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25 नवंबर 2022

  चारों तरफ के हमलों , नेतृत्व परिवर्तन के अलोकतांत्रिक बेहूदा हंगामों , खींचतान के माहौल के बावजूद भी , राजस्थान का कुशल प्रबंधन ,भाजपा पर लगातार तार्किक हमलों के साथ , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , कांग्रेस के स्वाभिमान , कांग्रेस के विधि विधान , संविधान के दायरे में , राजस्थान को भाजपा के जबड़े में जाने से बचाने में सक्षम बहादुर योद्धा साबित हुए है,,

 

चारों तरफ के हमलों , नेतृत्व परिवर्तन के अलोकतांत्रिक बेहूदा हंगामों , खींचतान के माहौल के बावजूद भी , राजस्थान का कुशल प्रबंधन ,भाजपा पर लगातार तार्किक हमलों के साथ , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , कांग्रेस के स्वाभिमान , कांग्रेस के विधि विधान , संविधान के दायरे में , राजस्थान को भाजपा के जबड़े में जाने से बचाने में सक्षम बहादुर योद्धा साबित हुए है,, राजस्थान और कांग्रेस को बचाने के लिए अशोक गहलोत , दिन रात चकरघिन्नी होकर काम करने में जुटे हैं , वोह यक़ीनन बधाई के पात्र हैं , लेकिन हालातों में चाहे सुधार आ जाए , फिर भी, सरदारपूरा , कोटा उत्तर , किशनपोल तीनों विधानसभा क्षेत्र में पहले तो टिकिट की मुश्किलें , अटकलें बढ़ाई जाने की भीतरघाती रणनीति ,है फिर , टिकिट आ जाए , तो इन विधानसभाओं में भितरघातियों , से सावधानी की ज़रूरत होगी, प्रत्याक्षी को भाजपा से , आप से , अपने भितरघातियों से , डट कर मुक़ाबला करना होगा, ,
अशोक गहलोत , अशोका दी ग्रेट थे , हैं और रहेंगे ,, गहलोत एक जंगजू सिपाही, कल्याणकारी योजनाओं के पुरोधा होने के साथ ,,उन्हें क्रियान्वित ,करवाकर आम जनता तक खुशियों की बारात पहुंचाने वाले हैं, मेरी क़ौम ,मेरे ,समाज के साथ किये गए वायदों के रिपोर्ट कार्ड मामले में चाहे अशोक गहलोत , ग्रेस से भी पास नहीं हो पा रहे ,हों लेकिन चौतरफा हमलों के बावजूद , मुखबिरों ,,भितरघातियों से मुक़ाबले के बाद भी उनका कुशल प्रबंधन , दिन रात की मेहनत , राजस्थान के स्वाभिमान , मान सम्मान , कल्याण ,, विकास , सोंदर्यकरण , पर्यटन उद्योग को बढ़ावा , सुख ,, सुविधायें , रोज़गारोन्मुखी योजनाओं की क्रियान्विति होने से , में उन्हें सेल्यूट ठोकने को मजबूर हूँ, उन्हें सलाम करने को मजबूर हों , राजस्थान में , विकट परिस्थितियों में , सिर्फ 99 के फेर में जब कांग्रेस अधर झूल में थी, तब , राजस्थान में सुशासन के वायदे के आरक्षण के साथ , अशोक गहलोत के चेहरे को , आगे बढ़ाया गया , क्योंकि, राजस्थान में , सरकार फिर से लाने के लिए वसुंधरा के खिलाफ , अशोक गहलोत की योजनाए गिनाकर ही ,वोट मांगे गए थे, और वोट मिले भी , ऐसे में, बसपा के छह विधायक , विरोधी होने के बाद भी , कांग्रेस के साथ , अशोक गहलोत की ताक़त बने, फिर निर्दलीय विधायक, सहयोगी दलों के विधायक , बी टी पी के विधायक, राजस्थान के विकास में भागीदार बने, अचानक , सब कुछ ठीक था, लेकिन राजस्थान की कांग्रेस को ग्रहण लग गया , भाजपा की नज़र लग गयी , और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के ऑडियो के , बाद , जब अशोक गहलोत , राजस्थान की जनता को , कोरोना महामारी से बचाने की मुहीम में जुटे थे , जब , अशोक गहलोत, गली मोहल्लों में, भूख , और बिमारी से तड़प रहे, लोगों के लिए , इलाज , मुफ्त दवाएं , पेट भरने के लिए रोटी सब्ज़ी का इंतिज़ाम कर रहे थे , तब ,अचानक , राजस्थान की सरकार गिराने के लिए , हमारे ही अपने कुछ लोग, नाराज़ होकर , मानेसर चले गए , ओर फिर भाजपा की केंद्र सरकार , सरकार गिराने , और भाजपा की सरकार बनाने में खरीद फरोख्त मामले में माहिर लोग , सक्रीय हो गये ,, राजस्थान की पुलिस को मानेसर में भाजपा शासित राज्य की पुलिस ने घुसने नहीं दिया , और नाराज़ होकर गए लोगों को सुरक्षित कर दिया ,बर्खास्तगी हुई , पदों से सभी को हटाया गया, , बातचीत का रास्ता खुला रहा , इसी बीच , अविश्वास प्रस्ताव , बसपा के कांग्रेस में मर्ज हुए विधायकों के खिलाफ भाजपा के पूर्व मंत्री , की याचिका, फिर हाईकोर्ट में कोरोना संक्रमण में अदालतें बंद होने पर भी, वर्चुअल सुनवाई , वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ,भाजपा के पैरोकार , कांग्रेस की तरफ , बागी विधायकों को व्हिप जारी कर उपस्थिति के निर्देश फिर , उनकी अनुपस्थिति में , उनकी विधायक सदस्य्ता बर्खास्तगी का खतरा जब हुआ , तो यही विधायक, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस के खिलाफ , हाईकोर्ट फिर सुप्रीमकोर्ट जा पहुंचे , लेकिन इनके वकील भी , वही हरीश साल्वे, वोह हरीश साल्वे जो करोड़ों करोड़ रूपये फीस लिए बगैर , कोई काम करते हीं ,नहीं ,आज तक यह पता नहीं के हरीश साल्वे को , इन विधायकों की तरफ से फीस किसने चुकता की , उसकी रसीद कहाँ हैं , कितनी फ़ीस दी , या फिर थेंक्यु में ही , किसी के कहने से यह मुक़दमा लढा गया , इतना ही नहीं , होटलों में, बंद विधायकों के आत्मविश्वास पर हमले हुए , समर्थन वापसी के लिए ललचाया गया , इन सब के बावजूद भी , अशोक गहलोत ने एक बहतरीन प्रंबधन के साथ ,कांग्रेस के वफादारों को अपने साथ रखा , और राजस्थान विधानसभा में, विश्वास मत हांसिल करने के लिए , विधानसभा का सत्र बुलाने की शुरआत की , लेकिन इतना आसान कहा था , एक मुख्यमंत्री , एक विधानसभा अध्यक्ष , एक संसदीय कार्य मंत्री , को , विधानसभा का सत्र बुलाने से , राज्यपाल महोदय द्वारा रोक दिया गया , रोज़ चक्कर कटाये गये, फिर पुरे एक सो दो विधायक , राज्यपाल महोदय के खिलाफ , लोकतंत्र बचाने के लिए , सड़कों पर आये, राज्यपाल महोदय के खिलाफ विधानसभा सत्र बुलाने की अड़ंगेबाजी के खिलाफ प्रदर्शन किया गया, फिर अशोक गहलोत के भाई , उनके सिपहसालार , ई डी , सी बी आई , इंटकम टेक्स के रडार पा आ गये , डराया गया , धमकाया गया , मुक़दमेबाज़ी हुई , कहते हैं अंत अच्छा तो सब अच्छा , बहुमत साबित हुआ, बागी विधायक , फिर से बिना शर्त लोट आये , राजस्थान के विकास को फिर से पंख लगे , लेकिन रोज़ नई नई शरारतें , मीडिया की शरारतें , इधर कोरोना से जंग , उधर , अपनों से जंग , तो भाजपा से जंग, इन सब के बावजूद भी गुड़ गवर्नेंस , अधिकतम सहयोगियों का सेटिस्फेक्शन , राजस्थान के निवासियों के कल्याण , राजस्थान के विकास, के लिए , एक के बाद , एक नै घोषणाएं , उनकी क्रियान्विति , मुफ्त इलाज , पेंशन योजना, वगेरा वगेरा , राजस्थान, इन सब जंगों के बावजूद भी , कोरोना प्रंबधन में अव्वल , मुफ्त इलाज , मुफ्त दवा योजना , चिरंजीवी योजना में अव्वल , पुराने पेंशन योजना में अव्वल , राजस्थान में औद्योगिक घरानों की कॉन्फ्रेंस के बाद, राजस्थान इन्वेस्टमेंट में , राजस्थान अव्वल , पर्यटन दृष्टि से , विकास, सोंदर्यकरण, में राजस्थान की विकासयोजनाए अव्वल , ई आर सी पी योजना के मामले में जंग, केंद्र की उपेक्षित हमलों के खिलाफ जंग , फिर भी राजस्थान में खुशहाली , राजस्थान की विकास दर में निरंन्तर बढ़ोतरी , उपचुनाव में कांग्रेस की रिकॉर्डतोड़ जीत , निकाय , पंचायत चुनावों में , बमुक़ाबिल जीत , राज्य सभा के चुनाव में, दिल्ली की दावेदारी में राजस्थान की क़ुर्बानी , , विकट हालातों में राज्य सभा वोटिंग मैनेजमेंट में , कांग्रेस की जीत , यह सिर्फ किसी जादूगर , जंगजू सिपाही के लिए ही सम्भव है, , इसी बीच , कांग्रेस में अदावत कम होने लगी , एक दूसरे के साथ , एक दूसरे की सुनवाई होने लगी, राजनितिक नियुक्तियों में बेलेंस किया गया , लेकिन प्रभारी राजस्थान , का राज्यसभा चुनाव एक वोट से हार जाना , राजस्थान के लिए गज़ब हो गया , हार की खीज , राजस्थान में , बेहतरीन प्रदर्शन के साथ ,बेहतरीन नेतृत्व के अधीनस्थ , चल रही , सरकार को अस्थिर करने के लिए , नेतृत्व परिवर्तन का बाजा फिर से अजय माकन बजाने लगे, उन्होंने , राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन , और भविष्य के मुख्यमंत्री की हाईकमान की मर्ज़ी के खिलाफ ऐलान कर दिया , नतीजा, जो लोग , 134 दिन सरकार बचाने के लिए, होटलों में क़ैद रहे , रातों को सोये नहीं , वोह लोग, खफा हो गए , अशोक गहलोत समझाते तो कैसे समझाते, सभी ने, नेतृत्व बदलने पर , और पूर्व में ही , 102 विधायकों के संकल्प लिखित संकल्प जो पूर्व में ही, हाईकमान को लिखित में भेजा भी जा चूका था, उसके विपरीत उन्ही में , से राजस्थान के वफादार विधायकों पर नेतृत्व की पूर्व घोषणा कर, अजय माकन ने , विधयकों को भड़काया , और हाइकमान के फैसले को , आदेश को गलत तरीके से प्रचारित कर, राजस्थान में ,, सुपारी प्रबंधन मुख्यमंत्री का बाजा बजाया गया,, जो अभी भी , लगातार बजाया जा रहा हैं , ,राहुल गांधी अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान की सरकार के प्रबंधन , यहां की योजनाओं की तारीफ कर रहे हैं , अशोक गहलोत की पीठ थपथपा रहे हैं , और अब जब, कोई राष्ट्रिय अध्यक्ष का मुद्दा भी शेष नहीं है , तो फिर , नेतृत्व , परिवर्तन , नेतृत्व परिवर्तन , का चुनाव पूर्व बाजा बजाने की मूर्खता ,, रोज़ रोज़ , कांग्रेस के स्वाभिमान , सम्मान , को बिखेर देने वाला काम हैं , जिसकी भतर्सना होना ही चाहिए, , अशोक गहलोत ,एक जादूगर हैं, अशोका दी ग्रेट हैं , कुशल राजनीतिज्ञ हैं, चौतरफा हमलों के बाद भी , मज़बूत हैं , ज़िम्मेदार हैं , राजस्थान के स्वाभिमान , सम्मान के रक्षक है , मेंढ़क तोलने की कला में भी वोह माहिर हो गए हैं, इन सब विकट हालातों में भी अशोक गहलोत, राजस्थान के राजस्थानियों के विकास , कल्याण, सुरक्षा , भरोसे , आत्मनिर्भरता , वफादारी के साथ खड़े हैं , वोह एक दिन में , हज़ारों किलोमीटर का सफर करते हैं , दस दस सभाएं करते हैं ,,, अकेले ऐसे नेता हैं , जो खुलकर, नरेंद्र मोदी , , अमित शाह के साथ , मुक़ाबला करते हैं , तार्किक जवाब देते हैं, आरोप लगाते हैं , दहाड़ते हैं , फिर भी वोह खड़े हैं , राजस्थान के साथ , राजस्थानियों के लिए , कांग्रेस के साथ , कोंग्रेसियों के लिए ,, इन सब के बावजूद भी , अशोक गहलोत को ,, किसी सुबह के भूले हुए को , शाम को वापस घर लौटने वाले , के खिलाफ विनम्रता से समझाइश करना चाहिए, ,, जिसमे वोह असफल साबित हुए है, उनकी मजबूरी हो सकती है , के वोह , 102 कांग्रेस के स्वाभिमान , कांग्रेस के सम्मान को बचाकर, राहुल गांधी , सोनिया गाँधी, प्रियंका गांधी को ज़िंदाबाद रखने वाले, ज़िम्मेदार विधायकों के वचन के साथ बंधे हैं ,फिर भी गांधीवादी है , विनम्रता तो होना ही चाहिए, , खासकर, गोद खिलाये गए बच्चों को , तो , विनम्रता से ही समझना और समझाना चाहिए ,, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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