आपका-अख्तर खान

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19 जून 2021

फिर ग़ौर किया

फिर ग़ौर किया (21)
फिर त्योरी चढ़ाई और मुँह बना लिया (22)
फिर पीठ फेर कर चला गया और अकड़ बैठा (23)
फिर कहने लगा ये बस जादू है जो (अगलों से) चला आता है (24)
ये तो बस आदमी का कलाम है (25)
(ख़ुदा का नहीं) मैं उसे अनक़रीब जहन्नुम में झोंक दूँगा (26)
और तुम क्या जानों कि जहन्नुम क्या है (27)
वह न बाक़ी रखेगी न छोड़ देगी (28)
और बदन को जला कर सियाह कर देगी (29)
उस पर उन्नीस (फ़रिश्ते मुअय्यन) हैं (30)

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