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30 नवंबर 2022

  कोटा में पुलिस महानिदेशक भारत जोड़ो यात्रा की सुरक्षात्मक तय्यारियों के जायज़े के लिए आये , लेकिन सोनिया जी के अपमान के परिवाद पर , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अपमान के परिवाद पर, एफ आई आर तक दर्ज नहीं हुई

 

कोटा में पुलिस महानिदेशक भारत जोड़ो यात्रा की सुरक्षात्मक तय्यारियों के जायज़े के लिए आये , लेकिन सोनिया जी के अपमान के परिवाद पर , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अपमान के परिवाद पर, एफ आई आर तक दर्ज नहीं हुई , इस पर किसी ने भी कोई सवाल खड़ा नहीं किया , खेर कांग्रेस कार्यकर्ता , अनुशासित है , इसलिए बेचारे वहां तक अपनी शिकायत लेकर नहीं पहुंच पाए , , लेकिन जब उमेश मिश्रा जो कोटा की पुलिसिंग को प्रेक्टिकल रूप में पहले से जानते हैं , समझते हैं , उन्होंने खुद को पत्रकारों के साथ रूबरू किया ,तब भी पत्रकारों ने , पुलिस महानिदेशक के निर्देश ,सख्त निर्देश ,थानाधिकारी , पुलिस अधीक्षक , उप अधीक्षक अपने अपने कार्यालय में ,दिन में एक घंटे , परिवादियों की सुनवाई करेंगे, आम जनता की सुनवाई करेंगे , और एफ आइ आर दर्ज मामलों में एफ आई आर अनुसंधान की समीक्षा ,करेंगे इस मामले में , निर्देशों की पालना कितनी हुई, किसी भी पत्रकार ने लेखा जोखा लेकर , कोई सवाल ही नहीं किया, , पुलिस अधीक्षक , उनकी अनुपस्थिति में , अधीनस्थ अधिकारी , ,थानाधिकारी , उप अधीक्षक ने , थानों , कार्यालयों के बाहर, उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने और सुनवाई का प्रचार प्रसार कर, आम पीड़ित के लिए निश्चित वक़्त पर बैठकर सुनवाई के लिए क्या पहल की , कितनी सुनवाई हुई , किस तरह की शिकायतें आयीं , कितनी शिकायतों का निस्तारण हुआ , इस बारे में कोई भी आम राय नहीं आई हैं , , खास बात यह है , के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , खुद पुलिस महानिदेशक , द्वारा संज्ञय अपराध होने पर, , एफ आई आर हर हाल में दर्ज कर अनुसंधान करें , इसकी पालना का सूक्ष्म परीक्षण कैसे किया जा रहा हैं, अगर पुलिस अधीक्षक को शिकायत भेजकर, अदालत में , दंड प्रक्रिया संहिता के विधिक प्रावधानों के तहत , परिवाद पेश कर, एफ आई आर दर्ज करवाने की गुहार लगाना पढ़ रही हैं , परिवाद में , पुलिस अधीक्षक को रजिस्ट्री के ज़रिये भेजी गयी , शिकायत है , थानाधिकारी को भेजी गयी शिकायत हैं , एक पेरेग्राफ में इस मामले में पृथक से अंकित हैं के थानाधिकारी के पास गया , पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा ,फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई , तो फिर ऐसे मामलों में , परिवाद डाक में अदालत से ले जाने की तिथि के बाद भी , अगर तुरंत दर्ज नहीं हुआ , तो उसके तुरंत दर्ज नहीं होने की जांच के बारे में , और इस परिवादी को पुलिस अधीक्षक , थानाधिकारी को लिखित में शिकायत देने के बावजूद भी , अदालत क्यों जाना पढ़ा , क्यों अदालत को , मुक़दमा दर्ज करने के आदेश देना पढ़े , इसकी जांच के बाद संबंधित अधिकारी के खिलाफ विधिक कर्तव्यों के तहतं मुक़दमा दर्ज करने में कोताही बरतने , राजकार्य में विधिक कृत्यों की लापरवाही का मुक़दमा दर्ज कर ,फौजदारी, और अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों शुरू नहीं हो रही हैं ,, इस प्रक्रिया को लागू कर ,, समीक्षात्मक क़दम उठाकर , अनुशासन एडवाइज़री जारी क्यों नहीं की गयी , पुलिस बीट प्रणाली , थाना स्तर पर उप अधीक्षक का निरीक्षण , पुलिस अधीक्षक का निरीक्षण , रेंज महानिरीक्षक का निरीक्षण और उनकी रिपोर्ट्स कहाँ हैं , सुझाव कहाँ हैं , , इन सब पर भी बात होना चाहिए थी , दैनिक भास्कर, दैनिक राजस्थान पत्रिका ने अलबत्ता इस मामले तात्कालिक स्टिंग ऑपरेशन की कोशिश की थी , लेकिन फिर ख़ामोशी होने से , थानों , पुलिस अधीक्षक कार्यालयों ,में आम परिवादी के क्या हाल हैं , इनका फॉलोअप नहीं हो पाया है , कोटा कोचिंग सीटी हैं , यहां बाहर के अपराधी भी हैं , साइबर ठग भी हैं, अपराध करने के नए नए तरीकों के अलावा , तात्कालिक अपराध भी हैं , ऐसे में , यहां की पुलिसिंग , ज्वेनाइल यूनिट के साथ , मज़बूत , चुस्त दुरुस्त होना चाहिए , निष्पक्ष होना चाहिए , और इसके लिए , अख़बार,पत्रकार ,न्यूज़ चेनल्स ही , आम जनता के पैरोकार होते हैं , जिन्हे , इस तर्ज़ पर और तेज़ी से काम करना चाहिए , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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