आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

05 दिसंबर 2025

(ऐ रसूल) तुम ख़़ुदा के साथ किसी दूसरे माबूद की इबादत न करो वरना तुम भी मुबतिलाए अज़ाब किए जाओगे

ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर इमान न लाएँगे (201)
कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडे़गा कि उन्हें ख़बर भी न होगी (202)
(मगर जब अज़ाब नाजि़ल होगा) तो वह लोग कहेंगे कि क्या हमें (इस वक़्त कुछ) मोहलत मिल सकती है (203)
तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं (204)
तो क्या तुमने ग़ौर किया कि अगर हम उनको सालो साल चैन करने दे (205)
उसके बाद जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा किया जाता है उनके पास आ पहुँचे (206)
तो जिन चीज़ों से ये लोग चैन किया करते थे कुछ भी काम न आएँगी (207)
और हमने किसी बस्ती को बग़ैर उसके हलाक़ नहीं किया कि उसके समझाने को (पहले से) डराने वाले (पैग़म्बर भेज दिए) थे (208)
और हम ज़ालिम नहीं है (209)
और इस क़़ुरआन को शयातीन लेकर नाजि़ल नही हुए (210)
और ये काम न तो उनके लिए मुनासिब था और न वह कर सकते थे (211)
बल्कि वह तो (वही के) सुनने से महरुम हैं (212)
(ऐ रसूल) तुम ख़़ुदा के साथ किसी दूसरे माबूद की इबादत न करो वरना तुम भी मुबतिलाए अज़ाब किए जाओगे (213)
और (ऐ रसूल) तुम अपने क़रीबी रिश्तेदारों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराओ (214)
और जो मोमिनीन तुम्हारे पैरो हो गए हैं उनके सामने अपना बाजू़ झुकाओ (215)
(तो वाज़ेए करो) पस अगर लोग तुम्हारी नाफ़रमानी करें तो तुम (साफ़ साफ़) कह दो कि मैं तुम्हारे करतूतों से बरी उज़ जि़म्मा हूँ (216)

और तुम उस (ख़ुदा) पर जो सबसे (ग़ालिब और) मेहरबान है (217)
भरोसा रखो कि जब तुम (नमाजे़ तहज्जुद में) खड़े होते हो (218)
और सजदा (219)
करने वालों (की जमाअत) में तुम्हारा फिरना (उठना बैठना सजदा रुकूउ वगै़रह सब) देखता है (220)
बेशक वह बड़ा सुनने वाला वाकि़फ़कार है क्या मै तुम्हें बता दूँ कि शयातीन किन लोगों पर नाजि़ल हुआ करते हैं (221)
(लो सुनो) ये लोग झूठे बद किरदार पर नाजि़ल हुआ करते हैं (222)
जो (फ़रिश्तों की बातों पर कान लगाए रहते हैं) कि कुछ सुन पाएँ (223)
हालाँकि उनमें के अक्सर तो (बिल्कुल) झूठे हैं और शायरों की पैरवी तो गुमराह लोग किया करते हैं (224)
क्या तुम नहीं देखते कि ये लोग जंगल जंगल सरगिरदा मारे मारे फिरते हैं (225)
और ये लोग ऐसी बाते कहते हैं जो कभी करते नहीं (226)
मगर (हाँ) जिन लोगों ने इमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए और क़सरत से ख़़ुदा का जि़क्र किया करते हैं और जब उन पर ज़़ुल्म किया जा चुका उसके बाद उन्होंनें बदला लिया और जिन लोगों ने ज़ु़ल्म किया है उन्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा कि वह किस जगह लौटाए जाएँगें (227

04 दिसंबर 2025

रात 12 बजे कोटा से निकली टीम ने,150 km दूर बोलिया में लिया नेत्रदान

  रात 12 बजे कोटा से निकली टीम ने,150 km दूर बोलिया में लिया नेत्रदान

2. पड़ौसी राज्य मध्य प्रदेश के बोलिया गाँव से,कोटा की टीम ने रात तीन बजे लिया नेत्रदान

पूरे प्रदेश में शाइन इंडिया फाउंडेशन,कोटा की एक अकेली ऐसी संस्था है, जो नेत्रदान के लिए संपर्क करने पर, किसी भी तरह की विपरीत परिस्थितियों में,अधिक दूरी होने पर या प्रतिकूल मौसम होने पर भी, नेत्रदान का कार्य करने के लिए 24 घंटे तैयार रहती है ।

बुधवार देर रात 11:00 बजे संस्था के ज्योति मित्र कमलेश दलाल ने सूचना दी की, कोटा से 150 किलोमीटर पड़ौसी राज्य मध्य प्रदेश की सीमा पर लगे,मंदसौर जिले के बोलिया गांव में मोहनलाल चौधरी का आकस्मिक निधन हुआ है, और उनके भतीजे मनोज कुमार की प्रेरणा पर बेटे राकेश जैन ने अपने पिता दिवंगत मोहनलाल चौधरी (अनाज व्यापारी) के नेत्रदान करवाने का अनुग्रह किया है ।

सूचना मिलने पर डॉ कुलवंत गौड़ ने तुरंत,कोटा से निकलने के लिए,कई सारे ड्राइवर को संपर्क किया, परंतु कोई देर रात 150 किलोमीटर दूर जाने के लिए तैयार नहीं हुआ, अंत में एक ड्राइवर ने जाने के लिये सहमति दी,जबकि उसके पिताजी का हार्ट का ऑपरेशन कोटा के निजी अस्पताल में चल रहा था ।

ड्राइवर को लेकर डॉ गौड़, 12:00 कोटा से रवाना हुए और 2:30 बजे, बोलिया निवासी स्वर्गीय मोहनलाल के निवास पर पहुंचे, और उनके नेत्रदान की प्रक्रिया को संपन्न किया । बोलिया ग्राम का यह पहला नेत्रदान था, उपस्थित जन समूह ने पहली बार नेत्रदान की प्रक्रिया को देखा ।

मंदसौर जिले में,नेत्रदान प्रक्रिया में अभी पूरी आंख को ही लिया जाता है । संस्था के माध्यम से अभी तक मंदसौर जिले में 6 नेत्रदान हुए हैं,सभी में पूरी आँख को ना लेकर सिर्फ कॉर्निया प्राप्त किया गया है ।

डॉ कुलवंत गौड़ ने नेत्रदान प्रक्रिया के बाद,शोककुल परिवार के सदस्यों को संस्था की ओर से प्रशस्ति पत्र और नेत्रदानी गौरव पट्टीका भेंट की ।

नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़)

 तो हम तुम पर क्या इमान लाए (111)
नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़) (112)
इन लोगों का हिसाब तो मेरे परवरदिगार के जि़म्मे है (113)
काश तुम (इतनी) समझ रखते और मै तो इमानदारों को अपने पास से निकालने वाला नहीं (114)
मै तो सिर्फ़ (अज़ाबे ख़ुदा से) साफ़ साफ़ डराने वाला हूँ (115)
वह लोग कहने लगे ऐ नूह अगर तुम अपनी हरकत से बाज़ न आओगे तो ज़रुर संगसार कर दिए जाओगे (116)
नूह ने अर्ज़की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया (117)
तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरम्यिान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे (118)
ग़रज़ हमने नूह और उनके साथियों को जो भरी हुयी कश्ती में थे नजात दी (119)
फिर उसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़रख़ कर दिया (120)

03 दिसंबर 2025

और बेशक तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है

 और बेशक तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है (191)
और (ऐ रसूल) बेशक ये (क़़ुरआन) सारी ख़़ुदायी के पालने वाले (ख़़ुदा) का उतारा हुआ है (192)
जिसे रुहुल अमीन (जिबरील) साफ़ अरबी ज़बान में लेकर तुम्हारे दिल पर नाजि़ल हुए है (193)
ताकि तुम भी और पैग़म्बरों की तरह (194)
लोगों को अज़ाबे ख़ुदा से डराओ (195)
और बेशक इसकी ख़बर अगले पैग़म्बरों की किताबों मे (भी मौजूद) है (196)
क्या उनके लिए ये कोई (काफ़ी) निशानी नहीं है कि इसको उलेमा बनी इसराइल जानते हैं (197)
और अगर हम इस क़़ुरआन को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाजि़ल करते (198)
और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर इमान लाने वाले न थे (199)
इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी (200)

02 दिसंबर 2025

तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो

 तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो (181)
और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो (182)
और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज़्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो (183)
और उस (ख़ुदा) से डरो जिसने तुम्हे और अगली खि़लकत को पैदा किया (184)
वह लोग कहने लगे तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हों) (185)
और तुम तो हमारे ही ऐसे एक आदमी हो और हम लोग तो तुमको झूठा ही समझते हैं (186)
तो अगर तुम सच्चे हो तो हम पर आसमान का एक टुकड़ा गिरा दो (187)
और शुएब ने कहा जो तुम लोग करते हो मेरा परवरदिगार ख़ूब जानता है (188)
ग़रज़ उन लोगों ने शुएब को झुठलाया तो उन्हें साएबान (अब्र) के अज़ाब ने ले डाला- इसमे शक नहीं कि ये भी एक बड़े (सख़्त) दिन का अज़ाब था (189)
इसमे भी शक नहीं कि इसमें (समझदारों के लिए) एक बड़ी इबरत है और उनमें के बहुतेरे इमान लाने वाले ही न थे (190)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...