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28 अक्टूबर 2025

देर रात,तेज बारिश में शहर में संपन्न हुए दो नेत्रदान

  देर रात,तेज बारिश में शहर में संपन्न हुए दो नेत्रदान

सोमवार देर रात शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से दो देवलोक-गामियों के नेत्रदान परिजनों के सहयोग से संपन्न हुए ।

संस्था के लबान निवासी ज्योति मित्र नवीन सेन ने देर रात सूचना दी की, उनके मित्र लोकेंद्र के बड़े भाई नंदसिंह का, रोड दुर्घटना में आकस्मिक निधन हुआ है और उनके सभी मित्रों चिंटू, सनी, अजीत, राजेंद्र, कुलदीप सिंह, दीपक ने लोकेंद्र को समझाकर डॉ कुलवंत गौड़ के सहयोग से नेत्रदान का पुनीत कार्य संपन्न करवाया ।

इसी नेत्रदान के ठीक बाद डॉ गौड़ को महावीर नगर विस्तार योजना निवासी त्रिलोकचंद मंत्री के पिता गिरिराज मंत्री के आकस्मिक निधन की सूचना भी प्राप्त हुई, परिवार के सदस्यों ने स्व० प्रेरणा से गिरिराज के नेत्रदान करवाने की इच्छा जताई ।

सूचना मिलते ही, डॉ गौड़ अपने सहयोगी टेक्नीशियन के साथ, मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में पहुंचे,रात 1:00 बजे परिजनों के सामने नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई । दोनों नेत्रदान के समय शहर में तेज बारिश हो रही थी,संस्था सदस्यों,ने गीले कपड़ों में नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न की ।

मैने आज उनको उनके सब्र का अच्छा बदला दिया कि यही लोग अपनी(क़ातिर ख़्वाह) मुराद को पहुँचने वाले हैं

 मैने आज उनको उनके सब्र का अच्छा बदला दिया कि यही लोग अपनी(क़ातिर ख़्वाह) मुराद को पहुँचने वाले हैं (111)
(फिर उनसे) ख़ुदा पूछेगा कि (आखि़र) तुम ज़मीन पर कितने बरस रहे (112)
वह कहेंगें (बरस कैसा) हम तो बस पूरा एक दिन रहे या एक दिन से भी कम (113)
तो तुम शुमार करने वालों से पूछ लो ख़ुदा फरमाएगा बेशक तुम (ज़मीन में) बहुत ही कम ठहरे काश तुम (इतनी बात भी दुनिया में) समझे होते (114)
तो क्या तुम ये ख़्याल करते हो कि हमने तुमको (यूँ ही) बेकार पैदा किया और ये कि तुम हमारे हुज़ूर में लौटा कर न लाए जाओगे (115)
तो ख़ुदा जो सच्चा बादशाह (हर चीज़ से) बरतर व आला है उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वहीं) अर्शे बुज़ुर्ग का मालिक है (116)
और जो शख़्स ख़ुदा के साथ दूसरे माबूद की भी परसतिश करेगा उसके पास इस शिर्क की कोई दलील तो है नहीं तो बस उसका हिसाब (किताब) उसके परवरदिगार ही के पास होगा (मगर याद रहे कि कुफ़्फ़ार हरगिज़ फलाह पाने वाले नहीं) (117)
और (ऐ रसूल) तुम कह दो परवरदिगार तू (मेरी उम्मत को) बक्श दे और तरस खा और तू तो सब रहम करने वालों से बेहतर है (118)

सूरए अल मोमिनून ख़त्म

27 अक्टूबर 2025

कोटा दक्षिण नगर निगम का महापौर भी भाजपा के, प्रतिपक्ष भी भाजपा के काला अध्याय बना, कोंग्रेस का प्रतीकात्मक विरोध नें खुली सेटिंग का पर्दाफाश किया और कोंग्रेस फिसड्डी सी दिखने लगी,

 

कोटा दक्षिण नगर निगम का महापौर भी भाजपा के, प्रतिपक्ष भी भाजपा के काला अध्याय बना, कोंग्रेस का प्रतीकात्मक विरोध नें खुली सेटिंग का पर्दाफाश किया और कोंग्रेस फिसड्डी सी दिखने लगी, 30 अक्टूबर को जनहित याचिका से उम्मीद, कोटा निगम उत्तर, दक्षिण कहावत ही रहे, लोकसभा अध्यक्ष ओम जी बिरला, पूर्व स्वायत्त शासनमंत्री के ग्रह ज़िले में कोटा दक्षिण नगर निगम में महापौर ओर विपक्ष के नेता एक पार्टी के रहे, क़ानून के उलंग्घन का यह पाप विश्व रिकॉर्ड बना
कोटा ,, जोधपुर ,, जयपुर , के साथ कोटा उत्तर , कोटा दक्षिण नगर निगम भी एक हो गए है , दोनों नगर निगमों के डेढ़ सो वार्डों को सो वार्डों में समेट कर रख दिया है , वार्ड सीमांकन कैसे हुए हैं , क्यों हुए हैं , सभी जानते हैं , लेकिन एक कोंग्रेसी की भी हलक़ से जुबांन बाहर नहीं निकली , किसी भी कोंग्रेसी ने कोई आवाज़ तक नहीं उठाई , खेर यह तो गठबंधन का रिश्ता मान लेते हैं , समझ लेते हैं , यह रिश्ता क्या कहलाता है , ,लेकिन कोटा उत्तर , कोटा दक्षिण नगर निगम का इतिहास काला इतिहास रहा , कोटा उत्तर तो कोटा दक्षिण की मनमानी पर चुप चिढ़ी चुप रहा ,, अभी दशहरे की मनमानी पर भी समर्थन रहा , कोटा दक्षिण का इतिहास तो शर्मनाक से भी ज़्यादा , शर्मनाक रहा खासकर कोटा जैसे गढ़ में जहाँ प्रहलाद गुजंल जैसे दिग्गज नेता कांग्रेस में कई लोगों की धड़कन बने हो और हाड़ोती के एक ही लाल कोटा की धरती पर हों , उसके बावजूद भी , कांग्रेस के वोटों से जीतकर आये , कांग्रेस के महापौर राजीव अग्रवाल , चुनाव के पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए हों ,कोई बात नहीं वोह जा सकते हैं , उनकी अपनी स्वतंत्रता है , लेकिन नगर निगम क़ानून कोटा के ही स्वायत्त शासन मंत्री जी ने बनाया था ,. देश भर के क़ानून की ,पालना क़ानून बनाने के लिए देश की सबसे बढ़ी पंचायत के लोकसभा अध्यक्ष कोटा के ही सांसद है , उनके कार्यक्षेत्र में , नगर निगम क़ानून की शर्मनाक हत्या होती रही , नगर निगम रोज़ गैरक़ानूनी व्यवस्थाओं के बीच मरती रही , बढ़े शर्म की बात रही , के पक्ष भी में विपक्ष भी में , यानी , महापौर भी में और प्रतिपक्ष नेता भी में , मेरी ही पार्टी ,भाजपा के ही महापौर , भाजपा के ही प्रतिपक्ष नेता , क्या यह सब जो अभी खर्च हुए , वित्तीय स्वीकृति हुई , क़ानूनी है , नहीं ना , क्योंकि देश भर की एक अकेली ऐसी नगर निगम कोटा दक्षिण रही हैं , जहां , महापौर भी भाजपा के , और प्रतिपक्ष नेता भी भाजपा के और कांग्रेस चुप , खामोश है , खेर यह पब्लिक है सब जानती है, यही तो लोग कहते हैं चलो मान लिया , लेकिन प्रहलाद गुजंल जी की तो कोई सेटिंग नहीं थी , वोह क्यों चुप रहे , एक हाईकोर्ट की याचिका क्यों टल्लम , टल्ला होती रही , कैसे एक ही नगर निगम में , दोनों पद एक ही पार्टी के पास और , सभी वित्तीय काम काज हो रहे हैं , मेला भी भरवाया जा रहा हैं , करोड़ों करोड़ रूपये खर्च हो रहे हैं , खुलकर कहा गया के कोंग्रेसी वार्डों में काम नहीं होंगे , भाजपा के वार्डों में काम होंगे , बेचारे कांग्रेस के टिकिटों पर चुनाव जीत कर आये कुछ पार्षद अपना ज़मीर जगाकर , ज्ञापन देने के बाद विरोधस्वरूप नगर निगम में पक्षपात को लेकर धरना फिर अनशन पर बैठ गए , बस भाजपा नेताओं ने ना जाने ऐसी कोनसी जादू की छड़ी ,, सफाई ठेकेदारी घुमाई के , इन विरोधवरूप बैठे कांग्रेस के पार्षदों को उठाने के लिए अनशन तुड़वाने के लिए जयपुर से धड़ धड़ बढे कहे जाने वाले नेता, जिनका यह काम बहुत घटिया था वोह , लोग आ गए , ऐसे नेता कभी किसी भी कोटा की घटना पर , ज़रूरत पर इकट्ठे नहीं हुए लेकिन इस बार तो कमाल हो गया , ,ज्यूज़ आया , ना नुकुर होने पर धमकियां मिली और बस तोड़ दो अनशन ज़माना कुछ नहीं कहेगा , टूट गया अनशन , नगर निगम में ऐसा कोनसा जादूगर है , जिसने यह सब मैनेज किया , कांग्रेस की ज़ुबान पर ताले लग गए ,, फिर वार्डों का सीमांकन हुआ , वार्ड सीमांकन के नियम देख लो , वार्डों का सीमांकन जांच लो , डेढ़ सो के सो वार्ड , दो नगर निगम का एक ंनगर निगम लेकिन कांग्रेस , विपक्ष चुप चिढ़ी चुप ,,,क्यों किसलिए , किस दबाव में पता हो किसी को तो बताइयेगा ज़रूर ,, सभी को पता है , जब कांग्रेस कार्यकाल में , स्वायत शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने , स्वायत्त शासी संस्थाओं के माइक्रोमैनेजमनेट के लिए वार्डों को छोटा किया था , बढे महानगरों में , कोटा , जोधपुर , जयपुर में ,, दो दो नगर निगम किये थे , तब भाजपा ने खुलकर विरोध किया था , और हाईकोर्ट में भी याचिकाएं लगाई थी , लेकिन हाईकोर्ट ने इन सब व्यवस्थाओं को ह्री झंडी दी थी और दो नगर निगम को भी हरी झंडी मिली थी , माइक्रोमेंनेज्मेंट के लिए भी छोटे वार्डों का सुझाव ठीक था , फिर अब वार्डों की संख्या में कटौती , बढे बढे वार्ड ,, दो नगर निगम फिर से एक नगर निगम डंके की चोट पर किये गए और घोषणाएं की जा रही हैं , एक महीने पहले से ही , लेकिन फिर भी कोई कोंग्रेसी , वार्डों के सीमांकन , वार्डों की संख्या , और दो नगर निगम को एक करने के खिलाफ अपने तथ्यों को लेकर हाईकोर्ट गया ही नहीं , हाईकोर्ट छोड़ो , सड़क पर भी चर्चा नहीं ,की अख़बारों की खबर भी नहीं बनाई , ,क्योंकि यह पब्लिक है सब जानती है , ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
akhtar khan akela

बेटे बेटियों ने संपन्न कराया पिता का नेत्रदान

 बेटे बेटियों ने संपन्न कराया पिता का नेत्रदान

शनिवार देर रात आर्य समाज रोड निवासी महावीर प्रसाद जैन किराना व्यवसाय का आकस्मिक निधन हो जाने के उपरांत उनके बेटे आशीष,बेटी भारती,पूजा,रिंकी और अंतिमा ने अपनी माँ सजन बाई जैन से सहमति करने के उपरांत पिताजी का नेत्रदान का कार्य संपन्न करवाया ।

सहज,सरल,और विनम्र स्वभाव के महावीर जैन धर्म कर्म, साधु संतों और जीव दया में आस्था रखने वाले ,नियमित मंदिर में सेवा देने वाले व्यक्ति थे । पिता के सेवा कार्यों से प्रेरित होकर ही परिजनों ने नेत्रदान का कार्य शाइन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से संपन्न करवाया ।

नेत्रदान के पुनीत कार्य में दामाद राकेश,मुकेश,राम बंसल और सुरेंद्र अग्रवाल का भी सहयोग रहा

और जिन (के नेकियों) के पल्लें हल्के होंगें तो यही लोग है जिन्होंने अपना नुक़सान किया कि हमेशा जहन्नुम में रहेंगे

 (जहाँ) क़ब्रों से उठाए जाएँगें (रहना होगा) फिर जिस वक़्त सूर फूँका जाएगा तो उस दिन न लोगों में क़राबत दारियाँ रहेगी और न एक दूसरे की बात पूछेंगे (101)
फिर जिन (के नेकियों) के पल्लें भारी होगें तो यही लोग कामयाब होंगे (102)
और जिन (के नेकियों) के पल्लें हल्के होंगें तो यही लोग है जिन्होंने अपना नुक़सान किया कि हमेशा जहन्नुम में रहेंगे (103)
और (उनकी ये हालत होगी कि) जहन्नुम की आग उनके मुँह को झुलसा देगी और लोग मुँह बनाए हुए होगें (104)
(उस वक़्त हम पूछेंगें) क्या तुम्हारे सामने मेरी आयतें न पढ़ी गयीं थीं (ज़रुर पढ़ी गयी थीं) तो तुम उन्हें झुठलाया करते थे (105)
वह जवाब देगें ऐ हमारे परवरदिगार हमको हमारी कम्बख़्ती ने आज़माया और हम गुमराह लोग थे (106)
परवरदिगार हमको (अबकी दफ़ा ) किसी तरह इस जहन्नुम से निकाल दे फिर अगर दोबारा हम ऐसा करें तो अलबत्ता हम कुसूरवार हैं (107)
ख़ुदा फरमाएगा दूर हो इसी में (तुम को रहना होगा) और (बस) मुझ से बात न करो (108)
मेरे बन्दों में से एक गिरोह ऐसा भी था जो (बराबर) ये दुआ करता था कि ऐ हमारे पालने वाले हम इमान लाए तो तू हमको बक्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है (109)
तो तुम लोगों ने उन्हें मसख़रा बना लिया-यहाँ तक कि (गोया) उन लोगों ने तुम से मेरी याद भुला दी और तुम उन पर (बराबर) हँसते रहे (110)

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