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22 दिसंबर 2025

अभिभाषक परिषद कोटा के ऐतिहासिक चुनाव के बाद कोटा में आगामी 12 मार्च 2026 को प्रस्तावित बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के चुनाव को लेकर सरगर्मियां शुरू हो गई है

 

अभिभाषक परिषद कोटा के ऐतिहासिक चुनाव के बाद कोटा में आगामी 12 मार्च 2026 को प्रस्तावित बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के चुनाव को लेकर सरगर्मियां शुरू हो गई है ,, वर्तमान निर्वाचित बार कौंसिल में कोटा सहित समूचे हाड़ोती संभाग से एक प्रतिनिधि भी जीतकर नहीं जा सका था , क्यूंकि बारां से दो , झालावाड़ से एक , बूंदी से एक और कोटा में मुझ सहित सात उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे ,, नतीजा कोटा संभाग क्रॉस वोटिंग और आउटसाइडर को वोटिंग फार्मूले से कोटा सम्भाग बार कोंसिल मुक्त होकर रह गया था इस बार कोटा संभाग के स्थानीय वकील वोटर्स के लिए यह गंभीर सोचनीय प्रश्न है , वर्तमान में कोटा से रघुनंदन गौतम ,, महेश शर्मा प्रस्तावित उम्मीदवार चेहरे हैं , जबकि बूंदी से संतोष जेन, श्यामबिहारी जी भी उम्मीदवारी जता चुके है ,, दो तीन और उम्मीदवार और कोटा संभाग से उम्मीदवारी जता सकते हैं , इस कार्यकाल में कोटा से बार कौंसिल प्रतिनिधि नहीं होने की वजह से कई दिक़्क़तों का अहसास स्थानीय सदस्यों को हुआ है , यूँ तो बार कोंसिल के यह चुनाव 2023 में हो जाने थे ,, लेकिन सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर अब तीन वर्ष बाद यह चुनाव होने जा रहे हैं , चुनाव पद्धति में भी महिला आरक्षण बीस प्रतिशत हो जाने के बाद , और कॉप्टेड नियम निर्धारित होने से , पुरुष वर्ग में पच्चीस में से पुरुष वर्ग की सीटें बहुत कम रह गईं हैं ,, ताज्जुब इस पर है , बार कौंसिल के गठन के बाद ,, कई नए ज़िले , कई उपखण्ड नए बने है , बार एसोसिएशंस और एडवोकेट सदस्यों की संख्या , कामकाज का विस्तार बहुत अधिक बढ़ जाने के बाद भी , बार कौंसिल सदस्यों की संख्या वही 25 पर ही रुकी हुई है ,, बढे गर्व की बात है के राजस्थान सहित अलग अलग राज्यों के बार कौंसिल सदस्य ,, राज्यसभा सदस्य ,, हाईकोर्ट जज , सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी क़ाबलियत के बल पर सुशोभित हुए है ,, राजस्थान में महिला आरक्षण व्यवस्था के बाद मतदान प्रक्रिया और मतगणना व्यवस्था में बदलाव निश्चित है , लेकिन अभी तक कोई पुख्ता फार्मूला सामने नहीं आया है , कोटा में अब तक ,दो दर्जन से भी ज़्यादा बार कौंसिल प्रत्याक्षी अपना चुनाव प्रचार करके जा चुके है , अभी इससे तीन गुना और प्रत्याक्षी कोटा में प्रचार करने आने वाले हैं , यह तो इस पर है के , बार कोंसिल प्रत्याक्षी चुनाव नामांकन की फीस दस हज़ार से सवा लाख कर दी गई है ,,प्रत्याक्षी निर्वाचन के लिए क़रीब 1700 के लगभग प्रथम वरीयता वोटों की ज़रूरत है ,,कोटा में तीन हज़ार और बूंदी ,बारा ,, झालावाड़ , आंचलिक बार एसोसिएशन के ढाई हज़ार वोटर्स मिलाकर साढ़े पांच हज़ार वोटर्स अगर तय कर ले , तो कोटा से तीन बार कौंसिलर कोटा संभाग के वोटर्स के दम पर ही निर्वाचित होकर जा सकते हैं ,, सभी जानते है , चुनाव आचार संहिता की मर्यादाओं , विधि नियम के बाद भी यह चुनाव बहुत से भी बहुत महंगा होगया है और दिल फ़रियाद लोग ही इस दौड़ में टिक सकते हैं , ,जो आवश्यकतानुसार प्रचार खर्च करने में अव्वल रहेंगे ,, बार कौंसिल में चुनाव मत प्रक्रिया वही पुरानी है , इसमें अभी तक बदलाव भी नहीं हुआ है , खेर देखते हैं ,, बार कौंसिल के प्रस्तावित चुनाव , बाहरी लोगों के प्रति कोटा संभाग वासियों का उमड़ता प्रेम ,, कोटा के प्रत्याक्षियों का इलेक्शन प्रबंधन ,,ऊंट किस करवंट बैठता ह्नै ,,,लेकिन यह भी कड़वा सच है जब बाहरी मज़दूर तबके के लोग हमसे पूंछते हैं के आप देश को आज़ाद करवाने वाली जमात के लोग हो, नेताओं के फॉर्म भरते हो, उनके मुक़दमे लड़ते हो तो फिर इतने सालों बाद भी ऐडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू क्यों नहीं करवा पा रहे, क्यों सिर्फ धाराएं ऊपर नीचे कर , सिर्फ नाम बदलकर जो टियन नए कानून बेवजह धाराएं ऊपर नीचे कर बनाये हैं , उनका विरोध क्यों नहीं किया , तो हम लाजवाब हो हॉट है, बस जवाब होता है, कोशिश तो की अब फिर जिताओ तब देखेंगे, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

तुम्हें फ़तेह हुयी तो यही लोग कहने लगते हैं कि हम भी तो तुम्हारे साथ ही साथ थे भला जो कुछ सारे जहाँन के दिलों में है क्या ख़ुदा बख़ूबी वाकि़फ नहीं

 सूरए अन अनक़बूत मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी उन्हत्तर (69) आयतें हैं और सात रुकूउ हैं
ख़़ुदा के नाम से ( शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
अलिफ़ लाम मीम (1)
क्या लोगों ने ये समझ लिया है कि (सिर्फ़) इतना कह देने से कि हम ईमान लाए छोड़ दिए जाएँगे और उनका इम्तेहान न लिया जाएगा (2)
और हमने तो उन लोगों का भी इम्तिहान लिया जो उनसे पहले गुज़र गए ग़रज़ ख़ुदा उन लोगों को जो सच्चे (दिल से इमान लाए) हैं यक़ीनन अलहाएदा देखेगा और झूठों को भी (अलहाएदा) ज़रुर देखेगा (3)
क्या जो लोग बुरे बुरे काम करते हैं उन्होंने ये समझ लिया है कि वह हमसे (बचकर) निकल जाएँगे (अगर ऐसा है तो) ये लोग क्या ही बुरे हुक्म लगाते हैं (4)
जो शख़्स ख़ुदा से मिलने (क़यामत के आने) की उम्मीद रखता है तो (समझ रखे कि) ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुयी) मीयाद ज़रुर आने वाली है और वह (सबकी) सुनता (और) जानता है (5)
और जो शख़्स (इबादत में) कोशिश करता है तो बस अपने ही वास्ते कोशिश करता है (क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा सारे जहाँन (की इबादत) से बेनियाज़ है (6)
और जिन लोगों ने इमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए हम यक़ीनन उनके गुनाहों की तरफ़ से क्फ्फारा क़रार देगें और ये (दुनिया में) जो आमाल करते थे हम उनके आमाल की उन्हें अच्छी से अच्छी जज़ा अता करेंगे (7)
और हमने इन्सान को अपने माँ बाप से अच्छा बरताव करने का हुक्म दिया है और (ये भी कि) अगर तुझे तेरे माँ बाप इस बात पर मजबूर करें कि ऐसी चीज़ को मेरा शरीक बना जिन (के शरीक होने) का मुझे इल्म तक नहीं तो उनका कहना न मानना तुम सबको (आखि़र एक दिन) मेरी तरफ़ लौट कर आना है मै जो कुछ तुम लोग (दुनिया में) करते थे बता दूँगा (8)
और जिन लोगों ने इमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए हम उन्हें (क़यामत के दिन) ज़रुर नेको कारों में दाखि़ल करेंगे (9)
और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो (ज़बान से तो) कह देते हैं कि हम ख़़ुदा पर इमान लाए फिर जब उनको ख़ुदा के बारे में कुछ तकलीफ़ पहुँची तो वह लोगों की तकलीफ़ देही को अज़ाब के बराबर ठहराते हैं और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की मदद आ पहुँची और तुम्हें फ़तेह हुयी तो यही लोग कहने लगते हैं कि हम भी तो तुम्हारे साथ ही साथ थे भला जो कुछ सारे जहाँन के दिलों में है क्या ख़ुदा बख़ूबी वाकि़फ नहीं (ज़रुर है) (10)

21 दिसंबर 2025

मुबारकबाद, बधाई, राजस्थान के महामहिम राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागडे ने शनिवार 20 दिसंबर को लालसोट में कोटा से डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, डॉ. मनीषा शर्मा, विष्णु शर्मा हरिहर और रामनारायण मीणा हलधर को 11 राज्यों के 31 साहित्यकारों सहितउनकी साहित्यिक कृतियों के लिए " अनुराग साहित्यिक अलंकरण" से सम्मानित किया। भव्य अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन अनुराग साहित्य सेवा संस्थान, लालसोट जिला दौसा द्वारा किया गया था। इस अवसर पर हिंदी के विकास पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया।

 

मुबारकबाद, बधाई, राजस्थान के महामहिम राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागडे ने शनिवार 20 दिसंबर को लालसोट में कोटा से डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, डॉ. मनीषा शर्मा, विष्णु शर्मा हरिहर और रामनारायण मीणा हलधर को 11 राज्यों के 31 साहित्यकारों सहितउनकी साहित्यिक कृतियों के लिए " अनुराग साहित्यिक अलंकरण" से सम्मानित किया। भव्य अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन अनुराग साहित्य सेवा संस्थान, लालसोट जिला दौसा द्वारा किया गया था। इस अवसर पर हिंदी के विकास पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया।
विस्तृत रिपोर्ट :
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अच्छा साहित्य समाज में पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाता है : राज्यपाल
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राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा इन कि अच्छा साहित्य समान में पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाता है और - विद्रूपताओं को मिटाता है। राज्यपाल शनिवार को लालसोट में श्री अशोक शर्मा राउमावि में आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि पद से संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है, जो समाज को नई दिशा एवं सोच देता है। उन्होंने साहित्य के भाव को स्पष्ट करते हुए कहा कि साहित्य में सबका हित निहित होता है। इसका मूल तत्व सबका हित साधना है। उन्होंने कबीर एवं रहीम के साहित्य के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से समाज सुधारने का संदेश दिया, जो रूढ़ियों ने एवं बुराइ‌यों का प्रतिकार करता है। उन्होंने मैथिली शरण गुप्त एवं वाल्मीकि की ओर से साहित्य के माध्यम से समाज को दिए योगदान की भी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि देश की आजादी से पहले विदेशियों ने हमारे देश का काफी झूठा इतिहास भी लिखा है, जिसे सुधारने की जरूरत है। उन्होंने इसे आधुनिक साहित्यकारों की जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि आप ऐसे विकृत इतिहास को खोजे और सुधारें।
लालसोट विधायक रामबिलास मीना , नगर परिषद सभापति पिंकी चतुर्वेदी और कैलाश चंद ने भी विशिष्ठ अतिथि के रूप में विचार व्यक्त किए। संस्था के पदाधिकारियों अखिलेश अंजुम, अंशुल सोनी, श्याम सुंदर शर्मा एवं सियाराम शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। राज्यपाल के आगमन पर कलेक्टर देवेंद्र कुमार एवं जिला पुलिस अधीक्षक सागर राणा ने स्वागत करअगवानी की। पुलिस टुकड़ी ने राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
इनका हुआ सम्मान :
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राज्यपाल बागड़े एवं अन्य अतिथियों ने अनुराग सेवा संस्थान के 31 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित अखिल भारतीय अनुराग साहित्य अलंकरण समारोह में विभिन्न राज्यों से चयनित 31 साहित्यकारों को शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। समारोह में पद्मश्री डॉ. रविंद्र कुमार (मेरठ) को अनुराग साहित्य सम्मान-2025 से नवाजा गया। डॉ. राम कुमार घोटड़ (सादुलपुर, चुरू) , डॉ. प्रबोध कुमार गोविल (जयपुर) , डॉ. अखिलेश निगम (लखनऊ) जगदीश मोहन रावत , श्याम प्रकाश देवपुरा (नाथद्वारा) और डॉ. आरपी सारस्वत (मुंबई) को सम्मानित किया गया। इसके साथ - साथ ,राम नारायण शर्मा , शील कौशिक , डॉ. मनीषा शर्मा कोटा , देवेंद्र कुमार मिश्रा, , विष्णु शर्मा हरिहर कोटा रामनारायण हलधर कोटा, डॉ. प्रभात कुमार सिंघल , कोटा, डॉ. नीना छिब्बर , बसंती पंवार जोधपुर, अमर बानिया लोहोरो और विमला नागला आदि को अनुराग साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया।
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डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा

राष्ट्रीय लोक अदालत में विधि विद्यार्थियों ने जानी लोक अदालत की प्रक्रिया

 

राष्ट्रीय लोक अदालत में विधि विद्यार्थियों ने जानी लोक अदालत की प्रक्रिया
लोक अदालत का यही नारा:ना कोई जीता ना कोई हारा
राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष जिला एवं सेशन न्यायाधीश माननीय सत्यनारायण जी व्यास ने विधि विद्यार्थियों को लोक अदालत की प्रक्रिया को समझाया।न्यायालय परिसर में विधि विद्यार्थियों को लोक अदालत में होने वाली प्रक्रिया एवं राजीनामा योग्य मामलों में किस प्रकार से लोक अदालत कार्य करती है उसके बारे में बताया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोटा सचिव गीता चौधरी के निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोटा में कार्यरत डिफेंस एडवोकेट नरेंद्र डाबी ने भी विद्यार्थियों को न्यायालय विजिट करवाकर लोक अदालत में मुकदमों के निस्तारण की प्रक्रिया को समझाया। डिफेंस एडवोकेट नरेंद्र डाबी ने विधि विद्यार्थियों को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 19 जिसमें लोक अदालत का प्रावधान दिया गया है और धारा 22 स्थायी लोक अदालत के बारे में विधि विद्यार्थीयों को बताया। ऐसे मामले जो कानून में राजीनामे योग्य हैं उन्हें किस प्रकार से लोक अदालत की भावना से निस्तारण किया जा सकता है।जिससे छोटे मुक़दमे एवं राजीनामा योग्य मुकदमों को दोनों पक्षों की समझाइश से निस्तारण किया जा सके। लोक अदालत में हुए राजीनामे से मामलों की आगे कोई अपील नहीं होती है। इस प्रकार कोई भी पक्षकार अपने सिविल मुकदम, चेक के मुक़दमे,वैवाहिक मुकदमे,मोटर व्हीकल एक्ट संबंधित मुकदमें और ऐसे मुकदमे जो आपराधिक प्रकृति के कानून में शमनिय बनाए गए हैं उन्हें लोक अदालत की भावना से राजीनामा के माध्यम से निस्तारित किया जा सकता है जिससे कि न्यायालय में मुकदमों की पेंडेंसी कम हो सके। डिफेंस एडवोकेट नरेंद्र डाबी ने विद्यार्थियों को व आमजन को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की योजना "न्याय आपके द्वार" के बारे में भी जागरुक किया। इस दौरान लोक अदालत के सदस्य शैलेश जैन भी उपस्थित रहे।

और ख़़ुदा के सिवा किसी और माबूद की परसतिश न करना उसके सिवा कोई क़ाबिले परसतिश नहीं उसकी ज़ात के सिवा हर चीज़ फ़ना होने वाली है उसकी हुकूमत है और तुम लोग उसकी तरफ़ (मरने के बाद) लौटाये जाओगे

 और हमने क़ारुन और उसके घर बार को ज़मीन में धंसा दिया फिर ख़़ुदा के सिवा कोई जमाअत ऐसी न थी कि उसकी मदद करती और न खुद आप अपनी मदद आप कर सका (81)
और जिन लोगों ने कल उसके जाह व मरतबे की तमन्ना की थी वह (आज ये तमाशा देखकर) कहने लगे अरे माज़अल्लाह ये तो ख़़ुदा ही अपने बन्दों से जिसकी रोज़ी चाहता है कुशादा कर देता है और जिसकी रोज़ी चाहता है तंग कर देता है और अगर (कहीं) ख़ुदा हम पर मेहरबानी न करता (और इतना माल दे देता) तो उसकी तरह हमको भी ज़रुर धॅसा देता-और माज़अल्लाह (सच है) हरगिज़ कुफ्फार अपनी मुरादें न पाएँगें (82)
ये आखि़रत का घर तो हम उन्हीं लोगों के लिए ख़ास कर देगें जो रुए ज़मीन पर न सरकशी करना चाहते हैं और न फसाद-और (सच भी यूँ ही है कि) फिर अन्जाम तो परहेज़गारों ही का है (83)
जो शख़्स नेकी करेगा तो उसके लिए उसे कहीं बेहतर बदला है औ जो बुरे काम करेगा तो वह याद रखे कि जिन लोगों ने बुराइयाँ की हैं उनका वही बदला हे जो दुनिया में करते रहे हैं (84)
(ऐ रसूल) ख़़ुदा जिसने तुम पर क़़ुरआन नाजि़ल किया ज़रुर ठिकाने तक पहुँचा देगा (ऐ रसूल) तुम कह दो कि कौन राह पर आया और कौन सरीही गुमराही में पड़ा रहा (85)
इससे मेरा परवरदिगार ख़ूब वाकि़फ है और तुमको तो ये उम्मीद न थी कि तुम्हारे पास ख़़ुदा की तरफ़ से किताब नाजि़ल की जाएगी मगर तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी से नाजि़ल हुयी तो तुम हरगि़ज़ काफिरों के पुष्त पनाह न बनना (86)
कहीं ऐसा न हो एहकामे ख़़ुदा वन्दी नाजि़ल होने के बाद तुमको ये लोग उनकी तबलीग़ से रोक दें और तुम अपने परवरदिगार की तरफ़ (लोगों को) बुलाते जाओ और ख़बरदार मुशरेकीन से हरगिज़ न होना (87)
और ख़़ुदा के सिवा किसी और माबूद की परसतिश न करना उसके सिवा कोई क़ाबिले परसतिश नहीं उसकी ज़ात के सिवा हर चीज़ फ़ना होने वाली है उसकी हुकूमत है और तुम लोग उसकी तरफ़ (मरने के बाद) लौटाये जाओगे (88)

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