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17 अगस्त 2022

राष्ट्रगान जनगण मन के गायन को लेकर ,,हर रोज़ कुर्सी के कुछ भूखे लोग ,,सियासत और कटटरवादिता के नाम पर ,,गद्दारी का इलज़ाम लगाते रहे है

 

राष्ट्रगान जनगण मन के गायन को लेकर ,,हर रोज़ कुर्सी के कुछ भूखे लोग ,,सियासत और कटटरवादिता के नाम पर ,,गद्दारी का इलज़ाम लगाते रहे है ,,राष्ट्रगान नहीं गाना ,,गद्दारी का सुबूत माना जाता रहा है ,,देश के सुब्रमण्यम स्वामी ,,राजीव दीक्षित ,,पप्पू यादव ,,खुद राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह राष्ट्रगान को लेकर आपत्ति जताते रहे है ,,हाल ही में उत्तरप्रदेश के एक मौलाना ने साफ कहा ,,के हम भारतीय है ,, राष्ट्रभक्त है ,,,जो पकिस्तान हमारे देश में आतंक बरपाता है ,,नफरत फैलाता है ,,हमारा जो पाक्सितान दुश्मन है ,,,पकिस्तान के जिस सिंध में भारत के खिलाफ आतंकवादी की फैक्ट्री है ,,वोह सिंध जहाँ भारत के खिलाफ भारतीयों के खिलाफ साज़िश रची जाती है ,,उस राष्ट्रगान में सिंध को ज़िंदाबाद हम कभी नहीं कह सकते ,,मौलाना ने राष्ट्र गान के ,,पंजाब सिंधु गुजरात मराठा ,,शब्द में से सिंध शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई है ,,उन्होंने कहा ,,हमारे दुश्मन देश के सिंध जहां हमारे देश के खिलाफ नफरत आतंकवाद को पनपाया जाता है हम उसे हरगिज़ ज़िंदाबाद नहीं कह सकते ,,पहले नापाक पाकिस्तान के सिंध नापाक शब्द को हटाओ फिर हम इसे अदब के साथ स्वीकार करेंगे ,,अंधभक्त लोगो का इस मामले में क्या कथन होगा पता नहीं लेकिन ऊपर दिए गए नामो में से तो सभी लोग राष्ट्रगान को जॉर्ज पंचम का स्तुति गान कह चुके है ,,खुद दैनिक भास्कर की 7 अगस्त 2015 में भास्कर ने इसका खुलासा किया है जो हूबहू पेश है ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
आखिर क्यों होता है रबीन्द्रनाथ टैगोर के जन गण मन पर विवाद, जानिए अभी,
रबीन्द्र नाथ टैगोर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक थे। वे अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
दिल्ली। बुधवार, 30 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से देश में राष्ट्रगान को अनिवार्य करने पर बड़ा फैसला दिया। अब से हर मूवी थिएटर में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाना होगा और स्क्रीन पर तिरंगा भी दिखाना होगा। पर, राष्ट्रकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए गीत जन गण मन पर हमेशा विवाद होता रहा है। dainikbhaskar.com इस मौके पर बता रहा है आखिर क्यों लिखा गया था यह गीत। क्या इसे उनसे जबरन लिखाया गया था।
रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक थे। वे अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय भी थे। वह दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान हैं – भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बांग्ला’।
इंग्लैंड के राजा आए थे भारत
1911 तक भारत की राजधानी बंगाल हुआ करता था। सन 1905 में जब बंगाल विभाजन को लेकर अंग्रेजों के खिलाफ बंग-भंग आंदोलन के विरोध में बंगाल के लोग उठ खड़े हुए तो अंग्रेज राजधानी को दिल्ली ले गए। 1911 में दिल्ली को राजधानी घोषित कर दिया। अंग्रेजों के खिलाफ पूरे देश में विद्रोह हो रहा था। अंग्रेजों ने इंग्लैंड के राजा को भारत बुलाया ताकि लोग शांत हो जाए। इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम 1911 में भारत में आए। उस समय भारत की अंग्रेज सरकार ने रवीन्द्रनाथ टैगोर पर दबाव बनाया गया कि तुम्हे एक गीत जॉर्ज पंचम के स्वागत में लिखना ही होगा।
टैगोर के परिवार के सदस्य करते थे अंग्रेजों की कंपनी में काम
1911 में टैगोर का परिवार अंग्रेजों के काफी नजदीक हुआ करता था। परिवार के बहुत से लोग ईस्ट इंडिया कंपनी में नौकरी करते थे। अंग्रेज अधिकारियों ने उनके परिवार के सदस्यों के जरिए उनपर गीत लिखने के लिए दबाव डाला। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मन से या बेमन से जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता गीत लिखा। इस गीत के सारे के सारे शब्दों में अंग्रेजी राजा जॉर्ज पंचम का गुणगान है। इसका अर्थ समझने पर पता चलता है कि यह गीत अंग्रेजों की खुशामद में लिखा गया था।
जॉर्ज पंचम के सामने गाया गया पहली बार जन गण मन
1911 में जॉर्ज पंचम जब भारत आए तो उनके स्वागत में ये गीत पहली बार गाया गया। जब वो इंग्लैंड लौट गया तो उसने वहां इस गीत का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया। अंग्रेजी अनुवाद सुनकर वह बोला कि इतना सम्मान और इतनी खुशामद तो आज तक मेरे देश में नहीं हुई। वह बहुत खुश हुआ। उसने आदेश दिया कि जिसने भी ये गीत लिखा है उसे इंग्लैंड बुलाया जाए। रवीन्द्रनाथ टैगोर इंग्लैंड गए। जॉर्ज पंचम उस समय नोबेल पुरस्कार समिति का अध्यक्ष भी थे। उसने टैगोर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया।

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