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28 मई 2010

नक्सलियों से डरने वाले ग्रहमंत्री अब तो गद्दी छोड़ो

पी चिदम्बरम के ग्रहमंत्री बनते ही नक्सलियों के हिंसक हमलों में अचानक व्रद्धी होने से देश सकते में हे हमला होता हे चिदम्बरम आंसू भाते हें ज़्यादा से ज़्यादा इस्तीफे की पेशकश करते हें और फिर दुसरा हमला हो जाता हे खुफ़ियाआ एजेंसियें चीख चीख कर कहती हें के नक्सली हमले फिर होने वाले हें पांच सितारा सुख सुविधाओं में बैठकें होती हें आन्त्य्रिक सुरक्षा और नक्सलियों से निपटने के लियें बैठके खत्म होती हें और फिर नक्सली हमले की खानी सामने आती हे हमारे देश की खुफिया एजेंसियों ने साफ़ तोर पर ट्रेनों पर नक्सली हमले की आशंकाएं जताई थीं देश में रेलवे सुरक्षाबल.जी आर पी, बी एस एफ, लोकल पुलिस अर्ध सेनिक बल, seनेक बल सब सुविधाएँ मोजूद हें लेकिन आंतरिक सुरक्षा मामल में रेल मंत्री और ग्रह मंत्री चिदम्बरम पूर्ण रूप से असफल साबित हुए हें चिदम्बरम को ग़लत फ़हमी हे के लिट्टे का सफाया उनकी रणनीति से हुआ हे अरे भाई लिट्टे तो श्रील्न्कियं लोगों ने मारे थे अब नक्सली मामले में चिदम्बरम के असफल होने पर देश खामोश हे ताज्जुब तो यह हे के इस मामले में देश भक्ति का ढोंग करने वाली भा ज पा भी चुप्पी साधे बेठी हे दोस्तों अब तो जनाब मनमोहन जी और चिद्ब्र्म जी से ख ही दो के वोह लम्बी यात्रा पर छुट्टी लेकर जाएँ और पांच छे महीने के लियें देश की सुरक्षा हमारे हवाले कर दें ताकि देश के इन आतंकवादी क्न्सुरों को हम मिलकर साफ़ कर फिर से देश इनके हाथ में संभला दें भाई राजनीति तो बेशर्म हे इस मामले में भी किसी को श्रम क्या आएगी लेकिन देखना एक दिन घरीब निर्दोषों का लहू सर चढ़ कर बोलेगा और तब इन लापरवाह फर्जी बयानबाजी करने वालों को छुपने के लियें देश कम पढ़ जाएगा मुशर्रफ की तरह यह भी बाहर जाकर आखरी साँसें लेंगे क्योंकि अब निर्दोषों की मोंतो से देश स्तब्ध होने लगा हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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