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11 नवंबर 2011

अजूबा बना दूसरी दुनिया का यह तिलिस्मी पत्थर!


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1872 में ब्रिटेन के न्यू हैंपशायर की विनिपीसाउकी झील में खुदाई के दौरान एक काले रंग का अंडाकार पत्थर मिला था। 4 इंच बाय 2.5 इंच के पत्थर को तराशकर बहुत से निशान भी इस पर बनाए गए हैं। काफी रिसर्च के बाद भी पता नहीं चलता कि इस पत्थर की उम्र कितनी है, इसे किसलिए बनाया गया और क्या ये इस दुनिया का है या फिर कहीं और से आया है।
न्यू हैंपशायर के बिजनेसमैन सेनेका लैड मजदूरों से यहां खुदाई करवा रहे थे। उन्हें ये पत्थर मिला था। 1892 में तक ये उनके पास रहा, फिर उनकी मौत के बाद उनकी बेटी ने इसे संभाला। 1927 में उनकी बेटी ने न्यू हैंपशायर हिस्टोरिकल सोसायटी को इसे दान कर दिया।

तभी से ये वहां म्यूजियम में प्रदर्शित है। इस पत्थर पर एक चेहरा, चंद्रमा, तीर, बहुत से बिंदु और कई तरह के निशान बने हैं। इसमें दोनों तरफ से आरपार छेद किए गए हैं। ये छेद भी अलग-अलग साइज के बिट्स से किए गए हैं।
ऊपर से नीचे छेद करने वाली ड्रिल बिट का साइज 1/8 इंच है। नीचे से ऊपर वाली का साइज 3/8 इंच है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरह के छेद करने की तकनीक 19वीं सदी के पॉवर टूल्स से संभव हुई है। फिर इतिहासपूर्व के इस पत्थर में ये छेद कैसे किए गए। 1872 में अमेरिकन नेचरलिस्ट ने कहा था ये दो आदिवासियों के बीच समझौते का प्रतीक है।
राज़ है गहरा
न्यू हैंपशायर में मिला पाषणयुग का ये पत्थर कहां से आया था। इस पर बने निशानों का क्या मतलब है और इसे क्यों बनाया गया। इतिहासपूर्व में बिना साधनों के इसमें इतने बारीक छेद कैसे किए गए ये आज भी राज़ है।

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