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04 जुलाई 2025

बाल मन तक पुस्तक पर मेरा अभिमत

 

बाल मन तक पुस्तक पर मेरा अभिमत
सनद रहे..
पिछले रविवार लेखक प्रभात कुमार सिंघल की बाल कृति *बाल मन तक* का विमोचन हुआ। एक प्रति मुझे भी मिली। दूसरे दिन दोपहर में पन्ने उलट कर देखें। किताब को देख कर मन में प्रश्न आया, ये सब कार्यक्रम तो हो चुके फिर इसकी किताब निकलने की क्या जरूरत थी? बेकार ही रुपए और समय बर्बाद किया।
किताब का तीसरा और चौथा खंड देखा तो अपनी ही सोच पर अफसोस भी हुआ। तीसरे खंड में सात बाल साहित्यकारों के बच्चों से संबंधित विभिन्न साहित्यिक विषयों पर संपादक के विस्तृत साक्षात्कार लिखे थे। ये साक्षात्कार सभी बाल साहित्यकारों के लिए जो बालकों के लिए लिखते हैं बहुत ही उपयोगी और दिशाबोधक लगे। ऐसे साक्षात्कार सामने आने चाहिए।
चौथा खंड बाल साहित्यकारों की पुस्तकों की समीक्षाओं का था, जिनकी संपादक ने स्वयं समीक्षा की है। किसी भी बाल किताब की समीक्षा किताब के महत्व को बताती है और पढ़ने को प्रेरित भी करती है।
पहला और दूसरा खंड बच्चों में साहित्य के प्रति रुचि जगाने और साहित्यकारों को बाल साहित्य लिखने को प्रेरित किए गए प्रयासों पर है। बच्चों में साहित्य के प्रति प्रेम जागृत करने के लिए बाल साहित्य मेलों का आयोजन का विवरण पढ़ कर लगा की इस प्रकार के आयोजनों की बड़ी जरूरत हैं। जो महिला साहित्यकार इस आयोजन से जुड़ी उनके योगदान को सामने लाना और सम्मान देना संपादक के विशाल हृदय का प्रतीक है। दूसरे खंड में विभिन्न कविता लेखन प्रतियोगिताओं में प्राप्त बाल कविताओं का संकलन प्रेरित करता है।
इन प्रयासों के लिए मैं अपनी ओर से प्रभात भैया का आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने आगे आ कर सबको साथ ले कर बाल साहित्य की ओर एक कदम बढ़ाया। उनके द्वारा किए गए प्रयास गुजरे समय की बात बन कर ही नहीं रह जाए, शायद इसी भावना से यह पुस्तक सामने आई है, ताकि सनद रहे !
रेणु सिंह राधे
साहित्यकार, कोटा

वरिष्ठ पत्रकार हीरालाल व्यास का निधन, पत्रकारिता जगत में शोक की लहर

 

वरिष्ठ पत्रकार हीरालाल व्यास का निधन, पत्रकारिता जगत में शोक की लहर
यूनिवार्ता के पूर्व ब्यूरो चीफ रहे, 55 वर्षों तक निभाई पत्रकारिता की निष्पक्ष सेवा
प्रख्यात पत्रकार, यूनिवार्ता के पूर्व ब्यूरो चीफ और वरिष्ठ मीडिया कर्मी हीरालाल व्यास का शुक्रवार को गुजरात के वडोदरा निवास पर हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे। निधन की सूचना मिलते ही कोटा सहित प्रदेशभर के मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
स्व. हीरालाल व्यास का जन्म सितंबर 1947 में हुआ था और उन्होंने 4 जुलाई 2025 को अंतिम सांस ली। वे अपने पीछे एक पुत्र, एक पुत्री, दामाद और नाती-नातिनों से भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
पत्रकारिता का चार दशक लंबा सफर
स्व. व्यास ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत हिन्दुस्तान समाचार (अहमदाबाद) से की थी। इसके बाद वे दिल्ली, जयपुर, इंदौर, जबलपुर और भोपाल में भी सक्रिय पत्रकारिता से जुड़े रहे। वर्ष 1982 में वे कोटा स्थानांतरित हुए, जहाँ उन्हें यूनिवार्ता (यूएनआई हिन्दी सेवा) का ब्यूरो चीफ नियुक्त किया गया।
लगभग 20 वर्षों तक कोटा यूनिवार्ता में अपनी सेवाएं देने के बाद वे वर्ष 2007 में राजस्थान ब्यूरो चीफ के पद से सेवानिवृत्त हुए। इसके उपरांत वे फ्रीलांस पत्रकार के रूप में सामाजिक और मीडिया जगत से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। उन्होंने कोटा प्रेस क्लब के निर्माण और विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शोक संवेदनाएं
वरिष्ठ पत्रकार के निधन पर विभिन्न पत्रकार संगठनों एवं मीडिया संस्थानों से जुड़े लोगों ने शोक व्यक्त किया।
मीडिया कॉंसिल आॅफ जर्नलिस्ट के प्रदेश अध्यक्ष नीरज गुप्ता, प्रदेश संगठन महामंत्री योगेश जोशी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मनोहर पारिक, प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष धीरज गुप्ता तेज, वरिष्ठ पत्रकार विजय माथुर, पुरुषोत्तम पंचोली, धीरेन्द्र राहुल, दामोदर भट्ट, सुबोध जैन, , जनार्दन गुप्ता, जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष हरिवल्लभ मेघवाल, पीआईबी के पूर्व निदेशक रामखिलाड़ी मीणा, अख्तर खान अकेला,, दिनेश गौतम मामा, ग्रेटर प्रेस क्लब अध्यक्ष सुनील माथुर, रविंद्र शर्मा और राहुल पारिक सहित अनेक पत्रकारों ने अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट कीं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पत्रकारिता क्षेत्र में ईमानदारी, निष्पक्षता और प्रतिबद्धता के प्रतीक रहे हीरालाल व्यास का निधन पत्रकार जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

जिस्म से वो साथ था मगर गुम कही उसका चेहरा था शायद,

 

जिस्म से वो साथ था मगर गुम कही उसका चेहरा था शायद,
इश्क का मारा बंदा उसका जख़्म भी हरा हरा था शायद ,
मुतमइन भी होता उसका कल्ब बेवजह दिखावटी हो,
उसके दिल का भी घाव थोड़ा बहुत सुनहरा था शायद ,
मुद्दतों साथ रहे हम फिर भी न रूबरू हुई मै उसकी शक्ल से,
हमारे नजदीकियों के दरमियाँ दूरियों घना कोहरा था शायद ,
खोयी खोयी सी रहती उसके चेहरे की नजाकत हमेशा,
मुख्तसर् सी जिंदगी में किसी की यादों का पहरा था शायद ,
मैने कह दी उससे अपने दिल की दास्ताँ दिलशाद मेरे,
मेरी दास्ताँ सुनने वाला वो बेगैरत दिल से बहरा था शायद ,

वह लोग कहने लगे ख़ुदा की क़सम तुम्हें ख़ुदा ने यक़ीनन हम पर फज़ीलत दी है और बेशक हम ही यक़ीनन (अज़सरतापा) ख़तावार थे

 वह लोग कहने लगे ख़ुदा की क़सम तुम्हें ख़ुदा ने यक़ीनन हम पर फज़ीलत दी है और बेशक हम ही यक़ीनन (अज़सरतापा) ख़तावार थे (91)
यूसुफ ने कहा अब आज से तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं ख़ुदा तुम्हारे गुनाह माफ फरमाए वह तो सबसे ज़्यादा रहीम है ये मेरा कुर्ता ले जाओ (92)
और उसको अब्बा जान के चेहरे पर डाल देना कि वह फिर बीना हो जाएगें (देखने लगेंगे) और तुम लोग अपने सब लड़के बालों को लेकर मेरे पास चले आओ (93)
और जो ही ये काफि़ला मिस्र से चला था कि उन लोगों के वालिद (याक़ूब) ने कहा दिया था कि अगर मुझे सठिया या हुआ न कहो तो बात कहूँ कि मुझे यूसुफ की बू मालूम हो रही है (94)
वह लोग कुनबे वाले (पोते वग़ैराह) कहने लगे आप यक़ीनन अपने पुराने ख़याल (मोहब्बत) में (पड़े हुए) हैं (95)
फिर (यूसुफ की) खुशखबरी देने वाला आया और उनके कुर्ते को उनके चेहरे पर डाल दिया तो याक़ूब फौरन फिर दोबारा आँख वाले हो गए (तब याक़ूब ने बेटों से) कहा क्यों मै तुमसे न कहता था जो बातें खु़दा की तरफ से मै जानता हूँ तुम नहीं जानते (96)
उन लोगों ने अज्र की ऐ अब्बा हमारे गुनाहों की मग़फिरत की (ख़ुदा की बारगाह में) हमारे वास्ते दुआ माँगिए हम बेशक अज़सरतापा गुनेहगार हैं (97)
याक़ूब ने कहा मै बहुत जल्द अपने परवरदिगार से तुम्हारी मग़फिरत की दुआ करुगाँ बेशक वह बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है (98)
(ग़रज़) जब फिर ये लोग (मय याकू़ब के) चले और यूसुफ शहर के बाहर लेने आए तो जब ये लोग यूसुफ के पास पहुँचे तो यूफ ने अपने माँ बाप को अपने पास जगह दी और (उनसे) कहा कि अब इनशा अल्लाह बड़े इत्मिनान से मिस्र में चलिए (99)
(ग़रज़) पहुँचकर यूसुफ ने अपने माँ बाप को तख़्त पर बिठाया और सब के सब यूसुफ की ताज़ीम के वास्ते उनके सामने सजदे में गिर पड़े (उस वक़्त) यूसुफ ने कहा ऐ अब्बा ये ताबीर है मेरे उस पहले ख़्वाब की कि मेरे परवरदिगार ने उसे सच कर दिखाया बेशक उसने मेरे साथ एहसान किया जब उसने मुझे क़ैद ख़ाने से निकाला और बावजूद कि मुझ में और मेरे भाईयों में शैतान ने फसाद डाल दिया था उसके बाद भी आप लोगों को गाँव से (शहर में) ले आया (और मुझसे मिला दिया) बेशक मेरा परवरदिगार जो कुछ करता है उसकी तद्बीर खूब जानता है बेशक वह बड़ा वाकिफकार हकीम है (100)

03 जुलाई 2025

कोटा न्यायालय परिसर के लिए किसान भवन के पास निर्माण मामले में विस्तारित आदेश के साथ निर्माण अनापत्ति शीघ्र मिलना सम्भव ,, खुले में बैठने वाले वकील साथियों के लिए अम्बेडकर मूर्ति स्थल के पीछे नई व्यवस्था के प्रयास अंतिम चरणों में ,

 

कोटा न्यायालय परिसर के लिए किसान भवन के पास निर्माण मामले में विस्तारित आदेश के साथ निर्माण अनापत्ति शीघ्र मिलना सम्भव ,, खुले में बैठने वाले वकील साथियों के लिए अम्बेडकर मूर्ति स्थल के पीछे नई व्यवस्था के प्रयास अंतिम चरणों में ,
कोटा 3 जुलाई कोटा में मिनी सचिवालय के ख्वाब लगभग धूमिल होने को हैं , लेकिन शायद कहावत नहीं मामा से काना मामा ,वाली चरितार्थ होकर , कोटा न्यायालय परिसर , किसान भवन मयूर पेट्रोल पम्प के पास पूर्व में आवंटित ज़मीन पर ही विस्तारित न्यायालय का काम शीघ्र शुरू हो जाए , इस मामले में अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष मनोजपुरी , कार्यकारिणी ने केंद्र और राज्य स्तर पर अलग अलग जन प्रतिनिधियों से वार्ता कर प्रयास शुरू किये हुए हैं , कोटा में चल रही अदालतों की संख्या के हिसाब से , यहां परिसर नहीं होने से , अदालत परिसर प्रबंधन व्यवस्था छिन्न भिन्न है , मुख्य न्यायिक परिसर के अलावा कलेक्ट्रेट परिसर , सिविल लाइंस , अस्पताल के सामने , गांवड़ी क्षेत्रों में , किलोमीटर के फासले पर , ऊपरी मंज़िलों के भवनों तक में , किराए के परिसरों में अदालतें होने से , वकीलों और पक्षकारों के लिए हालात दुष्कर हैं , ओर करोड़ों रुपये के किराए के खर्च मुफ्त में हैं,, खुद न्यायिक अधिकारीयों और स्टाफ के लिए भी पत्रावलियां नक़ल सेक्शन में लाने ले जाने , ऐवजी कोर्ट में हस्ताक्षर कराने आने जाने में काफी दिक़्क़तें होती है ,वर्तमान में कोटा की मोटर यान दुर्घटना मामलों की तीन न्यायालय ,,किराया अधिकरण ,, किराया अपील अधिकरण , ऍन आई कोर्ट क्रम 4 , कॉमर्शियल कोर्ट ,,, किरायेदारी वाले परिसर में चल रही हैं , 2 दक्षिण , 5 दक्षिण , 3 उत्तर , कलेक्ट्रेट परिसर में हैं जबकि पोक्सो की 4 कोर्ट , फेमिली कोर्ट की 3 कोर्ट भी मुख्य न्यायालय परिसर से दूर दराज़ स्थित होने से दिक़्क़ते हैं , अगर किसान भवन के पास सभी अदालतें एक साथ खुलती है , तो वकील साथियों को भी फायदा होगा और व्यवस्था में सुधार भी होगा ,, मनोजपुरी ने इस संबंध में अलग अलग प्रतिनिधियों से वार्ता की थी , इस मामले में , केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सहमति , अनापत्ति स्वीकृत होकर कोटा पहुंचने वाली है , जबकि पूर्व में आवंटित किसान भवन के पास स्थित अदालत परिसर निर्माण की भूमि , कम पढ़ रही थी , इसलिए अब मुख्य सड़क तक , उक्त भूमि का आवंटन , निर्माण आपत्ति के साथ, विस्तारित भी किया जा सकता है , अगर ऐसा हुआ , तो यह भूमि , अदालत परिसर व्यवस्थाओं के लिए वर्तमान परिसर के साथ भविष्य के दस बीस सालों के लिए भी पर्याप्त हो जाएगा ,, कोटा के वर्तमान न्यायालय परिसर में पानी की भराव की समस्या , परिसर में बैठने की व्यवस्थाओं में कमी ,, पक्षकारों के लिए कोई स्थान नहीं , वाहन रखने के लिए अव्यवस्थित स्टेण्ड , केंटीन सहित कई तरह की समस्याओं का जमावड़ा है , लेकिन फोरी तोर पर , व्यवस्थाओं के लिए , मनोजपुरी की कार्यकारिणी ने , हाल में सेशन जज के सामने गार्डन में ,, नक़ल विभाग, पोस्ट ऑफिस के आसपास , बिना टीन शेड , के बैठने वाले वकील साथियों के लिए , अम्बेडकर की मूर्तिस्थल के पीछे ,, बेकार सी पढ़ी ज़मीन को विकसित करवाकर , एक बैठने की जगह बनवाई है , जिसका काया कल्प होने के बाद वहां क़रीब सो से भी अधिक वकील साथियों की बैठने की व्यवस्था किया जाना संभावित है , इसके लिए अभी कुर्सी टेबल के टेंडर कर , वहां कुर्सी टेबलें लगाना बाक़ी है , इस व्यवस्था से खुले में गार्डन में , नक़ल सेक्शन के पास बैठने वाले क़रीब सो से भी अधिक वकील साथियों को राहत मिलने की संभावना है , ,,देखते हैं , वर्तमान में क्या व्यवस्थाएं होती है , क्या बदलाव होते हैं , ,,,लेकिन पानी की निकासी का तो समाधान अभी तक हरगिज़ नहीं हो पाया है , यह कड़वा सच है , ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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