आपका-अख्तर खान "अकेला"
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
19 दिसंबर 2025
डॉक्टर प्रभात सिंघल सर सहित सभीबको बधाई , मुबारकबाद, राजस्थान के महामहिम राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागडे 20 दिसंबर को लालसोट में 11 राज्यों के 31 साहित्यकारों को सम्मानित करेंगे........ कोटा से डॉ. मनीषा शर्मा, विष्णु शर्मा हरिहर, रामनारायण मीणा हलदर और डॉ. प्रभात कुमार सिंघल सम्मानित होंगे.....
और हमने उनको (गुमराहों का) पेशवा बनाया कि (लोगों को) जहन्नुम की तरफ बुलाते है और क़यामत के दिन (ऐसे बेकस होगें कि) उनको किसी तरह की मदद न दी जाएगी
और हमने उनको (गुमराहों का) पेशवा बनाया कि (लोगों को) जहन्नुम की तरफ
बुलाते है और क़यामत के दिन (ऐसे बेकस होगें कि) उनको किसी तरह की मदद न दी
जाएगी (41)
और हमने दुनिया में भी तो लानत उन के पीछे लगा दी है और क़यामत के दिन उनके चेहरे बिगाड़ दिए जायेंगे (42)
और हमने बहुतेरी अगली उम्मतों को हलाक कर डाला उसके बाद मूसा को किताब
(तौरैत) अता की जो लोगों के लिए अजसरतापा बसीरत और हिदायत और रहमत थी ताकि
वह लोग इबरत व नसीहत हासिल करें (43)
और (ऐ रसूल) जिस वक़्त हमने मूसा के पास अपना हुक्म भेजा था तो तुम (तूर
के) मग़रिबी जानिब मौजूद न थे और न तुम उन वाक़्यात को चश्मदीद देखने वालों
में से थे (44)
मगर हमने (मूसा के बाद) बहुतेरी उम्मतें पैदा की फिर उन पर एक ज़माना
दराज़ गुज़र गया और न तुम मदैन के लोगों में रहे थे कि उनके सामने हमारी
आयते पढ़ते (और न तुम को उन के हालात मालूम होते) मगर हम तो (तुमको)
पैग़म्बर बनाकर भेजने वाले थे (45)
और न तुम तूर की किसी जानिब उस वक़्त मौजूद थे जब हमने (मूसा को) आवाज़
दी थी (ताकि तुम देखते) मगर ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी है ताकि तुम
उन लोगों को जिनके पास तुमसे पहले कोई डराने वाला आया ही नहीं डराओ ताकि
ये लोग नसीहत हासिल करें (46)
और अगर ये नही होता कि जब उन पर उनकी अगली करतूतों की बदौलत कोई मुसीबत
पड़ती तो बेसाख़्ता कह बैठते कि परवरदिगार तूने हमारे पास कोई पैग़म्बर
क्यों न भेजा कि हम तेरे हुक्मों पर चलते और इमानदारों में होते (तो हम
तुमको न भेजते ) (47)
मगर फिर जब हमारी बारगाह से (दीन) हक़ उनके पास पहुँचा तो कहने लगे जैसे
(मौजिज़े) मूसा को अता हुए थे वैसे ही इस रसूल (मोहम्मद) को क्यों नही दिए
गए क्या जो मौजिज़े इससे पहले मूसा को अता हुए थे उनसे इन लोगों ने इन्कार न
किया था कुफ़्फ़ार तो ये भी कह गुज़रे कि ये दोनों के दोनों (तौरैत व
कु़रआन) जादू हैं कि बाहम एक दूसरे के मददगार हो गए हैं (48)
और ये भी कह चुके कि हम एब के मुन्किर हैं (ऐ रसूल) तुम (इन लोगों से) कह
दो कि अगर सच्चे हो तो ख़ुदा की तरफ से एक ऐसी किताब जो इन दोनों से
हिदायत में बेहतर हो ले आओ (49)
कि मै भी उस पर चलूँ फिर अगर ये लोग (इस पर भी) न मानें तो समझ लो कि ये
लोग बस अपनी हवा व हवस की पैरवी करते है और जो शख़्स ख़ुदा की हिदायत को
छोड़ कर अपनी हवा व हवस की पैरवी करते है उससे ज़्यादा गुमराह कौन होगा
बेशक ख़़ुदा सरकश लोगों को मंजि़ले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता (50)
18 दिसंबर 2025
परिवार की सहमति से संपन्न हुए दो नेत्रदान
परिवार की सहमति से संपन्न हुए दो नेत्रदान
बुधवार देर रात टीचर्स
कॉलोनी निवासी, सिद्धार्थ श्रेयांश और सौरभ मेहता (रायपुर वाले) के पिताजी
दीपचंद मेहता का आकस्मिक निधन हो गया था । प्रारंभ से ही संघर्ष मय जीवन
रहने के बाद भी उन्होंने अपने बच्चों को उचित शिक्षा और व्यवसाय दिया ।
परिवार
के सदस्यों ने स्व-प्रेरणा से,मां पुष्पा मेहता से पिताजी के नेत्रदान की
सहमति लेकर देर रात शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क किया । इसके उपरांत ने
नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।
इसी क्रम में गुरुवार को आज
सुबह,श्रीपुरा निवासी, कमला देवी का हृदयघात से आकस्मिक निधन हुआ,जिसके
उपरांत बेटी दिव्या और दामाद नवीन दरयानी ने सहमति कर माता जी के नेत्रदान
का कार्य संपन्न करवाया ।
नवीन संस्था शाइन इंडिया के साथ ज्योति
मित्र के रूप में, काफ़ी समय से कार्य कर रहे हैं। पूर्व में भी इन्होंने
अपने परिवार के तीन करीबी सदस्यों, स्व० विद्या देवी छाबड़िया,स्व० मीरा
देवी छाबड़िया और स्व० दिलीप छाबड़िया का भी नेत्रदान संपन्न करवाया है ।
डॉक्टर एम डी मेडिशन सतीश कुमार ने लाखेरी के स्वास्थ्य केंद्र में एम ओ के पद पर दी जॉइनिंग
और यह (भी आवाज़ आयी) कि तुम आपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दो फिर जब (डाल दिया तो) देखा कि वह इस तरह बल खा रही है कि गोया वह (जि़न्दा) अजदहा है तो पीठ फेरके भागे और पीछे मुड़कर भी न देखा (तो हमने फरमाया) ऐ मूसा आगे आओ और डरो नहीं तुम पर हर तरह अमन व अमान में हो
और यह (भी आवाज़ आयी) कि तुम आपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दो फिर जब (डाल दिया
तो) देखा कि वह इस तरह बल खा रही है कि गोया वह (जि़न्दा) अजदहा है तो पीठ
फेरके भागे और पीछे मुड़कर भी न देखा (तो हमने फरमाया) ऐ मूसा आगे आओ और
डरो नहीं तुम पर हर तरह अमन व अमान में हो (31)
(अच्छा और लो) अपना हाथ गरेबान में डालो (और निकाल लो) तो सफेद बुर्राक़
होकर बेऐब निकल आया और ख़ौफ़ की (वजह) से अपने बाजू़ अपनी तरफ़ समेट लो (ताकि
ख़ौफ जाता रहे) ग़रज़ ये दोनों (असा व यदे बैज़ा) तुम्हारे परवरदिगार की
तरफ़ से (तुम्हारी नुबूवत की) दो दलीलें फ़िरऔन और उसके दरबार के सरदारों के
वास्ते हैं और इसमें शक नहीं कि वह बदकार लोग थे (32)
मूसा ने अर्ज़ की परवरदिगार मैने उनमें से एक शख़्स को मार डाला था तो मै डरता हूँ कहीं (उसके बदले) मुझे न मार डालें (33)
और मेरा भाई हारुन वह मुझसे (ज़बान में ज़्यादा) फ़सीह है तो तू उसे मेरे
साथ मेरा मददगार बनाकर भेज कि वह मेरी तसदीक करे क्योंकि यक़ीनन मै इस बात
से डरता हूँ कि मुझे वह लोग झुठला देंगे (तो उनके जवाब के लिए गोयाइ की
ज़रुरत है) (34)
फ़रमाया अच्छा हम अनक़रीब तुम्हारे भाई की वजह से तुम्हारे बाज़ू क़वी कर
देगें और तुम दोनों को ऐसा ग़लबा अता करेंगें कि फ़िरऔनी लोग तुम दोनों तक
हमारे मौजिज़े की वजह से पहुँच भी न सकेंगे लो जाओ तुम दोनो और तुम्हारे
पैरवी करने वाले गा़लिब रहेंगे (35)
ग़रज़ जब मूसा हमारे वाजे़ए व रौशन मौजिज़े लेकर उनके पास आए तो वह लोग
कहने लगे कि ये तो बस अपने दिल का गढ़ा हुआ जादू है और हमने तो अपने अगले
बाप दादाओं (के ज़माने) में ऐसी बात सुनी भी नही (36)
और मूसा ने कहा मेरा परवरदिगार उस शख़्स से ख़ूब वाकि़फ़ है जो उसकी
बारगाह से हिदायत लेकर आया है और उस शख़्स से भी जिसके लिए आखि़रत का घर है
इसमें तो शक ही नहीं कि ज़ालिम लोग कामयाब नहीं होते (37)
और (ये सुनकर) फ़िरऔन ने कहा ऐ मेरे दरबार के सरदारों मुझ को तो अपने सिवा
तुम्हारा कोई परवरदिगार मालूम नही होता (और मूसा दूसरे को ख़़ुदा बताता
है) तो ऐ हामान (वज़ीर फ़िरऔन) तुम मेरे वास्ते मिट्टी (की ईटों) का पजावा
सुलगाओ फिर मेरे वास्ते एक पुख़्ता महल तैयार कराओ ताकि मै (उस पर चढ़ कर)
मूसा के ख़ुदा को देंखू और मै तो यक़ीनन मूसा को झूठा समझता हूँ (38)
और फ़िरऔन और उसके लशकर ने रुए ज़मीन में नाहक़ सर उठाया था और उन लोगों
ने समझ लिया था कि हमारी बारगाह मे वह कभी पलट कर नही आएँगे (39)
तो हमने उसको और उसके लशकर को ले डाला फिर उन सबको दरिया में डाल दिया तो
(ऐ रसूल) ज़रा देखों तो कि ज़ालिमों का कैसा बुरा अन्जाम हुआ (40)