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28 मई 2010

जब संय्या भये कोतवाल तो प्रिंट मीडिया को डर काहे का

जी हाँ ब्लोगर दोस्तों बुजुर्गों भाइयों बहनों यह कहावत सच हे के संय्या भये कोतवाल तो डर काहे का कोटा में दो बढ़े अखबार राजस्थान पत्रिका और देनकी भास्कर रोज़ मर्रा विधिविरुद्ध सेक्स और तन्त्र मन्त्र के विज्ञापन छापते रहे हें और इस कारण कोटा संभाग में हजारों हजार पीड़ित इन विज्ञापनों से भ्रमित होकर लाखों रूपये की ठगाई में आ रहे हें यह विज्ञापन गेर कानूनी हें और इसमें सजा का प्रावधान हे इस लियें मीडिया से जुदा होने के कारण मेने अखबार वालों को लिखित में मोखिक रूप से ऐसे विज्ञापन नहीं छापने के लियें चेताया वोह नहीं माने मीडिया हे इस के खिलाफ जंग कोण लदे कलेक्टर एसपी सब चुप थे आखिर मेने जनहित में यह गुस्ताखी की और ड्रग मेजिकएक्ट के प्रावधानों के तहत कार्यवाही पर अध् गया कलेक्टर, एसपी ,आई जी , मुख्यमंत्री के दरवाज़े खटखटाए फरमान आया और ऐसे प्रकाशित विज्ञापनों को अवेध मान कर कार्यवाही करने के लियें कलेक्टर ने खुद प्रेस पुस्तक पन्जिक्र्ण अक्त के तहत कार्यवाही करने के स्थान पर मामला एस पि को कार्यवाही के लियें पत्र लिख कर ताल दिया भला हो पुराने एसपी का जो उन्होंने पत्रिका भास्कर को चेतावनी देकर गंदे और भ्रामक विज्ञापन बंद करवा दिए लेकिन नये एसपी के आगमन से यह विधि विरुद्ध विज्ञापन फिर छपने लगे हें मेने इस मामले में एसपी और कलेक्टर को पत्र लिख कर विरोध जताया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई और ऐसे विज्ञापनों को बंद करने के स्थान पर इनकी तादाद अखबारों में बढ़ा दी गयी दोस्तों मेने सोचा अभी लोकतंत्र ज़िंदा हे नये आई पी एस नये आई ऐ एस कलेक्टर हें इसलियें निर्भीकता से काम करने का जज्बा होगा इसलियें में जाकर फिर इनसे शिकायत करूं तो दोस्तों में तो शिकायत की सोच ही रहा था की आज जब देनिक भास्कर देखा तो उसमें कलेक्टर एसपी का भास्कर अखबार कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में खेंचा गया फोटू था साथ ही दुसरे प्रष्टों पर व्ही अश्लील ठगने वाले विधि विरुद्ध विज्ञापन थे बस दोस्तों मुझे किसी शायर का वोह सेर याद आ गया के , हमने समझा था मुंसिफ से करेंगे फरियाद, वोह भी कमबख्त तेरा चाहने वाला निकला , दोस्तों में हारा नहीं थका नहीं फिर से इस मामले में नई कार्यवाही के लियें तय्यार हूँ बस मुझे आपके सहयोग की जरूरत हे आप सब कोटा कलेक्टर कोटा एसपी और भास्कर पत्रिका को एक एक मेल कर इसे रोकने के लियें कहें मेरी मदद करें फिर से हम होंगे कामयाब नहीं तो मामला फिर अदालत में पहुंचाना मजबूरी होगा और अदालतों से कोई बचा नहीं हे यह इन अखबार वालों को समझ लेना होगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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