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22 जून 2010

श्मशान में अंतिम यात्रा के स्थान पर वैवाहिक जीवन यात्रा

राजस्थान में बाड़मेर के एक श्मशान में अंतिम यात्रा के नाम पर मुक्ति कार्यक्रम के स्थान पर जब नव दम्पत्ति की वैवाहिक जीवन की शुरुआत हुई तो लोग अचम्भित हो गये लोगों ने इसे कोतुहल से देखते हुए इसमें हिस्सा लिया हुआ यूँ के बाड़मेर के एक श्मशान में सेवा करने वाली महिला की लडकी के विवाह का जब सवाल उठा तो उसने अपरने ससुराल पक्ष से कहा के जब हम श्मशान की सेवा करते हें तो फिर अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत क्यूँ इसी श्मशान में फेरे की अग्नि जलाकर प्रारम्भ करें इस विचार पर इलाके के पंडितों चाहे एतराज़ जताया हो लेकिन इस दम्पत्ति ने श्मशान समिति की मदद से श्मशान में मरघट सी खामोशी को जगह शादी की शहनाई बजवा कर राजस्थान ही नही देश के लोगों को अचम्भित कर दिया हे अब धार्मिक प्रथा कुछ भी हो लेकिन यह भी सच हे जब किसी स्थान की कोई सेवा कर सकता हे तो उसका उपयोग अपनी खुशियों की शुरुआअत के लियें क्यूँ नही कर सकता। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर! हमारे यहाँ कहते हैं कि जनम मरण परण नहीं रुकते। तो इस में स्थान की कैसी बाधा?

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  2. वाह्……………इस उत्तम सोच के लिये बधाई।

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