नम आँखों, और काँपते हाथों से 7 वर्ष की परी का नैत्रदान
120 किलोमीटर से नैत्रदान लाये,आधे घंटे बाद दुबारा फिर वहीं लिया नैत्रदान
हाड़ौती के घर-घर में पहुँच गया,शाइन इंडिया का नैत्रदान अभियान
शरद पूर्णिमा की चाँदनी रात में,सात साल की परी का हुआ नैत्रदान
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान अंगदान जागरूकता अभियान के कारण पिछले एक
सप्ताह में हाड़ौती के चारों जिलों कोटा बूंदी 12 व झालावाड़ में नेत्रदान
संपन्न हुए हैं यूं कहा जा सकता है की 10 वर्ष की अथक मेहनत के बाद आज पूरे
हाड़ौती संभाग में घर-घर में नेत्रदान की जागरूकता काफी हद तक आ चुकी है ।
सोमवार
को सुबह शाइन इंडिया फाउंडेशन के रामगंज मंडी क्षेत्र के ज्योति नेत्र
संजय बिजावर भवानी मंडी के ज्योति मित्र नरेंद्र जैन द्वारा द्वारा भवानी
मंडी निवासी श्रीमती घीसीबाई जी नेत्रदान संपन्न हुआ । संस्था सदस्य सभी
काम पूरा करके शाम 6:00 बजे कोटा पहुंचे थे ।
अभी
टीम के सदस्य ठीक तरीके से घर पहुंचे भी नहीं थे कि पुनः भवानी मंडी के
अन्य ज्योति मित्र कमलेश दलाल जी ने डॉ कुलवंत गौड़ को सूचना दी कि,पोस्ट
ऑफिस रोड पर रहने वाले श्री अनिल पोरवाल जी की 7 वर्षीय पुत्री परिवार
वालों का आकस्मिक निधन हो चुका है,और परिजन चाहते हैं कि उनका नेत्रदान का
कार्य हो ।
भोजन करने व
थकान मिटाने के लिए यदि थोड़ा रुकते तो भवानी मंडी पहुंचते-पहुंचते काफी
रात हो सकती थी, इसलिए डॉ कुलवंत गौड़ और उनकी टीम के सदस्य बिना भोजन किए
तुरंत ही वापस भवानीमंडी के लिए टैक्सी से रवाना हो गए । रास्ते में दो जगह
काफी देर तक जाम में रुकना पड़ा,तो इस कारण से देर रात 11:00 बजे उनके
निवास स्थान पर पहुँचे ।
परी
के नेत्रदान की प्रक्रिया को पूरा करने के बाद बीबीजे चैप्टर के
कोऑर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि कम उम्र के बच्चों की मृत्यु होने
पर उनके माता-पिता के द्धारा नेत्रदान का कार्य करवाना बहुत ही साहसिक
कार्य है,परी के नेत्रदान लेते समय हमारे भी हाथ कांप रहे थे और आंखें नम
थी परंतु माता-पिता चाहते थे कि,परी अल्पायु लेकर आयी थी,परंतु नेत्रदान के
कार्य ने उसको सदा सदा के लिये अमर कर दिया।
भवानीमंडी
के ज्योतिमित्र कमलेश दलाल ने कहा कि शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर
नैत्रदान का कार्य पुण्यात्मा को मोक्ष देता है । परी की उम्र कम होने के
कारण प्राप्त होने वाला कॉर्निया ज्यादा 2 से ज्यादा को लोगों को आँखों में
रौशनी देगा ।
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