आपका-अख्तर खान

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22 जनवरी 2011

देख लो ....

देख लो
कोई मतलब
कोई वास्ता नहीं
उन्हें
हमारी जिंदगानी से
देख लो
उन्हें कोई मतलब नहीं
हमारी दर्द भरी
कहानी से
फिर भी
क्या हे ऐसा
के वोह
जहां जहाँ भी जाते हें
हम सुनाने
उन्हें
अपनी दास्तान
पीछे पीछे उनके
महफिलों में
बिन बुलाये
चले जाते हें
सुनते हें
शायद इसीलियें
आज हम
दीवाने उनके
कहलाते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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