आपका-अख्तर खान "अकेला"
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 दिसंबर 2025
अभिभाषक परिषद कोटा के ऐतिहासिक चुनाव के बाद कोटा में आगामी 12 मार्च 2026 को प्रस्तावित बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के चुनाव को लेकर सरगर्मियां शुरू हो गई है
तुम्हें फ़तेह हुयी तो यही लोग कहने लगते हैं कि हम भी तो तुम्हारे साथ ही साथ थे भला जो कुछ सारे जहाँन के दिलों में है क्या ख़ुदा बख़ूबी वाकि़फ नहीं
सूरए अन अनक़बूत मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी उन्हत्तर (69) आयतें हैं और सात रुकूउ हैं
ख़़ुदा के नाम से ( शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
अलिफ़ लाम मीम (1)
क्या लोगों ने ये समझ लिया है कि (सिर्फ़) इतना कह देने से कि हम ईमान लाए छोड़ दिए जाएँगे और उनका इम्तेहान न लिया जाएगा (2)
और हमने तो उन लोगों का भी इम्तिहान लिया जो उनसे पहले गुज़र गए ग़रज़
ख़ुदा उन लोगों को जो सच्चे (दिल से इमान लाए) हैं यक़ीनन अलहाएदा देखेगा
और झूठों को भी (अलहाएदा) ज़रुर देखेगा (3)
क्या जो लोग बुरे बुरे काम करते हैं उन्होंने ये समझ लिया है कि वह हमसे
(बचकर) निकल जाएँगे (अगर ऐसा है तो) ये लोग क्या ही बुरे हुक्म लगाते हैं
(4)
जो शख़्स ख़ुदा से मिलने (क़यामत के आने) की उम्मीद रखता है तो (समझ रखे
कि) ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुयी) मीयाद ज़रुर आने वाली है और वह (सबकी)
सुनता (और) जानता है (5)
और जो शख़्स (इबादत में) कोशिश करता है तो बस अपने ही वास्ते कोशिश करता
है (क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा सारे जहाँन (की इबादत) से
बेनियाज़ है (6)
और जिन लोगों ने इमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए हम यक़ीनन उनके
गुनाहों की तरफ़ से क्फ्फारा क़रार देगें और ये (दुनिया में) जो आमाल करते
थे हम उनके आमाल की उन्हें अच्छी से अच्छी जज़ा अता करेंगे (7)
और हमने इन्सान को अपने माँ बाप से अच्छा बरताव करने का हुक्म दिया है और
(ये भी कि) अगर तुझे तेरे माँ बाप इस बात पर मजबूर करें कि ऐसी चीज़ को
मेरा शरीक बना जिन (के शरीक होने) का मुझे इल्म तक नहीं तो उनका कहना न
मानना तुम सबको (आखि़र एक दिन) मेरी तरफ़ लौट कर आना है मै जो कुछ तुम लोग
(दुनिया में) करते थे बता दूँगा (8)
और जिन लोगों ने इमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए हम उन्हें (क़यामत के दिन) ज़रुर नेको कारों में दाखि़ल करेंगे (9)
और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो (ज़बान से तो) कह देते हैं कि हम ख़़ुदा पर
इमान लाए फिर जब उनको ख़ुदा के बारे में कुछ तकलीफ़ पहुँची तो वह लोगों की
तकलीफ़ देही को अज़ाब के बराबर ठहराते हैं और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे पास
तुम्हारे परवरदिगार की मदद आ पहुँची और तुम्हें फ़तेह हुयी तो यही लोग कहने
लगते हैं कि हम भी तो तुम्हारे साथ ही साथ थे भला जो कुछ सारे जहाँन के
दिलों में है क्या ख़ुदा बख़ूबी वाकि़फ नहीं (ज़रुर है) (10)
21 दिसंबर 2025
मुबारकबाद, बधाई, राजस्थान के महामहिम राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागडे ने शनिवार 20 दिसंबर को लालसोट में कोटा से डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, डॉ. मनीषा शर्मा, विष्णु शर्मा हरिहर और रामनारायण मीणा हलधर को 11 राज्यों के 31 साहित्यकारों सहितउनकी साहित्यिक कृतियों के लिए " अनुराग साहित्यिक अलंकरण" से सम्मानित किया। भव्य अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन अनुराग साहित्य सेवा संस्थान, लालसोट जिला दौसा द्वारा किया गया था। इस अवसर पर हिंदी के विकास पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया।
राष्ट्रीय लोक अदालत में विधि विद्यार्थियों ने जानी लोक अदालत की प्रक्रिया
और ख़़ुदा के सिवा किसी और माबूद की परसतिश न करना उसके सिवा कोई क़ाबिले परसतिश नहीं उसकी ज़ात के सिवा हर चीज़ फ़ना होने वाली है उसकी हुकूमत है और तुम लोग उसकी तरफ़ (मरने के बाद) लौटाये जाओगे
और हमने क़ारुन और उसके घर बार को ज़मीन में धंसा दिया फिर ख़़ुदा के सिवा
कोई जमाअत ऐसी न थी कि उसकी मदद करती और न खुद आप अपनी मदद आप कर सका (81)
और जिन लोगों ने कल उसके जाह व मरतबे की तमन्ना की थी वह (आज ये तमाशा
देखकर) कहने लगे अरे माज़अल्लाह ये तो ख़़ुदा ही अपने बन्दों से जिसकी
रोज़ी चाहता है कुशादा कर देता है और जिसकी रोज़ी चाहता है तंग कर देता है
और अगर (कहीं) ख़ुदा हम पर मेहरबानी न करता (और इतना माल दे देता) तो उसकी
तरह हमको भी ज़रुर धॅसा देता-और माज़अल्लाह (सच है) हरगिज़ कुफ्फार अपनी
मुरादें न पाएँगें (82)
ये आखि़रत का घर तो हम उन्हीं लोगों के लिए ख़ास कर देगें जो रुए ज़मीन
पर न सरकशी करना चाहते हैं और न फसाद-और (सच भी यूँ ही है कि) फिर अन्जाम
तो परहेज़गारों ही का है (83)
जो शख़्स नेकी करेगा तो उसके लिए उसे कहीं बेहतर बदला है औ जो बुरे काम
करेगा तो वह याद रखे कि जिन लोगों ने बुराइयाँ की हैं उनका वही बदला हे जो
दुनिया में करते रहे हैं (84)
(ऐ रसूल) ख़़ुदा जिसने तुम पर क़़ुरआन नाजि़ल किया ज़रुर ठिकाने तक
पहुँचा देगा (ऐ रसूल) तुम कह दो कि कौन राह पर आया और कौन सरीही गुमराही
में पड़ा रहा (85)
इससे मेरा परवरदिगार ख़ूब वाकि़फ है और तुमको तो ये उम्मीद न थी कि
तुम्हारे पास ख़़ुदा की तरफ़ से किताब नाजि़ल की जाएगी मगर तुम्हारे
परवरदिगार की मेहरबानी से नाजि़ल हुयी तो तुम हरगि़ज़ काफिरों के पुष्त
पनाह न बनना (86)
कहीं ऐसा न हो एहकामे ख़़ुदा वन्दी नाजि़ल होने के बाद तुमको ये लोग उनकी
तबलीग़ से रोक दें और तुम अपने परवरदिगार की तरफ़ (लोगों को) बुलाते जाओ और
ख़बरदार मुशरेकीन से हरगिज़ न होना (87)
और ख़़ुदा के सिवा किसी और माबूद की परसतिश न करना उसके सिवा कोई क़ाबिले
परसतिश नहीं उसकी ज़ात के सिवा हर चीज़ फ़ना होने वाली है उसकी हुकूमत है
और तुम लोग उसकी तरफ़ (मरने के बाद) लौटाये जाओगे (88)