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08 दिसंबर 2022

 सुखविंदर सिंह रंधावा ,, राजस्थान कांग्रेस प्रभारी के रूप में , सुलझा हुआ नेतृत्व है , राजनीती की क ख ग ही नहीं ,पूरी बारह खडी में पारंगत हैं , वोह अपने राजस्थान प्रभार के कार्यभार ग्रहण की शुरुआत , राजस्थान के हाड़ोती में कोटा संभाग के कोटा ज़िले से कर रहे हैं

 सुखविंदर सिंह रंधावा ,, राजस्थान कांग्रेस प्रभारी के रूप में , सुलझा हुआ नेतृत्व है , राजनीती की क ख ग ही नहीं ,पूरी बारह खडी में पारंगत हैं , वोह अपने राजस्थान प्रभार के कार्यभार ग्रहण की शुरुआत , राजस्थान के हाड़ोती में कोटा संभाग के कोटा ज़िले से कर रहे हैं , यह कोटा के लिए , गर्व की बात हैं , यूँ भी, खुद प्रभारी सुखविदंर सिंह जी रंधावा , का कोटा संभाग के बूंदी ज़िले से पैतृक संबंध है, उनके दादा श्री बूंदी में ही बढे कृषक के रूप में ,, रहे हैं , कोटा से इनका गहरा संबंध रहा हैं,, , सुखविदंर सिंह रंधावा से बातचीत में कोई भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रहता हैं ,,  वोह लोगों की सुनते हैं, धैर्य और संयम रखकर, अपने फैसले बहुपक्षीय सुनवाई के बाद लेते हैं , कटटर कोंग्रेसी , ज़मीन से जुड़े हैं , पहले वालों की तरह , हारे हुए , फिर हार से डर कर विदेशों में जाने वाले नहीं हैं , अपने क्षेत्र की भाग संख्याओं में , बार बार ज़मानत ज़ब्त करवाकर  आने वाले नहीं हैं , यक़ीनन , सुखविदंर सिंह रंधावा का राजस्थान प्रभारी के लिए ,चयन , कांग्रेस हाईकमान का  प्रारम्भिक तोर पर परीपकव् फैसला नज़र आ रहा हैं, , सुखविंदर सिंह रंधावा से बातचीत में ही , लगता है के यह सुलझे हुए , समझदार , निष्पक्ष , और निर्भीक , हाईकमान के वफादार साथी हैं , इसलिए राजस्थान में जब आगामी विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहटें हैं , अल्पसंखयक समाज के खिलाफ , उनके प्रतिनिधित्व उनके इदारों में नियुक्तियां नहीं होने , उनके खिलाफ ज़ुल्म ज़्यादती की जो शिकायतें हैं , इस मामले में रंधावा कांग्रेस के खिलाफ इनकी नाराज़गी दूर करने वाले , निष्पक्ष ज़िम्मेदार साबित हो सकेंगे , और कांग्रेस से  रूठे हुए अल्सपंख्यकों को फिर से जोड़ने में कामयाब होते दिखेंगे , ,खुद मुख्यमंत्री के दावेदार थे , पुरान , पैतृक कोंग्रेसी , प्रभाव था , लेकिन जब हाईकमान ने , इन्हे उप मुख्यमंत्री ही  रखकर, मुख्यमंत्री दूसरा ही बना दिया , तो इनकी बगावत नहीं थी, यह कभी भी , उचक  कर,अपने कारकर्ताओं , समर्थकों के साथ , इन्हे मुख्यमंत्री बनाने के संघर्ष में , आगे नहीं आये , इन्होने हाईकमान के फैसले के  खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई , और वफादार सिपाही की तरह से उप मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी भी ईमानदारी से निभाई ,, इसीलिए राजस्थान में कोई बहुत बढ़ा संकट अब इनकी नज़र में नहीं हैं , जिसकी जो ताक़त हैं , जो हैसियत है , जो सम्मान है , उसे सम्मान के साथ वोह ज़िम्मेदारी ज़रूर मिलेगी ,, युवा कोंग्रेस की रीढ़ की हड्डी है , तो बुज़ुर्ग , अनुभवी कांग्रेस की धरोहर हैं, दोनों के तालमेल में , अल्पसंख्यक , ,खासकर अल्पसंख्यकों में बहुसंख्यक वोटर्स का तड़का लगाकर, यह दी बेस्ट करने के संकल्प के साथ , राजस्थान की धरती पर,  कांग्रेस ज़िंदाबाद का सपना लेकर आये हैं , और ख़ुशी की बात  है के कोटा की धरती से ही , राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के साथ , इनका यह संकल्प , शुरू हुआ हैं ,, अल्लाह इन्हे इनके इस संकल्प में अशोक गहलोत के नेतृत्व में उनकी कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार की कामयाबी के साथ , कहो दिल से कांग्रेस फिर से के नारे के साथ , राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनवाने में कामयाबी अता फरमाए , राजस्थान में , कांग्रेस संगठन प्रभारियों का इतिहास विवादित रहा हैं , ,यहां अभी भी सह प्रभारियों को लेकर असमंजस है , उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया या नहीं , कोई आदेश नहीं हैं, ,लेकिन फिर भी,  चाहे मुकुल वासनिक हों , चाहे , गुरुदास कामत , सह प्रभारी , इरशाद साहब हों , अविनाश पांडेय हों , उनके सह प्रभारी हों , फिर अजय माकन हों , सभी पर , विवादों के बाद गाज गिरती रही हैं, , सह प्रभारियों पर तो मोबाइल , ट्रेक सूट , , कुर्ते पायजामें,  और  जयपुर की कारों की शिकायतें , अख़बारों की सुर्खियां रही हैं , हर बार राजस्थान में प्रभारी बदले गए, यहां तक के उनके द्वारा बनाये गए कुछ मंत्रियों को ,बर्खास्त तक करने का राजस्थान में इतिहास रहा हैं , ,मासिक चौथवसूली की अखबारी सुर्खियां रहे हैं , , जो लोग अपने इलाक़े के चुनावों में लगातार ज़मानत ज़ब्त कराकर , हारते हुए,  इतिहास बनाते रहे हैं , उन तक को , राजस्थान में प्रभारी बनाकर,  कार्य्रकर्ताओं से जी हुज़ूरी करवाई गई हैं  ,लेकिन अब , राजस्थान में , बरसों बाद, क़रीब , पच्चीस साल बाद , एक निर्विवाद , हर बार अपने क्षेत्र से चुनाव जीतकर आने वाला ,,जांबाज़ नेतृत्व हमे प्रभारी के रूप में मिला हैं , वोह कार्यर्कताओं का दर्द समझते हैं , हार जीत की व्यवहारिक परिस्थितियां समझते हैं , सुखविंदर सिंह रंधावा , अल्पसंख्यकों के साथ हो रही ना इंसाफ़ी भी सुनेंगे , उनके इबादत घरों की मरम्मत में रोड़ा अटकाने वाले अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही का मेंडेट भी देंगे , मदरसा पैराटीचर्स को , उनका हक़ ,देंगे  उर्दू  के साथ इन्साफ  होगा,तो वक़्फ़ में , जो वक़्फ़ सम्पत्ति के क़ब्ज़ेदार हैं, उन्हें ही ,वक़्फ़ कमेटियों में पदाधिकारी बनाने वाले , ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही का बिगुल भी रंधावा ज़रूर बजायेंगे, , कांग्रेस के वोटर्स के रूप में , जो , वोटर्स कांग्रेस का सरमाया हैं , कांग्रेस का सो में से सो फीसदी वोटर है,  उसके साथ ना इंसाफ़ी ना हो, उसे राजनितिक , नियुक्तियों , संगठनात्मक नियुक्तियों और टिकिट वितरण में  पूरा ईमानदाराना हक़ मिले , वोह इस मामले में भी कसौटी पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे, राजस्थान के वर्तमान हालतों में जब , भारत जोड़ो यात्रा के पूर्व ,टूटी हुई ,बिखरी हुई कांग्रेस  एक साथ हाथ ऊँचे कर, कांग्रेस ज़िंदाबाद कर रही है , पोस्टर वार व्यक्तिगत ज़िंदाबाद के नारों के शक्ति प्रदर्शन की खबर के बाद , खुद राहुल गांधी सावचेत होकर,  यात्रा कार्यक्रम में परिवर्तन कर रहे हैं , स्थानीय नेतृत्व को सुधरने , बदलने का संकेत दे रहे हैं , ऐसे में चाहे , रंधावा साहब के लिए , ,राजस्थान प्रभार , मेंढ़क तोलने जैसा  मुश्किल काम हो , राजस्थान में फिर से कांग्रेस की सरकार बहुमत के साथ बनाने की चुनौती हो , बातचीत में वोह मुस्कुरा कर इस चुनौती को स्वीकार भी करते हैं, और राजस्थान में , गुटबाज़ी समाप्ति के साथ ,सभी को ,, हर वर्ग को उनके हिस्सेदारी मिले , इस इन्साफ के साथ , राजस्थान में कांग्रेस की सरकार फिर से , के  इरादे , कुशल प्रबंधन के प्रयासों के साथ , नए राजस्थान प्रभारी , कोटा के रास्ते , हमारे ज़िम्मेदार बनकर आये हैं , उनका स्वागत है , अल्लाह से दुआ है, के वोह उनके कांग्रेस को ज़िंदाबाद करने के संकल्प में , प्रयासों में कामयाब हों , हमे सब को उनकी ताक़त , उनकी आवाज़ हाईकमान के निर्देशों , कांग्रेस के संविधान के निर्देशों के साथ हर हाल में बनना ही होगा ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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