tag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post2338663180364806882..comments2024-01-02T00:08:56.206-08:00Comments on आपका-अख्तर खान "अकेला": देश के धर्म गुरु और संत क्या देश को खुशहाल और कर्ज़ मुक्त कर सकते हैंआपका अख्तर खान अकेलाhttp://www.blogger.com/profile/13961090452499115999noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post-51063630804491543632011-06-18T23:58:30.554-07:002011-06-18T23:58:30.554-07:00न्याय और सुरक्षा केवल इस्लाम में ही निहित है
मंदिर...<b>न्याय और सुरक्षा केवल इस्लाम में ही निहित है</b><br />मंदिरों और मज़ारों पर लोग चढ़ावे चढ़ाते हैं और वहां दौलत के ढेर लग जाते हैं। साधुओं और क़लंदरों को दौलत की ज़रूरत कभी नहीं रही। उनके रूप बनाकर आजकल नक़ली लोग आस्था का व्यापार कर रहे हैं। अगर इन लोगों के पास केवल ज़रूरतें पूरी होने जितना धन छोड़कर बाक़ी को उसी संप्रदाय के ग़रीब लोगों के कल्याण में ख़र्च कर दिया जाए तो दान दाता का मक़सद पूरा हो जाएगा। जो साधू और जो क़लंदर सरकार के इस क़दम का विरोध करे तो समझ लीजिए कि यह दौलत का पुजारी है ईश्वर का पुजारी नहीं है। <br />इन जगहों पर दौलत का ढेर लगा है और सरकार इनके खि़लाफ़ कोई क़दम नहीं उठाती है। इसके पीछे कारण यह है कि राजनीति करने वालों का इनसे पैक्ट है कि आप तो जनता का ध्यान हमारी तरफ़ मत आने देना और आपके ख़ज़ानों की तरफ़ हम ध्यान नहीं देंगे। पूंजीपतियों ने भी यही संधि राजनेताओं से कर रखी है। इस संधि को नौकरशाह और मीडिया, दोनों ख़ूब जानते हैं लेकिन फिर भी चुप रहते हैं। इसके एवज़ में उनकी ज़िंदगी ऐश से बसर होती है। अपनी ऐश के लिए इन लोगों ने पूरे देश को भूख, ग़रीबी और जुर्म की दलदल में धंसा दिया है। जो भी पत्रकार इनके खि़लाफ़ बोलता है उसे मार दिया जाता है। जो भी साधु इनके खि़लाफ़ बोलता है उसे भी मार दिया जाता है। मिड डे अख़बार के पत्रकार जे डे को मुंबई में और स्वामी निगमानंद को हरिद्वार-देहरादून में मार दिया गया। सब जानते हैं कि इनकी मौत इनके सच बोलने के कारण हुई है। इस तरह ये लोग अंडरवल्र्ड के क़ातिलों को भी अपने मक़सद के लिए इस्तेमाल करते हैं और बदले में उन्हें देश में अपने अवैध धंधे करने की छूट देते हैं। इस समय हमारे समाज की संरचना यह है। <br />जो भी आदमी अपना जो भी कारोबार कर रहा है या नेता बन रहा है, वह इसी संरचना के अंदर कर रहा है। इस संरचना को तोड़ सके, ऐसा जीवट फ़िलहाल किसी में नज़र नहीं आता और न ही किसी के पास इस संरचना को ध्वस्त करने का कोई तरीक़ा है और न ही एक आदर्श समाज की व्यवहारिक संरचना का कोई ख़ाका उन लोगों के पास है जो भ्रष्टाचार आदि के खि़लाफ़ आंदोलन चला रहे हैं। <br />यह सब कुछ इस्लाम के अलावा कहीं और है ही नहीं और इस्लाम को ये मानते नहीं। अस्ल समस्या यह है कि समस्याओं के समाधान का जो स्रोत वास्तव में है, उसे लोग मानते ही नहीं। जब लोग सीधे रास्ते पर आगे न बढ़ें तो किसी न किसी दलदल में तो वे गिरेंगे ही। उसके बाद जब ये लोग दलदल में धंस जाते हैं और तरह तरह के कष्ट भोगते हैं तो अपने विचार और अपने कर्म को दोष देने के बजाय दोष ईश्वर को देने लगते हैं। कहते हैं कि ‘क्या ईश्वर ने हमें दुख भोगने के लिए पैदा किया है ?‘<br />‘नहीं, उसने तो तुम्हें अपना हुक्म मानने के लिए पैदा किया है और दुख से रक्षा का उपाय मात्र यही है तुम्हारे लिए।‘<br />जो भी बच्चा मेले में अपने बाप की उंगली छोड़ देता है, वह भटक जाता है और जो भटक जाता है वह तब तक कष्ट भोगता है जब तक कि वह दोबारा से अपने बाप की उंगली नहीं थाम लेता।<br />सुख की सामूहिक उपलब्धि के लिए हमें ईश्वर के बताए ‘सीधे मार्ग‘ पर सामूहिक रूप से ही चलना पड़ेगा वर्ना तब तक जे डे और निगमानंद मरते ही रहेंगे और इनके क़ातिलों के साथ साथ इनका ख़ून उन लोगों की गर्दन पर भी होगा जो कि इस्लाम को नहीं मानते। <br />न्याय और सुरक्षा केवल इस्लाम में ही निहित है।<br />जो क़त्ल करेगा, उसका सिर उसके कंधों पर सलामत नहीं छोड़ती है जो व्यवस्था, उसे अपनाने में आनाकानी क्यों ?<br /><a href="http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/06/hadith.html" rel="nofollow">आओ जीवन की ओर Hadith</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post-70927888649430012752011-06-18T23:30:07.499-07:002011-06-18T23:30:07.499-07:00Ratan Singh Shekhawat@ कौन करेगा यह सब? बड़े बड़े ...Ratan Singh Shekhawat@ कौन करेगा यह सब? बड़े बड़े नेता भी ऐसे गुरुं के पैर छूते हैं.एस एम् मासूमhttps://www.blogger.com/profile/02575970491265356952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post-62740870888828508482011-06-18T06:08:27.001-07:002011-06-18T06:08:27.001-07:00देश के धार्मिक स्थल भी काले धन से भरे पड़े है ,इनमे...देश के धार्मिक स्थल भी काले धन से भरे पड़े है ,इनमे आने वाले दान के लिए भी बने कानूनों में सुधार होना चाहिए |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post-77134353850426180932011-06-18T04:53:08.587-07:002011-06-18T04:53:08.587-07:00मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों...<a href="http://rksirfiraa.blogspot.com/" rel="nofollow">मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है</a> आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.<br /><br />दिल्ली पुलिस का <a href="http://sach-ka-saamana.blogspot.com/" rel="nofollow"> कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें.</a> मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?<br /><br />मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. <a href="http://sach-ka-saamana.blogspot.com/" rel="nofollow"> मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.</a><br /><br />मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. <a href="http://rksirfiraa.blogspot.com/" rel="nofollow"> आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो</a>रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post-55226353683983566212011-06-18T02:50:14.427-07:002011-06-18T02:50:14.427-07:00हां ज़रूर, और जो अल्पसंख्यक --पढ़ें इस्लामिक -- ट्...हां ज़रूर, और जो अल्पसंख्यक --पढ़ें इस्लामिक -- ट्रस्टों, संस्थानों, मस्जिदों व वक्फ बोर्डों की संपत्ति है उसे भी राजसात कर उसका भी राष्ट्रीयकरण किया जाए.khtrnoreply@blogger.com