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19 दिसंबर 2025

डॉक्टर प्रभात सिंघल सर सहित सभीबको बधाई , मुबारकबाद, राजस्थान के महामहिम राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागडे 20 दिसंबर को लालसोट में 11 राज्यों के 31 साहित्यकारों को सम्मानित करेंगे........ कोटा से डॉ. मनीषा शर्मा, विष्णु शर्मा हरिहर, रामनारायण मीणा हलदर और डॉ. प्रभात कुमार सिंघल सम्मानित होंगे.....

 

डॉक्टर प्रभात सिंघल सर सहित सभीबको बधाई , मुबारकबाद, राजस्थान के महामहिम राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागडे 20 दिसंबर को लालसोट में 11 राज्यों के 31 साहित्यकारों को सम्मानित करेंगे........ कोटा से डॉ. मनीषा शर्मा, विष्णु शर्मा हरिहर, रामनारायण मीणा हलदर और डॉ. प्रभात कुमार सिंघल सम्मानित होंगे.....
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** अनुराग सेवा संस्थान लालसोट के स्थापना के इक्तीस वर्ष पूर्ण होने पर संस्थान द्वारा "अनुराग -31" के अन्तर्गत आयोजित विभिन्न साहित्यिक , सांस्कृतिक, बौद्धिक, क्रीड़ा, धार्मिक, सामाजिक , लोक- संस्कृति, सामाजिक समरसता, साम्प्रदायिक सद्भाव, सनातन संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सभी 31 कार्यक्रमों के अन्तर्गत अखिल भारतीय अनुराग साहित्य सम्मान 2025 में 11 राज्यों के 31 साहित्यकारों को सम्मानित किया जाएगा।
** इसके अन्तर्गत पद्मश्री डॉक्टर रवीन्द्र कुमार, मेरठ को साहित्य में विशिष्ट अवदान हेतु अनुराग साहित्य श्री सम्मान -2025 से सम्मानित किया जाएगा वहीं स्मृति सम्मान में डॉ पदम सिंह पदम, करहल मैनपुरी -हिंदी लेखिकाओं का इतिहास (साहित्य इतिहास) , डॉ रामकुमार घोटड़ सार्दुलपुर चूरू -बाल मन की दस्तावेजी लघुकथाऍं (लघुकथा), डा प्रबोध कुमार गोविल, जयपुर, पिंजरा तोड़ के भागा पंछी, (आत्मकथा) डॉ अखिलेश निगम लखन‌ऊ- अखिल दोहा सतसई (दोहा संग्रह) , श्री जगदीश मोहन रावत, जयपुर - अंग अंग में चन्दन वन, (गीत), श्री श्याम प्रकाश देवपुरा, श्रीनाथद्वारा हरसिंगार (पत्रिका) (संपादन), डा आर पी सारस्वत, मुम्बई (महाराष्ट्र)- सिमटती साँसों का संघर्ष, डायरी , श्री रामनारायण शर्मा, श्री गंगानगर - रामचरितमानस में पर्यावरण (आध्यात्मिक विवेचन), श्रीमती शील कौशिक सिरसा, हरियाणा, - माया का रहस्यमयी टीला, (बाल साहित्य), डा मनीषा शर्मा छावनी कोटा-हिंदी कथा साहित्य विमर्श (आलोचना), श्री देवेन्द्र कुमार मिश्रा जबलपुर, मप्र - डस्ट एवं अन्य कहानियां, (कहानी), श्री विष्णु शर्मा 'हरिहर', कोटा, - त्रिवेणी, (हाईकू), श्री रामनारायण हलधर कोटा- धूप और चांदनी, (ग़ज़ल), डा. नीना छिब्बर जोधपुर- अब लौट चलें, (कविता), अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा अटल सजल संग्रह (सजल), श्रीमती बसंती पॅंवार जोधपुर - अपना अपना भाग्य, (हिन्दी अनुवाद), श्री अमर बानियां लोहारो गन्तोक सिक्किम- हँसिली लीला(अनुवाद), श्रीमती विमला नागला, केकड़ी - तुलसी चिरमी लिख लिख पाती, (पत्र), श्री संतोष दास शास्त्री नैनीताल उत्तराखंड - वनवासी राघवेंद्र (आध्यात्मिक आलेख) , श्री महाराम सिंह मृदुल , इटावा, - माटी का तो धर्म एक है (गीत), श्री प्रेमपाल शर्मा , दिल्ली, - स्मृतियों के मोती, (संस्मरण), श्रीमती एकता अमित व्यास कच्छ गुजरात - अमीरन, (उपन्यास), डॉ प्रदीप कुमार शर्मा रायपुर, छत्तीसगढ़ - अपने अपने संस्कार,( लघुकथा), श्री रवि पुरोहित बीकानेर , आग अभी शेष है (कविता), श्री नीलम राकेश लखनऊ, उ प्र - फूलों की बगिया, (बाल साहित्य), श्री शिव मोहन यादव, दिल्ली, श्री कृष्ण अर्जुन युद्ध, (खण्ड काव्य), श्री प्रभात कुमार सिंघल, कोटा, राजस्थान के साहित्य साधक, (जीवनी), श्री सतीश कुमार, किशनगढ़ , राजस्थान (जीवनी साहित्य), श्री नरेंद्र निर्मल, भरतपुर , - धूप छांव (गीत), श्री धर्मेन्द्र सैनी, बांदीकुई दौसा - फुनगी , उपन्यास (युवा साहित्यकार) को प्रदान किए जाएंगे।
** दौसा जिले से श्री विनोद गौड, श्री अनुराग प्रेमी , श्री कृष्णा सैनी एवं श्री बुद्धिप्रकाश महावर मन को विशिष्ट सम्मान प्रदान किया जाएगा।
** साहित्य श्री सम्मान के लिए 11000/ नगद व स्मृति सम्मान हेतु प्रत्येक साहित्यकार को 3100/ रुपए नगद, श्रीफल, शाल, स्मृति चिह्न, प्रमाण पत्र व कलम आदि से सम्मानित किया जाएगा।
- अनुराग सेवा संस्थान लालसोट, जिला दौसा

और हमने उनको (गुमराहों का) पेशवा बनाया कि (लोगों को) जहन्नुम की तरफ बुलाते है और क़यामत के दिन (ऐसे बेकस होगें कि) उनको किसी तरह की मदद न दी जाएगी

 और हमने उनको (गुमराहों का) पेशवा बनाया कि (लोगों को) जहन्नुम की तरफ बुलाते है और क़यामत के दिन (ऐसे बेकस होगें कि) उनको किसी तरह की मदद न दी जाएगी (41)
और हमने दुनिया में भी तो लानत उन के पीछे लगा दी है और क़यामत के दिन उनके चेहरे बिगाड़ दिए जायेंगे (42)
और हमने बहुतेरी अगली उम्मतों को हलाक कर डाला उसके बाद मूसा को किताब (तौरैत) अता की जो लोगों के लिए अजसरतापा बसीरत और हिदायत और रहमत थी ताकि वह लोग इबरत व नसीहत हासिल करें (43)
और (ऐ रसूल) जिस वक़्त हमने मूसा के पास अपना हुक्म भेजा था तो तुम (तूर के) मग़रिबी जानिब मौजूद न थे और न तुम उन वाक़्यात को चश्मदीद देखने वालों में से थे (44)
मगर हमने (मूसा के बाद) बहुतेरी उम्मतें पैदा की फिर उन पर एक ज़माना दराज़ गुज़र गया और न तुम मदैन के लोगों में रहे थे कि उनके सामने हमारी आयते पढ़ते (और न तुम को उन के हालात मालूम होते) मगर हम तो (तुमको) पैग़म्बर बनाकर भेजने वाले थे (45)
और न तुम तूर की किसी जानिब उस वक़्त मौजूद थे जब हमने (मूसा को) आवाज़ दी थी (ताकि तुम देखते) मगर ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी है ताकि तुम उन लोगों को जिनके पास तुमसे पहले कोई डराने वाला आया ही नहीं डराओ ताकि ये लोग नसीहत हासिल करें (46)
और अगर ये नही होता कि जब उन पर उनकी अगली करतूतों की बदौलत कोई मुसीबत पड़ती तो बेसाख़्ता कह बैठते कि परवरदिगार तूने हमारे पास कोई पैग़म्बर क्यों न भेजा कि हम तेरे हुक्मों पर चलते और इमानदारों में होते (तो हम तुमको न भेजते ) (47)
मगर फिर जब हमारी बारगाह से (दीन) हक़ उनके पास पहुँचा तो कहने लगे जैसे (मौजिज़े) मूसा को अता हुए थे वैसे ही इस रसूल (मोहम्मद) को क्यों नही दिए गए क्या जो मौजिज़े इससे पहले मूसा को अता हुए थे उनसे इन लोगों ने इन्कार न किया था कुफ़्फ़ार तो ये भी कह गुज़रे कि ये दोनों के दोनों (तौरैत व कु़रआन) जादू हैं कि बाहम एक दूसरे के मददगार हो गए हैं (48)
और ये भी कह चुके कि हम एब के मुन्किर हैं (ऐ रसूल) तुम (इन लोगों से) कह दो कि अगर सच्चे हो तो ख़ुदा की तरफ से एक ऐसी किताब जो इन दोनों से हिदायत में बेहतर हो ले आओ (49)
कि मै भी उस पर चलूँ फिर अगर ये लोग (इस पर भी) न मानें तो समझ लो कि ये लोग बस अपनी हवा व हवस की पैरवी करते है और जो शख़्स ख़ुदा की हिदायत को छोड़ कर अपनी हवा व हवस की पैरवी करते है उससे ज़्यादा गुमराह कौन होगा बेशक ख़़ुदा सरकश लोगों को मंजि़ले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता (50)

18 दिसंबर 2025

परिवार की सहमति से संपन्न हुए दो नेत्रदान

  परिवार की सहमति से संपन्न हुए दो नेत्रदान

बुधवार देर रात टीचर्स कॉलोनी निवासी, सिद्धार्थ श्रेयांश और सौरभ मेहता (रायपुर वाले) के पिताजी दीपचंद मेहता का आकस्मिक निधन हो गया था । प्रारंभ से ही संघर्ष मय जीवन रहने के बाद भी उन्होंने अपने बच्चों को उचित शिक्षा और व्यवसाय दिया ।

परिवार के सदस्यों ने स्व-प्रेरणा से,मां पुष्पा मेहता से पिताजी के नेत्रदान की सहमति लेकर देर रात शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क किया । इसके उपरांत ने नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।

इसी क्रम में गुरुवार को आज सुबह,श्रीपुरा निवासी, कमला देवी का हृदयघात से आकस्मिक निधन हुआ,जिसके उपरांत बेटी दिव्या और दामाद नवीन दरयानी ने सहमति कर माता जी के नेत्रदान का कार्य संपन्न करवाया ।

नवीन संस्था शाइन इंडिया के साथ ज्योति मित्र के रूप में, काफ़ी समय से कार्य कर रहे हैं। पूर्व में भी इन्होंने अपने परिवार के तीन करीबी सदस्यों, स्व० विद्या देवी छाबड़िया,स्व० मीरा देवी छाबड़िया और स्व० दिलीप छाबड़िया का भी नेत्रदान संपन्न करवाया है ।

डॉक्टर एम डी मेडिशन सतीश कुमार ने लाखेरी के स्वास्थ्य केंद्र में एम ओ के पद पर दी जॉइनिंग

 

डॉक्टर एम डी मेडिशन सतीश कुमार ने लाखेरी के स्वास्थ्य केंद्र में एम ओ के पद पर दी जॉइनिंग
के डी अब्बासी
कोटा,18 दिसंबर।
डॉक्टर एम डी मेडिशन सतीश कुमार ने आज 18 दिसंबर 25 को लाखेरी के स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल ऑफिसर के पद पर नई जॉइनिंग दी है। डॉक्टर सतीश स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने उनका माला पहनाकर स्वागत किया।
डॉ. सतीश कुमार एक योग्य, अनुभवी और समर्पित चिकित्सक हैं, जो मरीजों की सेवा और स्वास्थ्य सुधार को अपना जीवन लक्ष्य मानते हैं। उनकी चिकित्सा शिक्षा मजबूत और विश्वसनीय संस्थान से प्राप्त हुई है। वर्षों के अनुभव के साथ वे अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट पहचान रखते हैं।
डॉ. सतीश कुमार न केवल आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करते हैं, बल्कि मरीजों की समस्या को ध्यान से समझना और सरल भाषा में समझाना उनकी विशेषता है। वे अपने दयालु व्यवहार, सटीक निदान और प्रभावी उपचार के लिए जाने जाते हैं।
मुख्य विशेषताएँ
मरीजों के प्रति विनम्र और संवेदनशील
गंभीर बीमारियों का सही समय पर निदान
आधुनिक तकनीक और नवीनतम उपचार पद्धति का उपयोग
आपातकालीन स्थितियों में त्वरित निर्णय क्षमता
सामाजिक स्वास्थ्य सेवाओं में सक्रिय भागीदारीकार्य शैली
डॉ. सतीश हमेशा मरीज के पूरे स्वास्थ्य इतिहास को समझकर ही उपचार आरंभकरते हैं।
वे सावधानी, ईमानदारी और नैतिक चिकित्सा सिद्धांतों का पालन करते हुए मरीजों को बेहतरीन सेवा प्रदान करते हैं।

और यह (भी आवाज़ आयी) कि तुम आपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दो फिर जब (डाल दिया तो) देखा कि वह इस तरह बल खा रही है कि गोया वह (जि़न्दा) अजदहा है तो पीठ फेरके भागे और पीछे मुड़कर भी न देखा (तो हमने फरमाया) ऐ मूसा आगे आओ और डरो नहीं तुम पर हर तरह अमन व अमान में हो

 और यह (भी आवाज़ आयी) कि तुम आपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दो फिर जब (डाल दिया तो) देखा कि वह इस तरह बल खा रही है कि गोया वह (जि़न्दा) अजदहा है तो पीठ फेरके भागे और पीछे मुड़कर भी न देखा (तो हमने फरमाया) ऐ मूसा आगे आओ और डरो नहीं तुम पर हर तरह अमन व अमान में हो (31)
(अच्छा और लो) अपना हाथ गरेबान में डालो (और निकाल लो) तो सफेद बुर्राक़ होकर बेऐब निकल आया और ख़ौफ़ की (वजह) से अपने बाजू़ अपनी तरफ़ समेट लो (ताकि ख़ौफ जाता रहे) ग़रज़ ये दोनों (असा व यदे बैज़ा) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (तुम्हारी नुबूवत की) दो दलीलें फ़िरऔन और उसके दरबार के सरदारों के वास्ते हैं और इसमें शक नहीं कि वह बदकार लोग थे (32)
मूसा ने अर्ज़ की परवरदिगार मैने उनमें से एक शख़्स को मार डाला था तो मै डरता हूँ कहीं (उसके बदले) मुझे न मार डालें (33)
और मेरा भाई हारुन वह मुझसे (ज़बान में ज़्यादा) फ़सीह है तो तू उसे मेरे साथ मेरा मददगार बनाकर भेज कि वह मेरी तसदीक करे क्योंकि यक़ीनन मै इस बात से डरता हूँ कि मुझे वह लोग झुठला देंगे (तो उनके जवाब के लिए गोयाइ की ज़रुरत है) (34)
फ़रमाया अच्छा हम अनक़रीब तुम्हारे भाई की वजह से तुम्हारे बाज़ू क़वी कर देगें और तुम दोनों को ऐसा ग़लबा अता करेंगें कि फ़िरऔनी लोग तुम दोनों तक हमारे मौजिज़े की वजह से पहुँच भी न सकेंगे लो जाओ तुम दोनो और तुम्हारे पैरवी करने वाले गा़लिब रहेंगे (35)
ग़रज़ जब मूसा हमारे वाजे़ए व रौशन मौजिज़े लेकर उनके पास आए तो वह लोग कहने लगे कि ये तो बस अपने दिल का गढ़ा हुआ जादू है और हमने तो अपने अगले बाप दादाओं (के ज़माने) में ऐसी बात सुनी भी नही (36)
और मूसा ने कहा मेरा परवरदिगार उस शख़्स से ख़ूब वाकि़फ़ है जो उसकी बारगाह से हिदायत लेकर आया है और उस शख़्स से भी जिसके लिए आखि़रत का घर है इसमें तो शक ही नहीं कि ज़ालिम लोग कामयाब नहीं होते (37)
और (ये सुनकर) फ़िरऔन ने कहा ऐ मेरे दरबार के सरदारों मुझ को तो अपने सिवा तुम्हारा कोई परवरदिगार मालूम नही होता (और मूसा दूसरे को ख़़ुदा बताता है) तो ऐ हामान (वज़ीर फ़िरऔन) तुम मेरे वास्ते मिट्टी (की ईटों) का पजावा सुलगाओ फिर मेरे वास्ते एक पुख़्ता महल तैयार कराओ ताकि मै (उस पर चढ़ कर) मूसा के ख़ुदा को देंखू और मै तो यक़ीनन मूसा को झूठा समझता हूँ (38)
और फ़िरऔन और उसके लशकर ने रुए ज़मीन में नाहक़ सर उठाया था और उन लोगों ने समझ लिया था कि हमारी बारगाह मे वह कभी पलट कर नही आएँगे (39)
तो हमने उसको और उसके लशकर को ले डाला फिर उन सबको दरिया में डाल दिया तो (ऐ रसूल) ज़रा देखों तो कि ज़ालिमों का कैसा बुरा अन्जाम हुआ (40)

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