दर्द क्या होता हे
बतायेंगे किसी रोज़
कमाल की
एक गजल सुनायेंगे
किसी रोज़
उड़ने दो
इन परिंदों को
आज़ाद फिजाओं में
हमारे हुए तो
लोट आयेंगे
किसी रोज़।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 जुलाई 2010
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कवि अख्तर खान अकेला का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंवाह ………क्या बात कही है।
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