tag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post5238239217129021740..comments2024-01-02T00:08:56.206-08:00Comments on आपका-अख्तर खान "अकेला": यारों मैं बेफिक्र हुआ, मुझे 'सिरफिरा' सम्पादक मिल गयाआपका अख्तर खान अकेलाhttp://www.blogger.com/profile/13961090452499115999noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post-72511745084788275792011-02-22T19:07:00.617-08:002011-02-22T19:07:00.617-08:00@हर एक इंसान का हर एक दुसरे इंसान से "इंसानिय...@हर एक इंसान का हर एक दुसरे इंसान से "इंसानियत" का रिश्ता है.'<br /><br />रिश्ता कायम रहे।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post-64623877761061157682011-02-21T22:03:40.617-08:002011-02-21T22:03:40.617-08:00माननीय श्री दिनेशराय द्विवेदी जी मेरा लखनऊ से को...माननीय श्री दिनेशराय द्विवेदी जी मेरा लखनऊ से कोई रिश्ता नहीं है, मैं लखनऊ के बारे में इतना जानता हूँ कि-उत्तर प्रदेश की राजधानी है और उसमें बहुत इज्जत और सम्मान देने वाले इंसान रहते है. वैसे यह शहर भारत देश का अंग है. जैसे हमारे शरीर में हाथ-कान है. अब इस नाचीज़ की गुस्ताखी माफ़ करते हुए आप बताये कि-आप को कैसे महसूस हुआ हम दोनों का लखनऊ से कोई रिश्ता है? मेरी विचारधारा के अनुसार 'हर एक इंसान का हर एक दुसरे इंसान से "इंसानियत" का रिश्ता है.'रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post-5523542396093905962011-02-21T06:10:44.460-08:002011-02-21T06:10:44.460-08:00आप दोनों का लखनऊ से क्या रिश्ता है?आप दोनों का लखनऊ से क्या रिश्ता है?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2021412620618906635.post-63701754218566894912011-02-21T00:20:13.618-08:002011-02-21T00:20:13.618-08:00अख्तर खान अकेला जी, आप एक गुस्ताखी के लिए ओर क्षमा...अख्तर खान अकेला जी, आप एक गुस्ताखी के लिए ओर क्षमा कर दें. आपके लेख का अपनी आदत से मजबूर होने के कारण संपादन कर दिया है. कृपया इसको अनाथा न लिजियेगा. अपनी गुस्ताखी के लिए एक बार फिर से क्षमा चाहते हैं. आपने अपने ब्लॉग पर इस नाचीज़ को इतनी इज्जत बख्शी उसके लिए आपका धन्यबाद! हम इस काबिल कहाँ कि आपके लेखों का संपादन कर सकें. एक-दो लेख का कभी-कभार संपादन किया जा सकता है मगर नियमित रूप से नहीं. अगर आप मेरे ब्लॉग को नियमित पढ़ते हैं. तब इसके कारणों से अवगत होंगे. इन दिनों डिप्रेशन, ववासिर और पत्थरी आदि की बिमारियों से ग्रस्त हूँ. खासतौर पर मानसिक परेशानी के चलते अपना कार्य नियमित रूप से करने में भी असमर्थ हूँ. मगर हाँ, कभी व्यक्ति विशेष पर लेख का संपादन करना हो तो पहले फ़ोन करके ईमेल कर दें. एक बात का हमेशा ध्यान रखना कि-मैं देश के स्वार्थी राजनीतिकों पर अपना अनुभव खर्च नहीं करता हूँ और हद से ज्यादा "सनकी" होने के कारण लिखने से पहले इनके बारे में बहुत ज्यादा खोजबीन करना पसंद करता हूँ. इसके लिए काफी समय की जरूरत होती है. मेरी "कलम" कोठे की वेश्या नहीं है. जो इनके कहने पर चलेंगी. जिस दिल में भौतिक वस्तुओं की चांह ही नहीं हो. तब अपने पत्रकारिता के फर्ज से कैसी गद्दारी करनी? अनजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमा चाहते हैं. <br /><br />अख्तर साहब! मेरा इनाम पक्का समझिये. मैंने आपने ब्लॉग पर एक सुधरी हुई चीज़ खोज ली है. आखिर खोजी पत्रकार जो ठहरा! कहिये तो राज की बात खोल दूँ और इनाम का दावा आपकी अदालत में कर दूँ.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.com