आपका-अख्तर खान

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03 जून 2010

लक्ष्य विहीन भारत के नोजवान

जी हाँ हमारे देश का कल , हमारे देश का भविष्य युवा शक्ति इन दिनों लक्ष्य विहीन इधर उधर भटक रहा हे मुझे एक किस्सा याद आता हे एक ट्रेन में सफर के दोरान जब टीटी महोदय टिकिट चेक कर रहे थे तब एक नोजवान बड़ी बेकसी बेकली से घबराते हुए अपनी सारी जेबें,पर्स,अटेची टटोल रहा था और रेल का टिकिट ढूंढने की कोशिश कर रहा था अचानक टी टी ने नोजवान की परेशानी देख कर कहा के चलो रहने दो मेने मान लिया के तुम्हारे पास टिकिट हे इसलियें परेशान होने की जरूरत नहीं हे उस नोजवान ने टी टी को घूरा और कहा के में टिकिट आपको दिखाने के लियें थोड़ी ढूंढ़ रहा हूँ में तो टिकिट इसलियें ढूंढ़ रहा हूँ के मुझे आखिर यह तो पता चले के मेरी मंजिल कहां हे मुझे कहां जाना हे , तो दोस्तों आज का नोजवान भी इसी तरह लक्ष्य विहीन होकर जिंदिगी की दोद में भागा जा रहा हे कुछ तो पढाई के तनाव में डिप्रेशन में होकर अस्पताल में हें तो कुछ नोजवान आत्महत्याएं कर रहे हें , कुछ नोजवान हें के सडकों पर गलियों में नेता के नारे लगा रहे हे उसे लाने ले जाने के लियें भीड़ का हिस्सा बने हें , तो कुछ नोजवान हें के पान की दूकान या गली के किसी नुक्कड़ पर इस्कूल की बच्चियों को घूरते हुए अपना वक्त खराब कर रहे हें ब्लोगर भाइयों बहनों हमें कुछ ऐसी अलख जगाना होगी जिससे हमारा नोजवान तबका देश में विकास की सुरक्षा की संरक्ष्ण की नई उमंग भरे और देश का ऐतिहासिक विकास करने में अपनी ताकत लगाये। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. जी. बहुत जरुरी बात कही आपने.
    इसी सम्बन्ध में मैं एक प्रोजेक्ट पर काम भी कर रहा हूँ.

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