सूरए अल लइल मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी इक्कीस (21) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
रात की क़सम जब (सूरज को) छिपा ले (1)
और दिन की क़सम जब ख़ूब रौशन हो (2)
और उस (ज़ात) की जिसने नर व मादा को पैदा किया (3)
कि बेषक तुम्हारी कोशिश तरह तरह की है (4)
तो जिसने सख़ावत की और अच्छी बात (इस्लाम) की तस्दीक़ की (5)
तो हम उसके लिए राहत व आसानी (6)
(जन्नत) के असबाब मुहय्या कर देंगे (7)
और जिसने बुख़्ल किया, और बेपरवाई की (8)
और अच्छी बात को झुठलाया (9)
तो हम उसे सख़्ती (जहन्नुम) में पहुँचा देंगे, (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 दिसंबर 2024
और दिन की क़सम जब ख़ूब रौशन हो (2) और उस (ज़ात) की जिसने नर व मादा को पैदा किया
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