ी मांगी और कहा ठीक हे ग़लती हो गयी
अब आप जाइए
जनाब का यह जवाब सुनकर पहलवान जी चकराए
बोले जब तुने ग़लती मान ली
इन दोनों को क्यूँ पिटवाए
जनाब बोले
पहलवान जी आप नहीं जानते
आपके जाते ही यह मुझे छेड़ते और कहते
क्यूँ पहलवान से पिट गया ना
अब हम तीनों एक से हें
कोई किसी को नहीं छेड़ेगा
तू मेरी मत कह , में तेरी नहीं कहूँ
की कहावत की तरह हम तीनों अब इस घटना को भूल गये हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 जुलाई 2010
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यही हाल है हकीकत में आदमी का....एकता का मूल्य पहचाने बिना आपनी व्यक्तिगत पहचान के लिए मात खाता चला जा रहा है...!
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