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16 अक्तूबर 2024

ज्योति मित्र ने माँ के बाद अब पिता का कराया नैत्रदान

ज्योति मित्र ने माँ के बाद अब पिता का कराया नैत्रदान

2. परिजनों के देवलोकगमन पश्चात स्मृतिशेष है, नेत्रदान।


कोटा,दादाबाड़ी निवासी जिला कलेक्ट्रेट कोटा में डीओआईटी प्रोग्रामर के पद पर कार्यरत व शाइन इंडिया के ज्योति-मित्र कौशल किशोर शर्मा के पिताजी रामस्वरूप शर्मा (सीनियर अकाउंट ऑफिसर रेलवे विभाग) का कल हृदय घात से आकस्मिक निधन हो गया ।

दुखी की घड़ी के बाद भी कौशल जी ने अपने तीनों भाई राकेश,पुरुषोत्तम और विष्णु से पिताजी के नेत्रदान के लिए सहमति ली । सभी की सहमति प्राप्त होते ही सुबह नैत्रदान का कार्य संपन्न हुआ । अभी 4 महीने पूर्व जून में ही,कौशल की माताजी रुक्मिणी देवी शर्मा का भी निधन हुआ था,उस समय भी परिवार के सदस्यों ने पहल करके माता जी के नेत्रदान का कार्य संपन्न करवाया था ।

संस्था सदस्यों का कहना की,कौशल व बहू मैना शर्मा संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान अभियान से काफी समय से जुड़े हुए हैं । नेत्रदान जारूकता की गतिविधियों में भी दोनों अपनी प्रत्यक्ष भूमिका निभाते हुए आये है, इसीलिए जैसे ही घर में यह दुखद घटना घटी उन्होंने तुरंत ही नेत्रदान का कार्य संपन्न करवाया ।

(ये भी) कह दो कि मैं तुम्हारे हक़ में न बुराई ही का एख़्तेयार रखता हूँ और न भलाई का

 (ये भी) कह दो कि मैं तुम्हारे हक़ में न बुराई ही का एख़्तेयार रखता हूँ और न भलाई का (21)
(ये भी) कह दो कि मुझे ख़ुदा (के अज़ाब) से कोई भी पनाह नहीं दे सकता और न मैं उसके सिवा कहीं पनाह की जगह देखता हूँ (22)
ख़ुदा की तरफ़ से (एहकाम के) पहुँचा देने और उसके पैग़ामों के सिवा (कुछ नहीं कर सकता) और जिसने ख़ुदा और उसके रसूल की नाफ़रमानी की तो उसके लिए यक़ीनन जहन्नुम की आग है जिसमें वह हमेशा और अबादुल आबाद तक रहेगा (23)
यहाँ तक कि जब ये लोग उन चीज़ों को देख लेंगे जिनका उनसे वायदा किया जाता है तो उनको मालूम हो जाएगा कि किसके मददगार कमज़ोर और किसका शुमार कम है (24)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं नहीं जानता कि जिस दिन का तुमसे वायदा किया जाता है क़रीब है या मेरे परवरदिगार ने उसकी मुद्दत दराज़ कर दी है (25)
(वही) ग़ैबवाँ है और अपनी ग़ैब की बाते किसी पर ज़ाहिर नहीं करता (26)
मगर जिस पैग़म्बर को पसन्द फ़रमाए तो उसके आगे और पीछे निगेहबान फरिश्ते मुक़र्रर कर देता है (27)
ताकि देख ले कि उन्होंने अपने परवरदिगार के पैग़ामात पहुँचा दिए और (यूँ तो) जो कुछ उनके पास है वह सब पर हावी है और उसने तो एक एक चीज़ गिन रखी हैं (28)

15 अक्तूबर 2024

वर्ल्ड एनाटॉमी डे" पर लघुवार्ता का आयोजन

 वर्ल्ड एनाटॉमी डे" पर लघुवार्ता का आयोजन

शाइन इंडिया फाउंडेशन के जवाहर नगर स्थित कार्यालय पर आज विश्व शरीर रचना दिवस पर (वर्ल्ड एनाटॉमी डे), आधुनिक शरीर रचना विज्ञान के जनक,डॉ एंड्रियास वासेलियस की पुण्यतिथि पर, देहदान के विषय पर लघुवार्ता का आयोजन किया गया । जिसमें संस्था के ज्योति मित्र, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया ।

16वीं शताब्दी में रहने वाले बेल्जियम के चिकित्सक और लेखक एंड्रियास वासेलियस को सम्मानित करने के लिए इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ एनाटोमिस्ट्स (आईएफएए) द्वारा घोषित किया गया था। उन्हें आधुनिक मानव शरीर रचना विज्ञान का संस्थापक माना जाता है,क्योंकि उन्होंने अब तक लिखी गई सबसे प्रसिद्ध शरीर रचना पुस्तक, डी ह्यूमनी कॉर्पोरिस फैब्रिका लिब्री सेप्टेम (मानव शरीर के कपड़े पर सात पुस्तकें) प्रकाशित की, जिसे फैब्रिका के नाम से जाना जाता है। यह मानव शरीर रचना विज्ञान पर बिल्कुल सटीक होने वाली पहली पुस्तक है!

गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रमुख वक्ता डॉ राम चौरसिया ने,मानव शरीर की संरचना और कार्य,चिकित्सा शिक्षा में एनाटोमी का महत्व,स्वास्थ्य सेवाओं में एनाटोमी की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किये ।

गोष्टी को संबोधित करते हुए शाइन इंडिया की संस्थापक सचिव डॉ संगीता गौड़ ने बताया कि,संस्था अपने सेवा कार्यों में अब देहदान के मिशन को भी शहरों के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर ले जाने के लिए प्रयासरत है ।

ज्ञात हो कि,संस्था के प्रयासों से अभी तक 50 से अधिक देहदान कोटा संभाग व देश के संबंधित मेडिकल कॉलेज में सम्पन्न हुए है । शाइन इंडिया के राष्ट्रीय देहदान जागरूकता अभियान से अभी तक,हाड़ौती संभाग के 270 लोगों ने अपने देहदान के संकल्प पत्र संस्था के साथ भरे हैं ।



और ये कि हममें से कुछ लोग तो नेकोकार हैं और कुछ लोग और तरह के हम लोगों के भी तो कई तरह के फिरकें हैं

 और ये कि हममें से कुछ लोग तो नेकोकार हैं और कुछ लोग और तरह के हम लोगों के भी तो कई तरह के फिरकें हैं (11)
और ये कि हम समझते थे कि हम ज़मीन में (रह कर) ख़ुदा को हरगिज़ हरा नहीं सकते हैं और न भाग कर उसको आजिज़ कर सकते हैं (12)
और ये कि जब हमने हिदायत (की किताब) सुनी तो उन पर ईमान लाए तो जो शख़्स अपने परवरदिगार पर ईमान लाएगा तो उसको न नुक़सान का ख़ौफ़ है और न ज़़ुल्म का (13)
और ये कि हम में से कुछ लोग तो फ़रमाबरदार हैं और कुछ लोग नाफ़रमान तो जो लोग फ़रमाबरदार हैं तो वह सीधे रास्ते पर चलें और रहें (14)
नाफ़रमान तो वह जहन्नुम के कुन्दे बने (15)
और (ऐ रसूल तुम कह दो) कि अगर ये लोग सीधी राह पर क़ायम रहते तो हम ज़रूर उनको अलग़ारों पानी से सेराब करते (16)
ताकि उससे उनकी आज़माईश करें और जो शख़्स अपने परवरदिगार की याद से मुँह मोड़ेगा तो वह उसको सख़्त अज़ाब में झोंक देगा (17)
और ये कि मस्जिदें ख़ास ख़ुदा की हैं तो लोगों ख़ुदा के साथ किसी की इबादन न करना (18)
और ये कि जब उसका बन्दा (मोहम्मद) उसकी इबादत को खड़ा होता है तो लोग उसके गिर्द हुजूम करके गिर पड़ते हैं (19)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तो अपने परवरदिगार की इबादत करता हूँ और उसका किसी को शरीक नहीं बनाता (20)

14 अक्तूबर 2024

देर रात और अल सुबह संपन्न हुआ नैत्रदान

 देर रात और अल सुबह संपन्न हुआ नैत्रदान

2. 6 घंटे में संपन्न हुए दो देवलोकगामी के नेत्रदान


शाइन इंडिया फाउंडेशन के जागरूकता अभियान से,बीते चौदह दिनों में 12 नैत्रदान हाड़ौती संभाग में सम्पन्न हुए है । कल रविवार को देर रात चंचल बिहार कुन्हाड़ी निवासी मनीष मूंदड़ा के पिताजी रतनलाल मूंदड़ा का आकस्मिक निधन हुआ । परिजनों की स्वयं की सहमति से शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क किया गया, उसके बाद देर रात ज्योति मित्र पुलकित लड्ढा और भूमिका वेलफेयर सोसाइटी की अध्यक्षा स्मिता जैन के सहयोग से नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ नैत्रदान प्रक्रिया के दौरान परिवार की सभी सदस्य बेटे बहु पोते-पोती मौजूद थे । 


इसी क्रम में आज सोमवार सुबह तलवंडी निवासी अशोक व राजेश जयसिंघानी के पिताजी रमेश चंद्र जयसिंघानी के आकस्मिक निधन के उपरांत परिजनों ने नेत्रदान हेतु संस्था को संपर्क किया । सुबह जल्दी ही नेत्रदान की प्रक्रिया परिवार के सभी सदस्यों के बीच में संपन्न हुई । ज्ञात हो की,6 वर्ष पूर्व रमेश की पत्नी रेखा जयसिंघानी का भी नेत्रदान संस्था के सहयोग से संपन्न हुआ था । परिजनों का मानना है कि,नेत्रदान का कार्य देवलोकगामी को मोक्ष की प्राप्ति देता है,नेत्रदान ही दिवंगत परिजनों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है

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