देर रात,तेज बारिश में शहर में संपन्न हुए दो नेत्रदान
सोमवार देर रात शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से दो देवलोक-गामियों के नेत्रदान परिजनों के सहयोग से संपन्न हुए ।
संस्था
के लबान निवासी ज्योति मित्र नवीन सेन ने देर रात सूचना दी की, उनके मित्र
लोकेंद्र के बड़े भाई नंदसिंह का, रोड दुर्घटना में आकस्मिक निधन हुआ है
और उनके सभी मित्रों चिंटू, सनी, अजीत, राजेंद्र, कुलदीप सिंह, दीपक ने
लोकेंद्र को समझाकर डॉ कुलवंत गौड़ के सहयोग से नेत्रदान का पुनीत कार्य
संपन्न करवाया ।
इसी नेत्रदान के ठीक बाद डॉ गौड़ को महावीर नगर
विस्तार योजना निवासी त्रिलोकचंद मंत्री के पिता गिरिराज मंत्री के आकस्मिक
निधन की सूचना भी प्राप्त हुई, परिवार के सदस्यों ने स्व० प्रेरणा से
गिरिराज के नेत्रदान करवाने की इच्छा जताई ।
सूचना मिलते ही, डॉ
गौड़ अपने सहयोगी टेक्नीशियन के साथ, मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में
पहुंचे,रात 1:00 बजे परिजनों के सामने नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई ।
दोनों नेत्रदान के समय शहर में तेज बारिश हो रही थी,संस्था सदस्यों,ने गीले
कपड़ों में नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न की ।
आपका-अख्तर खान "अकेला"
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अक्टूबर 2025
देर रात,तेज बारिश में शहर में संपन्न हुए दो नेत्रदान
मैने आज उनको उनके सब्र का अच्छा बदला दिया कि यही लोग अपनी(क़ातिर ख़्वाह) मुराद को पहुँचने वाले हैं
मैने आज उनको उनके सब्र का अच्छा बदला दिया कि यही लोग अपनी(क़ातिर ख़्वाह) मुराद को पहुँचने वाले हैं (111)
(फिर उनसे) ख़ुदा पूछेगा कि (आखि़र) तुम ज़मीन पर कितने बरस रहे (112)
वह कहेंगें (बरस कैसा) हम तो बस पूरा एक दिन रहे या एक दिन से भी कम (113)
तो तुम शुमार करने वालों से पूछ लो ख़ुदा फरमाएगा बेशक तुम (ज़मीन में)
बहुत ही कम ठहरे काश तुम (इतनी बात भी दुनिया में) समझे होते (114)
तो क्या तुम ये ख़्याल करते हो कि हमने तुमको (यूँ ही) बेकार पैदा किया और ये कि तुम हमारे हुज़ूर में लौटा कर न लाए जाओगे (115)
तो ख़ुदा जो सच्चा बादशाह (हर चीज़ से) बरतर व आला है उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वहीं) अर्शे बुज़ुर्ग का मालिक है (116)
और जो शख़्स ख़ुदा के साथ दूसरे माबूद की भी परसतिश करेगा उसके पास इस
शिर्क की कोई दलील तो है नहीं तो बस उसका हिसाब (किताब) उसके परवरदिगार ही
के पास होगा (मगर याद रहे कि कुफ़्फ़ार हरगिज़ फलाह पाने वाले नहीं) (117)
और (ऐ रसूल) तुम कह दो परवरदिगार तू (मेरी उम्मत को) बक्श दे और तरस खा और तू तो सब रहम करने वालों से बेहतर है (118)
सूरए अल मोमिनून ख़त्म
27 अक्टूबर 2025
कोटा दक्षिण नगर निगम का महापौर भी भाजपा के, प्रतिपक्ष भी भाजपा के काला अध्याय बना, कोंग्रेस का प्रतीकात्मक विरोध नें खुली सेटिंग का पर्दाफाश किया और कोंग्रेस फिसड्डी सी दिखने लगी,
बेटे बेटियों ने संपन्न कराया पिता का नेत्रदान
बेटे बेटियों ने संपन्न कराया पिता का नेत्रदान
शनिवार देर रात आर्य
समाज रोड निवासी महावीर प्रसाद जैन किराना व्यवसाय का आकस्मिक निधन हो
जाने के उपरांत उनके बेटे आशीष,बेटी भारती,पूजा,रिंकी और अंतिमा ने अपनी
माँ सजन बाई जैन से सहमति करने के उपरांत पिताजी का नेत्रदान का कार्य
संपन्न करवाया ।
सहज,सरल,और विनम्र स्वभाव के महावीर जैन धर्म कर्म,
साधु संतों और जीव दया में आस्था रखने वाले ,नियमित मंदिर में सेवा देने
वाले व्यक्ति थे । पिता के सेवा कार्यों से प्रेरित होकर ही परिजनों ने
नेत्रदान का कार्य शाइन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से संपन्न करवाया ।
नेत्रदान के पुनीत कार्य में दामाद राकेश,मुकेश,राम बंसल और सुरेंद्र अग्रवाल का भी सहयोग रहा
और जिन (के नेकियों) के पल्लें हल्के होंगें तो यही लोग है जिन्होंने अपना नुक़सान किया कि हमेशा जहन्नुम में रहेंगे
(जहाँ) क़ब्रों से उठाए जाएँगें (रहना होगा) फिर जिस वक़्त सूर फूँका जाएगा
तो उस दिन न लोगों में क़राबत दारियाँ रहेगी और न एक दूसरे की बात पूछेंगे
(101)
फिर जिन (के नेकियों) के पल्लें भारी होगें तो यही लोग कामयाब होंगे (102)
और जिन (के नेकियों) के पल्लें हल्के होंगें तो यही लोग है जिन्होंने अपना नुक़सान किया कि हमेशा जहन्नुम में रहेंगे (103)
और (उनकी ये हालत होगी कि) जहन्नुम की आग उनके मुँह को झुलसा देगी और लोग मुँह बनाए हुए होगें (104)
(उस वक़्त हम पूछेंगें) क्या तुम्हारे सामने मेरी आयतें न पढ़ी गयीं थीं (ज़रुर पढ़ी गयी थीं) तो तुम उन्हें झुठलाया करते थे (105)
वह जवाब देगें ऐ हमारे परवरदिगार हमको हमारी कम्बख़्ती ने आज़माया और हम गुमराह लोग थे (106)
परवरदिगार हमको (अबकी दफ़ा ) किसी तरह इस जहन्नुम से निकाल दे फिर अगर दोबारा हम ऐसा करें तो अलबत्ता हम कुसूरवार हैं (107)
ख़ुदा फरमाएगा दूर हो इसी में (तुम को रहना होगा) और (बस) मुझ से बात न करो (108)
मेरे बन्दों में से एक गिरोह ऐसा भी था जो (बराबर) ये दुआ करता था कि ऐ
हमारे पालने वाले हम इमान लाए तो तू हमको बक्श दे और हम पर रहम कर तू तो
तमाम रहम करने वालों से बेहतर है (109)
तो तुम लोगों ने उन्हें मसख़रा बना लिया-यहाँ तक कि (गोया) उन लोगों ने
तुम से मेरी याद भुला दी और तुम उन पर (बराबर) हँसते रहे (110)